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छठे चरण में बहाल 22000 शिक्षकों की नौकरी पर मंडराया संकट, सरकार से लगाई नौकरी बचाने की गुहार

Bihar Teacher Recruitment : बीएड डिग्री धारक नियोजित प्राथमिक शिक्षकों को सेवामुक्त होने का समय आ गया है, जिसको लेकर शिक्षकों को चिंता सताने लगी है. शिक्षकों ने सरकार से उनकी नौकरी बचाने की गुहार लगाई है. पढ़ें पूरी खबर.

22000 नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर मंडराया संकट
22000 नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर मंडराया संकट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 11, 2023, 3:48 PM IST

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पटना: बिहार में छठे चरण में बहाल हुए 22 हजार से ज्यादा B.Ed योग्यता धारी नियोजित शिक्षकों को पटना उच्च न्यायालय ने प्राइमरी कक्षा 1 से 5 वीं तक के लिए अयोग्य बताया है. अब इनकी नौकरी पर संकट उत्पन्न हो गई है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ डीएलएड डिग्री धारक उम्मीदवार ही इस भर्ती के लिए योग्य माने जाएंगे. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने ये फैसला सुनाया था. इसके बाद से प्राइमरी के बीएड अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ गई है और सभी को नौकरी जाने की चिंता सता रही है.

बीएड डिग्री धारी शिक्षकों की बढ़ी चिंता: ऐसे में दर्जनों की संख्या में छठे चरण में बहाल हुए बीएड योग्यता धारी शिक्षक पटना के गांधी मैदान पहुंचे और आगे क्या कुछ करना है इस पर चर्चा की. इस मौके पर बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि हम लोग सरकार से अपील करते हैं वो इन तमाम 22 हजार शिक्षकों के दुख-दर्द को समझे और जो भी उचित कदम हो वह अविलंब उठाया जाए ताकि इनकी नौकरी बचे.

"सरकार इसके लिए कोई अध्यादेश लाए, कोई कानून बनाए. जिसके तहत सरकार द्वारा बहाल किए गए यह शिक्षक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ा सकें. सरकार को समझना होगा कि यह सिर्फ 22 हजार शिक्षक ही नहीं बल्कि 22 हजार परिवारों का मामला है. एक शिक्षक पूरे परिवार को चल रहा है और यदि वह बेरोजगार हो जाता है तो उसका क्या होगा. इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

शिक्षकों का बयान: बांका जिले से आई शिक्षक अर्पिता सिंह ने कहा कि जब वैकेंसी निकली थी, उस दौरान जो भी दिशा निर्देश दिया गया था, उसी के अनुरूप फॉर्म भरकर पिछले 2 साल से नौकरी कर रही हैं. हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है. कहा कि बिना किसी गलती के उनकी नौकरी पर संकट उत्पन्न हो गई है.

"परिवार में अकेली हैं जो जॉब करती हैं. पति की तबीयत खराब है और उनका सीएमसी वेल्लोर से इलाज चल रहा है. अगर मेरी अभी नौकरी चली जाती है तो मैं कहां जाऊंगी. नौकरी चल जाने से सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारा पूरा परिवार प्रभावित होगा. अब सरकार‌ से ही उनकी आखिरी उम्मीदें है."- अर्पिता सिंह, बीएड धारी प्राथमिक शिक्षक

"वह पिछले दो वर्षों से विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. तमाम अहर्ताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उनकी बहाली की थी. सरकार ने उन लोगों के लिए ब्रिज कोर्स करने के लिए भी कहा था लेकिन अब जब कोर्ट का फैसला आ गया है कि वह विद्यालय में शिक्षक नहीं बने रह सकते हैं तो सरकार की शरण में आए हैं. माता-पिता काफी बीमार रहते हैं जिनका एम्स में इलाज चलता है. परिवार में कमाने वाला इकलौता मैं ही हूं."- ओमप्रकाश मणि, बीएड धारी प्राथमिक शिक्षक

हाई कोर्ट का फैसला: हाई कोर्ट की तरफ से जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने बीएड पास शिक्षकों की योग्यता को लेकर फैसला सुनाया था. कहा गया कि हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं. राज्य को भी इस निर्णय का पालन करना होगा. सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला दे चुकी है. ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के बतौर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है.

खाली पदों के लिए फिर से नियुक्ति: वहीं इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं के वकील अभिनव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में छठे चरण के तहत पहले से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए बीएड शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश रद्द कर दिया है. इस आदेश के बाद खाली हुई जगहों पर फिर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि राज्य सरकार को नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की साल 2010 की मूल अधिसूचना के मुताबिक, योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा.

पढ़ें: B.Ed डिग्रीधारक को पटना HC से बड़ा झटका, प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नहीं होगी नियुक्ति

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पटना: बिहार में छठे चरण में बहाल हुए 22 हजार से ज्यादा B.Ed योग्यता धारी नियोजित शिक्षकों को पटना उच्च न्यायालय ने प्राइमरी कक्षा 1 से 5 वीं तक के लिए अयोग्य बताया है. अब इनकी नौकरी पर संकट उत्पन्न हो गई है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ डीएलएड डिग्री धारक उम्मीदवार ही इस भर्ती के लिए योग्य माने जाएंगे. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने ये फैसला सुनाया था. इसके बाद से प्राइमरी के बीएड अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ गई है और सभी को नौकरी जाने की चिंता सता रही है.

बीएड डिग्री धारी शिक्षकों की बढ़ी चिंता: ऐसे में दर्जनों की संख्या में छठे चरण में बहाल हुए बीएड योग्यता धारी शिक्षक पटना के गांधी मैदान पहुंचे और आगे क्या कुछ करना है इस पर चर्चा की. इस मौके पर बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि हम लोग सरकार से अपील करते हैं वो इन तमाम 22 हजार शिक्षकों के दुख-दर्द को समझे और जो भी उचित कदम हो वह अविलंब उठाया जाए ताकि इनकी नौकरी बचे.

"सरकार इसके लिए कोई अध्यादेश लाए, कोई कानून बनाए. जिसके तहत सरकार द्वारा बहाल किए गए यह शिक्षक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ा सकें. सरकार को समझना होगा कि यह सिर्फ 22 हजार शिक्षक ही नहीं बल्कि 22 हजार परिवारों का मामला है. एक शिक्षक पूरे परिवार को चल रहा है और यदि वह बेरोजगार हो जाता है तो उसका क्या होगा. इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है."- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

शिक्षकों का बयान: बांका जिले से आई शिक्षक अर्पिता सिंह ने कहा कि जब वैकेंसी निकली थी, उस दौरान जो भी दिशा निर्देश दिया गया था, उसी के अनुरूप फॉर्म भरकर पिछले 2 साल से नौकरी कर रही हैं. हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है. कहा कि बिना किसी गलती के उनकी नौकरी पर संकट उत्पन्न हो गई है.

"परिवार में अकेली हैं जो जॉब करती हैं. पति की तबीयत खराब है और उनका सीएमसी वेल्लोर से इलाज चल रहा है. अगर मेरी अभी नौकरी चली जाती है तो मैं कहां जाऊंगी. नौकरी चल जाने से सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारा पूरा परिवार प्रभावित होगा. अब सरकार‌ से ही उनकी आखिरी उम्मीदें है."- अर्पिता सिंह, बीएड धारी प्राथमिक शिक्षक

"वह पिछले दो वर्षों से विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. तमाम अहर्ताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उनकी बहाली की थी. सरकार ने उन लोगों के लिए ब्रिज कोर्स करने के लिए भी कहा था लेकिन अब जब कोर्ट का फैसला आ गया है कि वह विद्यालय में शिक्षक नहीं बने रह सकते हैं तो सरकार की शरण में आए हैं. माता-पिता काफी बीमार रहते हैं जिनका एम्स में इलाज चलता है. परिवार में कमाने वाला इकलौता मैं ही हूं."- ओमप्रकाश मणि, बीएड धारी प्राथमिक शिक्षक

हाई कोर्ट का फैसला: हाई कोर्ट की तरफ से जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने बीएड पास शिक्षकों की योग्यता को लेकर फैसला सुनाया था. कहा गया कि हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं. राज्य को भी इस निर्णय का पालन करना होगा. सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला दे चुकी है. ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के बतौर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है.

खाली पदों के लिए फिर से नियुक्ति: वहीं इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं के वकील अभिनव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में छठे चरण के तहत पहले से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए बीएड शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश रद्द कर दिया है. इस आदेश के बाद खाली हुई जगहों पर फिर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि राज्य सरकार को नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की साल 2010 की मूल अधिसूचना के मुताबिक, योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा.

पढ़ें: B.Ed डिग्रीधारक को पटना HC से बड़ा झटका, प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नहीं होगी नियुक्ति

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