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भोजपुरी फिल्मों का कारोबार बढ़कर हुआ 2 हजार करोड़, पर बिहार में इंडस्ट्री उपेक्षा की शिकार

भोजपुरी अपने आप में एक समृद्ध भाषा है मगर अब तक भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बिहार में अपनी वह पहचान नहीं बना पाई है. जो अन्य भाषा की फिल्म इंडस्ट्रीज अपने राज्यों में जिस मुकाम पर है. अब तक भोजपुरी फिल्मों ने दो हजार करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया है. लेकिन बिहार में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री लगातार उपेक्षा का शिकार हो रही है.

पटना
पटना
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Published : Feb 13, 2021, 7:58 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 11:01 PM IST

पटना: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री ने कई ऐसी फिल्में दी है. जिसके कंटेंट और गानों को बिहार ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी सराहा गया है. इतना ही नहीं इन फिल्मों ने करोड़ों का बिजनेस भी किया है. जिनमें ससुरा बड़ा पैसा वाला, निरहुआ रिक्शावाला, बॉर्डर और हिंदुस्तान की कसम जैसी कई भोजपुरी फिल्में शामिल है.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
  • 2004 में फिल्म ससुरा बड़ा पैसा वाला ने 35 करोड़ की कमाई की.
  • 2018 में फिल्म निरहुआ की बॉर्डर को काफी सराहा गया.
  • 2019 में 160 से अधिक भोजपुरी फिल्में रिलीज हुई.
  • 2020 में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री कोरोना के कारण रही प्रभावित.
  • 2021 में फिर से कई भोजपुरी फिल्में आने को तैयार है.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की उपेक्षा
भोजपुरी बिहार की भाषा है. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री यू कहें तो बिहार की अपनी फिल्म इंडस्ट्री है. मगर ये फिल्म इंडस्ट्री अपने ही प्रदेश में उपेक्षा की शिकार है. बिहार का फिल्म विकास निगम सालों से शिथिल पड़ा हुआ है और फिल्म निगम के माध्यम से भोजपुरी फिल्मों और कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए कोई योजना नहीं है. भोजपुरी फिल्म की शूटिंग करनी हो या भोजपुरी गानों की शूटिंग करनी हो फिल्म निर्देशक बिहार का सीन क्रिएट करने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाकर सीन शूट करते हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

कमाई में आयी बाढ़

  • भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री 2000 करोड़ की हुई
  • प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से कमाई भी बढ़ी
  • कलाकारों की फीस 20 से 30 फीसदी बढ़ी
  • प्रोड्यूसर 10 करोड़ से ज्यादा की करने लगे कमाई
    फिल्म इंडस्ट्री उपेक्षा की शिकार
    फिल्म इंडस्ट्री उपेक्षा की शिकार

बिहार में ही नहीं बन पाई पहचान
1962 में भोजपुरी की पहली फिल्म गंगा मैया तोहे चुनरी चढ़ईबो आई थी. उसके बाद से अब तक कई एक भोजपुरी फिल्म आ चुकी हैं. मगर अब तक भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बिहार में अपनी वो पहचान नहीं बना पाई है. जो अन्य भाषा की फिल्म इंडस्ट्रीज अपने राज्यों में जिस मुकाम पर है. अब तक भोजपुरी फिल्मों ने दो हजार करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया है. बावजूद इसके बिहार में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री लगातार उपेक्षा का शिकार हो रही है.

देखें रिपोर्ट.

इस तरह आया बदलाव

  • 2013-2014 के बाद से आया बड़ा बदलाव
  • मनोज तिवारी, रविकिशन और निरहुआ बने ब्रांड
  • 2015 में निरहुआ ने कई रिकार्ड किए ध्वस्त
  • 'निरहुआ हिन्दुस्तानी' और 'पटना से पाकिस्तान' बनी ब्लॉकबस्टर
  • 2015 में बॉक्स ऑफिस का कुल कलेक्शन 35 करोड़ के पार
  • 2016 में 56 फिल्में रिलीज, कलेक्शन 30 करोड़ के करीब
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री

'बिहार में फिल्म इंडस्ट्री का कोई भविष्य नहीं'
कई भोजपुरी फिल्मों का निर्देशन करने वाले फिल्म निर्देशक आकाश जोगी ने बताया कि बिहार में फिल्म इंडस्ट्री का उन्हें कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग करने के लिए उन्हें गुजरात महाराष्ट्र यूपी और झारखंड का रुख करना पड़ता है. क्योंकि यहां प्रदेश में सरकार की तरफ से भोजपुरी फिल्म के प्रोत्साहन को लेकर कोई नीति नहीं है.

''यूपी में अगर शूटिंग करनी होती है तो सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है. हालांकि एक ये भी बॉउंडेशन होता है कि 70 प्रतिशत कलाकार यूपी के ही होंगे. जब फिल्में बिहार में लगती है, तो यहां खूब कमाई करती हैं और सरकार इससे खूब कमाती भी हैं. मगर बिहार के कलाकारों को काम करने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. उन्हें यहां सभी सुविधाएं मिले इसके लिए सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है''- आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक

आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक
आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक

'दूसरे राज्यों में मिलती है सब्सिडी'
फिल्म प्रोड्यूसर अविनाश सिंह ने कहा कि उन्हें अपना पैसा दूसरे राज्यों में इन्वेस्ट करना पड़ रहा है. क्योंकि यहां प्रदेश में फिल्म की शूटिंग को लेकर माहौल ही नहीं है. यहां फिल्म कि शूटिंग को लेकर पर्याप्त जगह है. मगर उसको उस प्रकार डेवलप नहीं किया गया है.

''फिल्म निर्माण के लिए सरकार की तरफ से कोई सहायता राशि लोन के तौर पर भी नहीं मिलती है. अच्छी फिल्म बनाने के लिए बड़े बजट की जरूरत होती है. ऐसे में फिल्म की शूटिंग के लिए वो उन राज्यों का रुख करते हैं, जहां उन्हें प्रोत्साहन राशि मिलती है''- अविनाश सिंह, फिल्म निर्माता

बिहार फिल्म विकास निगम
बिहार फिल्म विकास निगम

'बिहार में कलाकारों नहीं मिलती सुविधाएं'
हाल ही में आई फिल्म गोरिया तोहरे खातिर की अभिनेत्री और पवन सिंह खेसारी लाल जैसे कई अभिनेताओं के साथ काम कर चुकी उर्मिला सिंह ने बताया कि प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को लेकर सरकार माहौल ही नहीं स्थापित कर पा रही है. कलाकारों को वो सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जो मिलनी चाहिए.

बिहार फिल्म विकास निगम के महाप्रबंधक सुनील चंद्र चुन्नी ने बताया कि कोई भी इंडस्ट्री का एक जगह बनाने में लंबा समय लगता है. अब भोजपुरी फिल्मों के लिए अच्छा समय आने वाला है, क्योंकि लोगों में अब भोजपुरी भाषा को लेकर क्रेज बढ़ा है. हिंदी पंजाबी के बाद अब भोजपुरी गाने भी इंटरनेशनल हो रहे हैं.

''प्रदेश में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कला संस्कृति विभाग की तरफ से फिल्म प्रोत्साहन नीति बनाने की दिशा में काम चल रहा है और विश्वास है कि जल्द ही यह फिल्म प्रोत्साहन नीति प्रदेश में लागू की जाएगी. इसके अलावा राजगीर में एक फिल्म सिटी का भी निर्माण कराया जा रहा है''- सुनील चंद्र चुन्नी, मैनेजर, बिहार फिल्म विकास निगम

पटना: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री ने कई ऐसी फिल्में दी है. जिसके कंटेंट और गानों को बिहार ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी सराहा गया है. इतना ही नहीं इन फिल्मों ने करोड़ों का बिजनेस भी किया है. जिनमें ससुरा बड़ा पैसा वाला, निरहुआ रिक्शावाला, बॉर्डर और हिंदुस्तान की कसम जैसी कई भोजपुरी फिल्में शामिल है.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
  • 2004 में फिल्म ससुरा बड़ा पैसा वाला ने 35 करोड़ की कमाई की.
  • 2018 में फिल्म निरहुआ की बॉर्डर को काफी सराहा गया.
  • 2019 में 160 से अधिक भोजपुरी फिल्में रिलीज हुई.
  • 2020 में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री कोरोना के कारण रही प्रभावित.
  • 2021 में फिर से कई भोजपुरी फिल्में आने को तैयार है.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की उपेक्षा
भोजपुरी बिहार की भाषा है. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री यू कहें तो बिहार की अपनी फिल्म इंडस्ट्री है. मगर ये फिल्म इंडस्ट्री अपने ही प्रदेश में उपेक्षा की शिकार है. बिहार का फिल्म विकास निगम सालों से शिथिल पड़ा हुआ है और फिल्म निगम के माध्यम से भोजपुरी फिल्मों और कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए कोई योजना नहीं है. भोजपुरी फिल्म की शूटिंग करनी हो या भोजपुरी गानों की शूटिंग करनी हो फिल्म निर्देशक बिहार का सीन क्रिएट करने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाकर सीन शूट करते हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

कमाई में आयी बाढ़

  • भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री 2000 करोड़ की हुई
  • प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से कमाई भी बढ़ी
  • कलाकारों की फीस 20 से 30 फीसदी बढ़ी
  • प्रोड्यूसर 10 करोड़ से ज्यादा की करने लगे कमाई
    फिल्म इंडस्ट्री उपेक्षा की शिकार
    फिल्म इंडस्ट्री उपेक्षा की शिकार

बिहार में ही नहीं बन पाई पहचान
1962 में भोजपुरी की पहली फिल्म गंगा मैया तोहे चुनरी चढ़ईबो आई थी. उसके बाद से अब तक कई एक भोजपुरी फिल्म आ चुकी हैं. मगर अब तक भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बिहार में अपनी वो पहचान नहीं बना पाई है. जो अन्य भाषा की फिल्म इंडस्ट्रीज अपने राज्यों में जिस मुकाम पर है. अब तक भोजपुरी फिल्मों ने दो हजार करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया है. बावजूद इसके बिहार में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री लगातार उपेक्षा का शिकार हो रही है.

देखें रिपोर्ट.

इस तरह आया बदलाव

  • 2013-2014 के बाद से आया बड़ा बदलाव
  • मनोज तिवारी, रविकिशन और निरहुआ बने ब्रांड
  • 2015 में निरहुआ ने कई रिकार्ड किए ध्वस्त
  • 'निरहुआ हिन्दुस्तानी' और 'पटना से पाकिस्तान' बनी ब्लॉकबस्टर
  • 2015 में बॉक्स ऑफिस का कुल कलेक्शन 35 करोड़ के पार
  • 2016 में 56 फिल्में रिलीज, कलेक्शन 30 करोड़ के करीब
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री

'बिहार में फिल्म इंडस्ट्री का कोई भविष्य नहीं'
कई भोजपुरी फिल्मों का निर्देशन करने वाले फिल्म निर्देशक आकाश जोगी ने बताया कि बिहार में फिल्म इंडस्ट्री का उन्हें कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग करने के लिए उन्हें गुजरात महाराष्ट्र यूपी और झारखंड का रुख करना पड़ता है. क्योंकि यहां प्रदेश में सरकार की तरफ से भोजपुरी फिल्म के प्रोत्साहन को लेकर कोई नीति नहीं है.

''यूपी में अगर शूटिंग करनी होती है तो सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है. हालांकि एक ये भी बॉउंडेशन होता है कि 70 प्रतिशत कलाकार यूपी के ही होंगे. जब फिल्में बिहार में लगती है, तो यहां खूब कमाई करती हैं और सरकार इससे खूब कमाती भी हैं. मगर बिहार के कलाकारों को काम करने के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. उन्हें यहां सभी सुविधाएं मिले इसके लिए सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है''- आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक

आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक
आकाश जोगी, फिल्म निर्देशक

'दूसरे राज्यों में मिलती है सब्सिडी'
फिल्म प्रोड्यूसर अविनाश सिंह ने कहा कि उन्हें अपना पैसा दूसरे राज्यों में इन्वेस्ट करना पड़ रहा है. क्योंकि यहां प्रदेश में फिल्म की शूटिंग को लेकर माहौल ही नहीं है. यहां फिल्म कि शूटिंग को लेकर पर्याप्त जगह है. मगर उसको उस प्रकार डेवलप नहीं किया गया है.

''फिल्म निर्माण के लिए सरकार की तरफ से कोई सहायता राशि लोन के तौर पर भी नहीं मिलती है. अच्छी फिल्म बनाने के लिए बड़े बजट की जरूरत होती है. ऐसे में फिल्म की शूटिंग के लिए वो उन राज्यों का रुख करते हैं, जहां उन्हें प्रोत्साहन राशि मिलती है''- अविनाश सिंह, फिल्म निर्माता

बिहार फिल्म विकास निगम
बिहार फिल्म विकास निगम

'बिहार में कलाकारों नहीं मिलती सुविधाएं'
हाल ही में आई फिल्म गोरिया तोहरे खातिर की अभिनेत्री और पवन सिंह खेसारी लाल जैसे कई अभिनेताओं के साथ काम कर चुकी उर्मिला सिंह ने बताया कि प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को लेकर सरकार माहौल ही नहीं स्थापित कर पा रही है. कलाकारों को वो सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जो मिलनी चाहिए.

बिहार फिल्म विकास निगम के महाप्रबंधक सुनील चंद्र चुन्नी ने बताया कि कोई भी इंडस्ट्री का एक जगह बनाने में लंबा समय लगता है. अब भोजपुरी फिल्मों के लिए अच्छा समय आने वाला है, क्योंकि लोगों में अब भोजपुरी भाषा को लेकर क्रेज बढ़ा है. हिंदी पंजाबी के बाद अब भोजपुरी गाने भी इंटरनेशनल हो रहे हैं.

''प्रदेश में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कला संस्कृति विभाग की तरफ से फिल्म प्रोत्साहन नीति बनाने की दिशा में काम चल रहा है और विश्वास है कि जल्द ही यह फिल्म प्रोत्साहन नीति प्रदेश में लागू की जाएगी. इसके अलावा राजगीर में एक फिल्म सिटी का भी निर्माण कराया जा रहा है''- सुनील चंद्र चुन्नी, मैनेजर, बिहार फिल्म विकास निगम

Last Updated : Feb 13, 2021, 11:01 PM IST
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