पटनाः बिहार में ब्लैक फंगस संक्रमण (Black Fungus In Bihar) के मामले लगातार मिल रहे हैं. पटना के चिन्हित अस्पतालों में ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों ( Black Fungus Infected Patients ) का इलाज चल रहा है. रोज नए मरीज भी भर्ती हो रहे हैं. वहीं मरीजों के मरने का सिलसिला भी लगातार जारी है.
इसे भी पढ़ेंः कैंसर जैसा खतरनाक है ब्लैक फंगस, 4 स्टेज में इलाज, जानें मौत के मुंह से लौटना कैसे संभव
आईजीआईएमएस में 5 की मौत
पटना के आईजीआईएमएस ( IGIMS ) में बीते 24 घंटे के दौरान ब्लैक फंगस के 4 नए मरीज भर्ती किए गए हैं. इस दौरान अस्पताल में 5 मरीजों की मौत हुई है, जिनमें से 3 ब्लैक फंगस से संक्रमित थे.
"आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के साथ कोविड मरीजों का भी इलाज जारी है. फिलहाल यहां 132 कोविड पॉजिटिव मरीज भर्ती हैं. अभी एक भी वेंटिलेटर और आईसीयू के बेड खाली नहीं हैं. वहीं 43 ऑक्सीजन बेड खाली हैं." - मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस
ब्लैक फंगस के दो तरह के मिल रहे मरीज
आईजीआईएमएस अधीक्षक ने बताया कि ब्लैक फंगस के सामान्य तौर पर दो तरह के मरीज मिल रहे हैं. पहला वे जो पहले कोरोना संक्रमित हुए थे और बाद में ब्लैक फंगस के शिकार हो गए और दूसरा वे जो कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस से भी संक्रमित हैं. दोनों किस्म के मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
इसे भी पढ़ेंः बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह
चार स्टेज में ब्लैक फंगस का इलाज
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में अभी कोरोना के कम और ब्लैक फंगस के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत होती है.
- पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
- दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
- तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
- चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर भी इसका असर देखा जा रहा है.