पटना: बार काउंसिल ऑफ इंडिया का एक शिष्टमंडल न्यायालय खुलने को लेकर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एनवी रमन्ना से मिला था. जिसके बाद जजों ने व्यवहारिक पहलू को ध्यान रखते हुए न्यायालय खोलने की अनुमति प्रदान करने की बात कही थी. वहीं, मामले में बार काउंसिल के चेयरमैन ने कोरोना काल में अदालतें खोलने के लिए दबाव नहीं देने की बात कही है.
गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने न्यायालय खुलने के मामले में कहा कि कोरोना महामारी का कहर पूरे देश में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट पर देश की अदालतों को खोलने का दबाव नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बड़ी तादाद में आर्थिक रूप से वकील भी प्रभावित हुए हैं.
'गंभीर और नाजुक स्थिति होगी उत्पन्न'
बार काउंसिल के चेयरमैन ने कहा कि देश के वकीलों की आर्थिक तंगी न्यायिक व्यवस्था के लिए एक बुरी और दुखद बात है. लेकिन संकट की घड़ी में सुरक्षा को नजरअंदाज कर सुप्रीम कोर्ट पर दबाव देकर सभी अदालतों को खुलवाना भी कहीं से सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि वकील और जज कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं, तो यह गंभीर और नाजुक स्थिति होगी. इसे कोई माफ नहीं करेगा.