पटना: बीजेपी विधायक पवन जायसवाल ने नीतीश सरकार पर जातीय गणना को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जातीय गणना में वैश्य समाज की संख्या को काफी कम दिखाया गया है. निश्चित तौर पर सरकार ने ऐसा करके बहुत बड़ी गलती की है. अगर सरकार फिर से गणना नहीं करवाती है तो वैश्य महासंघ के तरफ से हम लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का काम करेंगे.
वैश्य समाज के आंकड़ों पर बीजेपी का हमला: आपको बता दें कि पवन जायसवाल भाजपा के विधायक हैं और वैश्य समाज से आते हैं. इसलिए उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि वैश्य समाज के लोगों की संख्या काफी कम करके रिपोर्ट जारी किया गया है जो गलत है. पवन जायसवाल ने कहा कि सरकार में कई जातियों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है और कई जातियों के संख्या को काफी कम कर दिया है.
"बिहार में महागठबंधन की सरकार है और इस तरह का काम करके इसका यह लोग राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है. समझ लीजिए कि जिस तरह का रिपोर्ट इन्होंने लोगों के सामने रखा है यह पूरी तरह से गलत है. कई लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि उनके घर तक कोई गणना करने आया ही नहीं, बावजूद रिपोर्ट पेश किया गया है. ऐसा ही वैश्य समाज के साथ भी किया गया है."- पवन जायसवाल, बीजेपी विधायक
संशोधित डाटा प्रस्तुत करने की मांग: पवन जायसवाल ने कहा कि समाज को कई भागों में बांट दिया गया है. रिपोर्ट को देखिए कि बनिया जाति के लोगों को दो परसेंट तक लाकर छोड़ दिया गया है. यह कहीं से भी उचित नहीं है. हम जातीय गणना को गलत मानते हैं और कहीं ना कहीं महागठबंधन की सरकार जिन जातियों की आबादी को ज्यादा दिखाई है, उस समाज के अन्य जातियों को मनोबल तोड़ने का काम कर रही है. वैसे लोग जो मानते हैं कि उनके जाति की संख्या कम दिखाई गई है, सभी लोग मिलकर इस सरकार के मनोबल को तोड़ने का काम करें. अखिल भारतीय वैश्य महासंघ इस रिपोर्ट को आधार बनाकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना का काम करेगी.
जातीय जनगणना के आंकड़ों पर बयानबाजी?: 2 अक्टूबर को सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी. इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सवर्णों की आबादी 15.55 फीसदी है, जिसमें राजपूत की आबादी 3.45 है. वहीं भूमिहार की तादाद 2.86 फासदी और ब्राह्मणों की आबादी 3.66 फीसदी है. कुर्मी की जनसंख्या 2.87, कुशवाहा 4.2 और यादवों की आबादी 14 फीसदी है.