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मसौढी: बसौर चकिया का प्राथमिक विद्यालय खंडहर में तब्दील

शिक्षा में सुधार के दावे को मसौढी के बसौर चकिया का प्राथमिक विद्यालय आईना दिखा रहा है. जहां स्कूल में आज तक न खिडकी लगी न दरवाजा और अब भवन भी जर्जर होने लगा है.

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पटना
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Published : Oct 30, 2020, 3:28 PM IST

पटना(मसौढी): पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को खत्म हो गया है. अब दूसरे चरण में सभी राजनितिक पार्टियों की ओर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. साथ ही विकास के दावे किये जा रहे हैं. लेकिन बिहार में आज भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है.

शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था आज भी बदहाल है. मसौढी प्रखंड के बसौर चकिया प्राथमिक विद्यालय में आज तक न खिडकी लगी है न दरवाजा है. इतना ही नहीं रख रखाव न होने की वजह से दिवारों में दरारें आ चुकी हैं. स्कूलों में आज भी बच्चे अपने-अपने घरों से बैठने के लिए दरी और पीने के लिए पानी लेकर आते हैं.

शिक्षा की बदहाल व्यवस्था
ग्रामीणों की माने तो सरकारी स्कूलों मे पढ़ाई न के बराबर होता है. इस स्कूल मे 60 बच्चों का नामांकन है. लेकिन पढ़ाई न होने से कम बच्चे आ पाते हैं. वहीं, शिक्षक भी मनमाने ढंग से स्कूल आते हैं. स्कूल भवन भी जर्जर होने लगा है. कोई भी सरकारी अधिकारी इसकी सुधी लेने वाला नहीं है. ग्रामीणों ने स्कूल के जर्जर हालात के बारे में अदिकारियों से शिकायत भी की. लेकिन आज तक कोई पहल नहीं हो पाई है. ऐसे में बच्चे को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

पटना(मसौढी): पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को खत्म हो गया है. अब दूसरे चरण में सभी राजनितिक पार्टियों की ओर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. साथ ही विकास के दावे किये जा रहे हैं. लेकिन बिहार में आज भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है.

शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था आज भी बदहाल है. मसौढी प्रखंड के बसौर चकिया प्राथमिक विद्यालय में आज तक न खिडकी लगी है न दरवाजा है. इतना ही नहीं रख रखाव न होने की वजह से दिवारों में दरारें आ चुकी हैं. स्कूलों में आज भी बच्चे अपने-अपने घरों से बैठने के लिए दरी और पीने के लिए पानी लेकर आते हैं.

शिक्षा की बदहाल व्यवस्था
ग्रामीणों की माने तो सरकारी स्कूलों मे पढ़ाई न के बराबर होता है. इस स्कूल मे 60 बच्चों का नामांकन है. लेकिन पढ़ाई न होने से कम बच्चे आ पाते हैं. वहीं, शिक्षक भी मनमाने ढंग से स्कूल आते हैं. स्कूल भवन भी जर्जर होने लगा है. कोई भी सरकारी अधिकारी इसकी सुधी लेने वाला नहीं है. ग्रामीणों ने स्कूल के जर्जर हालात के बारे में अदिकारियों से शिकायत भी की. लेकिन आज तक कोई पहल नहीं हो पाई है. ऐसे में बच्चे को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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