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Bihar Teacher Recruitment: प्राइमरी में नियुक्ति के लिए BEd अभ्यर्थियों ने खटखटाया SC का दरवाजा, दाखिल की रिट याचिका - बिहार न्यूज

बीपीएससी की ओर से प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की परीक्षा में बीएड अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी करने के साथ बहाली में शामिल करने को लेकर अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. इसे लेकर उन्होंने रिट याचिका दायर की है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 24, 2023, 2:04 PM IST

पटना: बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से ली गयी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की परीक्षा को लेकर अभ्यर्थी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी करने के साथ बहाली में शामिल करने को लेकर बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बीएड अभ्यर्थियों ने प्राथमिक शिक्षक बहाली में नोटिफिकेशन के अनुसार ही बीएड को शामिल करने को लेकर रिट याचिका दायर किया है.

पढ़ें-Bihar Teacher Recruitment: रिजल्ट जारी नहीं होने की सूचना से नाराजगी, कोर्ट में जाएंगे बीएड अभ्यर्थी

परीक्षा में 3.90 लाख अभ्यर्थी हुए थे शामिल: गौरतलब है कि बीपीएससी के द्वारा आयोजित की गई शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्राइमरी के लिए 3.90 लाख बीएड योग्यताधारी शिक्षक अभ्यर्थी शामिल हुए थे. याचिकाकर्ता दीपांकर, गौरव और मीकू पाल ने बताया कि बीपीएससी के नोटिफिकेशन के अनुसार ही बीएड उतीर्ण अभ्यर्थियों ने प्राइमरी शिक्षक के पद पर आवदेन किया था. उनकी परीक्षा भी ले ली गयी.

रिजल्ट जारी करने की है मांग: याचिकाकर्ता का कहना है कि इसी बीच 11 अगस्त को देवेश शर्मा एवं राजस्थान सरकार वाद में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई के उस गजट को निरस्त कर दिया. जिसमें बीएड पास अभ्यर्थी को प्राइमरी में शिक्षक बनने के योग्य माना था. दीपांकर गौरव ने बताया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले ही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गयी थी. ऐसी स्थिति में उनका रिजल्ट जारी होना चाहिए.

शिक्षा विभाग ने नहीं लिया कोई फैसला: दीपांकर ने बताया कि बीएड के अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक बनाये जाएंगे अथवा नहीं इसपर अब तक शिक्षा विभाग निर्णय नहीं ले सकी है. हालांकि कई बार बीएड के अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग में आवदेन देकर असमंजस की स्थिति को समाप्त करने की गुहार लगाई है. लेकिन अबतक विभाग ने कोई फैसला नहीं लिया है.

"बिहार से 3.90 लाख बीएड पास अभ्यर्थियों प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली गयी परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनके रिजल्ट को लेकर संशय की स्थिति है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और आजीविका का अधिकार), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हवाला दिया है."-दीपांकर, याचिकाकर्ता

पटना: बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से ली गयी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की परीक्षा को लेकर अभ्यर्थी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी करने के साथ बहाली में शामिल करने को लेकर बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बीएड अभ्यर्थियों ने प्राथमिक शिक्षक बहाली में नोटिफिकेशन के अनुसार ही बीएड को शामिल करने को लेकर रिट याचिका दायर किया है.

पढ़ें-Bihar Teacher Recruitment: रिजल्ट जारी नहीं होने की सूचना से नाराजगी, कोर्ट में जाएंगे बीएड अभ्यर्थी

परीक्षा में 3.90 लाख अभ्यर्थी हुए थे शामिल: गौरतलब है कि बीपीएससी के द्वारा आयोजित की गई शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्राइमरी के लिए 3.90 लाख बीएड योग्यताधारी शिक्षक अभ्यर्थी शामिल हुए थे. याचिकाकर्ता दीपांकर, गौरव और मीकू पाल ने बताया कि बीपीएससी के नोटिफिकेशन के अनुसार ही बीएड उतीर्ण अभ्यर्थियों ने प्राइमरी शिक्षक के पद पर आवदेन किया था. उनकी परीक्षा भी ले ली गयी.

रिजल्ट जारी करने की है मांग: याचिकाकर्ता का कहना है कि इसी बीच 11 अगस्त को देवेश शर्मा एवं राजस्थान सरकार वाद में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई के उस गजट को निरस्त कर दिया. जिसमें बीएड पास अभ्यर्थी को प्राइमरी में शिक्षक बनने के योग्य माना था. दीपांकर गौरव ने बताया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले ही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गयी थी. ऐसी स्थिति में उनका रिजल्ट जारी होना चाहिए.

शिक्षा विभाग ने नहीं लिया कोई फैसला: दीपांकर ने बताया कि बीएड के अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक बनाये जाएंगे अथवा नहीं इसपर अब तक शिक्षा विभाग निर्णय नहीं ले सकी है. हालांकि कई बार बीएड के अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग में आवदेन देकर असमंजस की स्थिति को समाप्त करने की गुहार लगाई है. लेकिन अबतक विभाग ने कोई फैसला नहीं लिया है.

"बिहार से 3.90 लाख बीएड पास अभ्यर्थियों प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली गयी परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनके रिजल्ट को लेकर संशय की स्थिति है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और आजीविका का अधिकार), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हवाला दिया है."-दीपांकर, याचिकाकर्ता

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