पटना: नवरात्रि के लेकर पूरा देश मां अंबे की भक्ति में लीन है. राजधानी पटना में भी दुर्गा पूजा के मौके पर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. कई पूजा समितियां यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा कर रही हैं. वहीं, शहर के बंगाली पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही है. विजयदशमी के मौके पर बंगाली समुदाय कि महिलाओं ने 'सिंदूर खेला' कर मां दुर्गा को विदा किया.
![नाचते गाते बंगाली समुदाय की महिलाएं](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4688571_2.jpg)
सुहागिन महिलाओं का त्योहार है 'सिंदूर खेला '
बंगाली परंपरा के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के आखिरी दिन यानी विजयदशमी के दिन पंडालों में बंगाली महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. इसके बाद सभी महिलाएं मां शक्ति स्वरुपा को पान और मिठाई का भोग लगाकर एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. बताया जाता है कि यह परंपरा सालों पुरानी है.
'उलू ध्वनि' का खास महत्व
नवरात्रि में सिंदूर खेला सुहागिन महिलाओं का खास त्योहार माना जाता है. इसे लेकर बंगाली महिलाओं मे खासा उत्साह रहता है. इस परंपरा में इसमें विधवा, तलाकशुदा, किन्नर और नगरवधुओं को शामिल नहीं किया जाता था. हलांकि पिछले कुछ सालों में हुए सामाजिक बदलाव के कारण अब सभी लोग स्वतंत्र रुप से इस परंपरा में भाग लेते हैं. इसमें मुंह से निकालने वाली विशेष ध्वनि की खास मान्यता है.
![मां दुर्गा को विदा करते बंगाली समुदाय के लोग](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4688571_3.jpg)
क्या है मान्यता
इस परंपरा को लेकर राजधानी पटना के बंगाली अखाड़े में आए हुए बंगाली समुदाय कि महिलाओं का कहना है कि मां दुर्गा की मांग भर कर उन्हें मायके से ससुराल विदा किया जाता है. मां अंबे के भक्तों का कहना है कि मां दुर्गा पूरे साल में एक बार अपने मायके आती हैं और पांच दिन मायके में रुकने के बाद वे पृथ्वीलोक से विदा होती है. मां दुर्गा को सिंदूर लगाने का बड़ा महत्व है. सिंदूर खेला में पान के पत्ते से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श कराकर फिर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर लंबे सुहाग की कामना करती हैं.