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Patna News: धूमधाम से मनाया जा रहा है बैसाखी, गंगा स्नान का है विशेष महत्व

आज बैसाखी पर्व है. हिंदु और सिख धर्मावलंबी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं. इस पर्व को उत्तर भारत में विशेषकर मनाया जाता है. आज के दिन गंगा स्नान का भी काफी महत्व है. बैसाखी पर जानिये आचार्य मनोज मिश्रा से इस त्योहार के बारे में.

पटना में बैसाखी पर्व
पटना में बैसाखी पर्व
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Published : Apr 14, 2023, 12:02 AM IST

वैशाखी के बारे में जानकारी देते आचार्य

पटना: बैसाखी पर्व (Baisakhi Festival) हिंदू और सिख बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं. बैसाखी का पर्व उत्तर भारत में विशेषकर मनाया जाता है. देश से बाहर भी बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. जहां पर पंजाबी और हिंदू हैं. सभी जगह बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों के अनुसार बैसाखी के दिन माता गंगा स्वर्ग लोक से धरती पर आई थी. इसीलिए बैसाखी के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करने से हर प्रकार के पाप दोष रोग से छुटकारा मिलता है. साथ में आर्थिक दृष्टि से भी धन की प्राप्ति होता है.

ये भी पढ़ें- पटना साहिब में बैसाखी की धूम, खालसा सृजना दिवस पर होगा बड़ा आयोजन

बैसाखी का नहीं होता है कोई मुहूर्त: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि बैसाखी पर्व का कोई शुभ मुहूर्त और तिथि नहीं होता है. लेकिन 14 अप्रैल को बड़ी ही धूमधाम से सिख समुदाय के लोगों के द्वारा बैसाखी पर्व मनाया जाएगा. बैसाखी के दिन गंगा में स्नान के साथ-साथ दान भी करते हैं. सिख धर्म के अनुसार बैसाखी का दिन सिखों का साल का पहला दिन माना जाता है. इस दिन को नव वर्ष के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गुरुद्वारा के साथ साथ आस-पास के इलाके को सजाया जाता है.

घर में बनाए जाते हैं पकवान: ऑफिस घर को भी अच्छी तरह से सजाया जाता है. अच्छी-अच्छी पकवान बनाए जाते हैं. दोस्तों को खिलाया जाता है. साथ में सामूहिक गीत संगीत भी किया जाता है. पंजाब, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में बहुत ही जोर-शोर से बैसाखी का पर्व सिखों के द्वारा मनाया जाता है. आचार्य ने कहा कि बैसाखी के दिन प्रदेशों में सरकारी छुट्टियां भी होती है. बैसाखी का दिन अपने आप में बहुत ही पवित्र दिन सिखों के लिए है.

"वैसाखी के समय विशाखा नक्षत्र होता है. विसाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को वैसाखी कहते हैं. आज के दिन किसान नई फसल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि बैसाखी से ही एक नए साल के साथ नई फसल की भी शुरुआत होती है. यह त्यौहार सिख नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. आज के दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोविंद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. बिहार प्रदेश के मिथिलांचल के क्षेत्र में बैसाखी को जुड़ शीतल के नाम से भी मनाया जाता है. इसलिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को जौ का सत्तू और जल दिया जाता है. साथ ही पेड़ पौधे में भी जल देने का प्रावधान आज के दिन होता है."- मनोज मिश्रा, आचार्य

वैशाखी के बारे में जानकारी देते आचार्य

पटना: बैसाखी पर्व (Baisakhi Festival) हिंदू और सिख बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं. बैसाखी का पर्व उत्तर भारत में विशेषकर मनाया जाता है. देश से बाहर भी बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. जहां पर पंजाबी और हिंदू हैं. सभी जगह बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों के अनुसार बैसाखी के दिन माता गंगा स्वर्ग लोक से धरती पर आई थी. इसीलिए बैसाखी के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करने से हर प्रकार के पाप दोष रोग से छुटकारा मिलता है. साथ में आर्थिक दृष्टि से भी धन की प्राप्ति होता है.

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बैसाखी का नहीं होता है कोई मुहूर्त: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि बैसाखी पर्व का कोई शुभ मुहूर्त और तिथि नहीं होता है. लेकिन 14 अप्रैल को बड़ी ही धूमधाम से सिख समुदाय के लोगों के द्वारा बैसाखी पर्व मनाया जाएगा. बैसाखी के दिन गंगा में स्नान के साथ-साथ दान भी करते हैं. सिख धर्म के अनुसार बैसाखी का दिन सिखों का साल का पहला दिन माना जाता है. इस दिन को नव वर्ष के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गुरुद्वारा के साथ साथ आस-पास के इलाके को सजाया जाता है.

घर में बनाए जाते हैं पकवान: ऑफिस घर को भी अच्छी तरह से सजाया जाता है. अच्छी-अच्छी पकवान बनाए जाते हैं. दोस्तों को खिलाया जाता है. साथ में सामूहिक गीत संगीत भी किया जाता है. पंजाब, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में बहुत ही जोर-शोर से बैसाखी का पर्व सिखों के द्वारा मनाया जाता है. आचार्य ने कहा कि बैसाखी के दिन प्रदेशों में सरकारी छुट्टियां भी होती है. बैसाखी का दिन अपने आप में बहुत ही पवित्र दिन सिखों के लिए है.

"वैसाखी के समय विशाखा नक्षत्र होता है. विसाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को वैसाखी कहते हैं. आज के दिन किसान नई फसल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि बैसाखी से ही एक नए साल के साथ नई फसल की भी शुरुआत होती है. यह त्यौहार सिख नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. आज के दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोविंद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. बिहार प्रदेश के मिथिलांचल के क्षेत्र में बैसाखी को जुड़ शीतल के नाम से भी मनाया जाता है. इसलिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को जौ का सत्तू और जल दिया जाता है. साथ ही पेड़ पौधे में भी जल देने का प्रावधान आज के दिन होता है."- मनोज मिश्रा, आचार्य

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