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मॉड्यूलर टॉयलेट्स का हाल: कहीं जड़ा ताला, तो कहीं जमी है गंदगी, कैसे बने पटना स्मार्ट सिटी?

मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण कराना सीएम सरकार का सराहनीय कदम रहा. इसके लिए खुद सीएम नीतीश ने पटना नगर निगम को धन्यवाद भी दिया. लेकिन इस मॉड्यूलर टॉयलेट को बने हुए कुछ महीने हुए हैं और इनका हाल बदहाल हो गया है.

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Published : Jun 12, 2019, 12:08 AM IST

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पटना: स्वच्छ भारत के तहत राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम ने कई जगहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण करवाया. जिससे राजधानीवासी शौचालय का नि:शुल्क इस्तेमाल कर सकें और राजधानी स्वच्छ और स्मार्ट दिखे. मगर ईटीवी भारत के रियालिटी चेक में ये टॉयलेट फेल हो गए हैं.

मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण कराना सीएम सरकार का सराहनीय कदम रहा. इसके लिए खुद सीएम नीतीश ने पटना नगर निगम को धन्यवाद भी दिया. लेकिन इस मॉड्यूलर टॉयलेट को बने हुए कुछ महीने हुए हैं और इनका हल बदहाल स्थिति में है.

एजेंसी की लापरवाही
बता दें कि इस मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण नगर निगम ने एक प्राइवेट एजेंसी से करवाया था. इसका रख रखाव, सुबह-शाम की सफाई भी इसी एजेंसी के जिम्मे थी. मगर करोड़ों की लागत से बने इन टॉयलेट्स का रखरखाव सही ढंग से नहीं किया जा रहा. कहीं पानी नहीं है, तो कहीं इतनी गंदगी फैली है कि उसकी तस्वीर भी हम आपको नहीं दिखा सकते.

ये है मॉड्यूलर टॉयलेट्स का हाल

यहां का हाल खराब
हम सबसे पहले संजय गांधी जैविक उद्यान गेट नंबर 2 के सामने बने मॉड्यूलर टॉयलेट का जायजा लेने पहुंचे. यहां की हालत बेहद खराब थी. लोगों से भी पता किया कि इस शौचालय का रखरखाव कैसा है और इसकी सुबह-शाम सफाई होती है? वहां, मौजूद दुकानदारों ने कैमरे के सामने बोलने से तो इंकार किया. लेकिन ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि जब से यह शौचालय का निर्माण हुआ है. तब से अभी तक कोई सफाईकर्मी यहां इसे साफ करने नहीं आया. शौचालय तो बना, लेकिन इसमें पानी की व्यवस्था नहीं की गई. वहीं, शौचालय की छत पर रखी टंकी सिर्फ दिखावे के लिए रखी नजर आयी.

सीएम आवास और राजभवन
इसके बाद हम पहुंचे सीएम आवास और राजभवन के पास बने टॉयलेट्स पर. यहां पर हमने इस शौचालय का रखरखाव तो सही पाया. लेकिन शौचालय के बाहर लगे हाथ धोने के लिए बेसिन खराब हो चुके हैं. स्थानीय नागरिक ने बताया कि टॉयलेट के निर्माण के बाद काफी राहत मिली है. हम शौच के लिए महज 10 रुपये खर्च करने होते हैं. वहीं, सिंचाई भवन के पास सचिवालय रोड के किनारे बने मॉड्यूलर टॉयलेट का रखरखाव तो अच्छा है, मगर इसमें मात्र एक ही कमी है कि इसका नलका खराब है.

यहां जड़ा ताला
इनकम टैक्स चौराहा, बेली रोड गांधी मैदान के चारों तरफ बने मॉडल टॉयलेट का जायजा लिया. तो कहीं ताला, तो कहीं गंदगी मिली. इस पर नगर निगम ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है और ना ही उस कंपनी पर कोई कार्रवाई की है, जिसके सिर इनके रख रखाव का जिम्मा था.

पटना: स्वच्छ भारत के तहत राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम ने कई जगहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण करवाया. जिससे राजधानीवासी शौचालय का नि:शुल्क इस्तेमाल कर सकें और राजधानी स्वच्छ और स्मार्ट दिखे. मगर ईटीवी भारत के रियालिटी चेक में ये टॉयलेट फेल हो गए हैं.

मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण कराना सीएम सरकार का सराहनीय कदम रहा. इसके लिए खुद सीएम नीतीश ने पटना नगर निगम को धन्यवाद भी दिया. लेकिन इस मॉड्यूलर टॉयलेट को बने हुए कुछ महीने हुए हैं और इनका हल बदहाल स्थिति में है.

एजेंसी की लापरवाही
बता दें कि इस मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण नगर निगम ने एक प्राइवेट एजेंसी से करवाया था. इसका रख रखाव, सुबह-शाम की सफाई भी इसी एजेंसी के जिम्मे थी. मगर करोड़ों की लागत से बने इन टॉयलेट्स का रखरखाव सही ढंग से नहीं किया जा रहा. कहीं पानी नहीं है, तो कहीं इतनी गंदगी फैली है कि उसकी तस्वीर भी हम आपको नहीं दिखा सकते.

ये है मॉड्यूलर टॉयलेट्स का हाल

यहां का हाल खराब
हम सबसे पहले संजय गांधी जैविक उद्यान गेट नंबर 2 के सामने बने मॉड्यूलर टॉयलेट का जायजा लेने पहुंचे. यहां की हालत बेहद खराब थी. लोगों से भी पता किया कि इस शौचालय का रखरखाव कैसा है और इसकी सुबह-शाम सफाई होती है? वहां, मौजूद दुकानदारों ने कैमरे के सामने बोलने से तो इंकार किया. लेकिन ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि जब से यह शौचालय का निर्माण हुआ है. तब से अभी तक कोई सफाईकर्मी यहां इसे साफ करने नहीं आया. शौचालय तो बना, लेकिन इसमें पानी की व्यवस्था नहीं की गई. वहीं, शौचालय की छत पर रखी टंकी सिर्फ दिखावे के लिए रखी नजर आयी.

सीएम आवास और राजभवन
इसके बाद हम पहुंचे सीएम आवास और राजभवन के पास बने टॉयलेट्स पर. यहां पर हमने इस शौचालय का रखरखाव तो सही पाया. लेकिन शौचालय के बाहर लगे हाथ धोने के लिए बेसिन खराब हो चुके हैं. स्थानीय नागरिक ने बताया कि टॉयलेट के निर्माण के बाद काफी राहत मिली है. हम शौच के लिए महज 10 रुपये खर्च करने होते हैं. वहीं, सिंचाई भवन के पास सचिवालय रोड के किनारे बने मॉड्यूलर टॉयलेट का रखरखाव तो अच्छा है, मगर इसमें मात्र एक ही कमी है कि इसका नलका खराब है.

यहां जड़ा ताला
इनकम टैक्स चौराहा, बेली रोड गांधी मैदान के चारों तरफ बने मॉडल टॉयलेट का जायजा लिया. तो कहीं ताला, तो कहीं गंदगी मिली. इस पर नगर निगम ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है और ना ही उस कंपनी पर कोई कार्रवाई की है, जिसके सिर इनके रख रखाव का जिम्मा था.

Intro:पटना---स्वच्छ भारत के तहत राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम में विभिन्न जगहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण करवाया जिससे राजधानी वासियों को निशुल्क शौचालय का इस्तेमाल कर सकें और राजधानी स्वच्छ और स्मार्ट बन सके

मॉड्यूलर टॉयलेट के निर्माण करने से पटना को स्वच्छ बनाने के लिए या कदम काफिर सराहनीय था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना नगर निगम को इसको लेकर धन्यवाद भी दिया था लेकिन इस मॉड्यूलर टॉयलेट का बने हुए कुछ महीने हुए हैं जिसका ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी टेस्ट की की नगर निगम द्वारा बनाए गए मॉड्यूलर टॉयलेट का रखरखाव कैसा है


Body:हम आपको बता दें कि इस मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण नगर निगम ने एक प्राइवेट एजेंसी से करवाया था और इस शौचालय का रखरखाव सुबह शाम सफाई भी उसी एजेंसी को करनी थी जो एजेंसी इस शौचालय का निर्माण करवाया था।

हमने सबसे पहले संजय गांधी जैविक उद्यान गेट नंबर 2 के सामने बने मॉड्यूलर टॉयलेट का जायजा लेने पहुंचे जहां पर उसकी आज हमने रियलिटी टेस्ट की वहां अगल-बगल लोगों से भी पता किया कि इस शौचालय का रखरखाव कैसा है और इसे सुबह शाम सफाई होती है वहां मौजूद दुकानदारों ने कैमरे के सामने बोलने से तो इंकार किया लेकिन ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि जब से यह शौचालय का निर्माण हुआ है तब से अभी तक कोई सफाई कर्मी यहां पर इसे साफ करने नहीं आया और शौचालय बना लेकिन इसमें पानी की व्यवस्था भी नहीं है हालांकि शौचालय के छत पर पानी की टंकी तो है लेकिन उसमें पानी नहीं आता हमने शौचालय में लगे नलका को खोला तो उसमें पानी ही नहीं निकला हम आपको बता दें कि यह शौचालय पटना के पॉश इलाके में है बगल में मुख्यमंत्री आवास और राजभवन है यहां पर लोगों को टॉयलेट करने के लिए नगर निगम ने इस शौचालय का निर्माण करवाया लेकिन इसका रखरखाव सही ढंग से नहीं पाया

यहां से हमने आगे बढ़ा सिंचाई भवन के पास नूतन अंचल कार्यालय के पास बने माड्यूलर टॉयलेट का रियलिटी टेस्ट करने पहुंचे तो यहां पर हमने इस शौचालय का रखरखाव तो सही पाया लेकिन शौचालय के बाहर लगे हाथ धोने के लिए बेसिन खराब पाया चुकी इस शौचालय का निर्माण कराने वाली कंपनी ही इस शौचालय का रखरखाव और जो सामान खराब है उस को बदलने के लिए अधिकृत है लेकिन अभी तक इसमें खराब सामान को बदला नहीं गया वहां पर एक सज्जन ने बताया की इस शौचालय का निर्माण नगर निगम के द्वारा कराया गया है और इसका लाभ हमें बहुत ही मिलता है क्योंकि जो हमारे पास सुबह शाम पांच ₹10 लगते थे वह नहीं लगता है यह निशुल्क शौचालय का इस्तेमाल करते हैं लेकिन शौचालय तो बढ़िया है इसमें पुरुष और महिला के लिए अलग अलग है पुरुष वाले में अंदर से एक सीट कि नहीं नहीं है जिसे हम अंदर से लॉक कर सकें इसमें एक यही कमियां हैं लेकिन शौचालय आम लोगों के लिए अच्छा है तो हम कर सकते हैं किस सिंचाई भवन के पास सचिवालय रोड के किनारे बने मॉड्यूलर टॉयलेट का रखरखाव तो अच्छा है इसमें मात्र एक ही कमियां है वह नलका काम नहीं करता

उसके बाद हमने हाई कोर्ट इनकम टैक्स चौराहा बेली रोड गांधी मैदान के चारों तरफ बने मॉडल टॉयलेट का जायजा लिया तो कहीं ताला तो कहीं गंदगी देखिए इस पर नगर निगम अभी तक कोई जवाब नहीं दे रहा है और ना जिस कंपनी को निर्माण कराने के लिए दिया था उस पर अभी कोई कार्रवाई हो रही है


Conclusion: हम आपको बता दें कि आज पटना के विभिन्न चौक चौराहों से हमने सरकारी शौचालय का रियलिटी टेस्ट किया जिसमें एक दो जगह छोड़कर बाकी सभी शौचालय का निर्माण तो हुआ लेकिन उसका रखरखाव सही नहीं पाया तो हम कह सकते हैं कि ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में नगर निगम का काम स्वच्छता को लेकर फीस्टी साबित हो रही है

ईटीवी भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट।
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