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ब्रिटिशकालीन स्कूल का हाल खस्ताहाल, महीनों से बन्द है बच्चों का मध्यान भोजन

बिहार सरकार ने सन 1954 में अपने अधीन ले लिया था. लेकिन स्कूल की हालत अच्छी नहीं हुई. ये राजकीय बुनियादी विद्यालय चारदीवारी के अभाव में असुरक्षित है.

ब्रिटिश कालीन विद्यालय
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Published : Apr 23, 2019, 1:12 PM IST

पटनाः पालीगंज का ब्रिटिश कालीन विद्यालय अपनी अव्यवस्थाओं के कारण बदहाल है. यहां जिस भवन में चरखे चलाने व सूत काटने का प्रशिक्षण दिया जाता था, आज वह भूसा घर व तबेला बना हुआ है. 1919 में निर्मित यह राजकीय बुनियादी विद्यालय चारदीवारी के अभाव में असुरक्षित है. यहां महीनों से बच्चों का मध्यान भोजन भी बन्द है.

पालीगंज अनुमण्डल मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर निरखपुर गांव में ब्रिटिश काल के दौरान सन 1919 में राजकीय बुनियादी विद्यालय का निर्माण किया गया था. जनता को शिक्षित करने के ख्याल से स्थानीय जमींदार श्रीकांत सिंह ने महात्मा गांधी के विचार से प्रभावित होकर इसका निर्माण कराया था. विद्यालय के जिस भवन में चरखा चलाने और सूत काटने का प्रशिक्षण दिया जाता था, आज वह तबेला बना हुआ है.

1954 से बिहार सरकार के अधीन
इस स्कूल को बिहार सरकार ने सन 1954 में अपने अधीन ले लिया. वहीं, इस विद्यालय में 5 एकड़ का बहुत बड़ा खेल का मैदान है. विद्यालय में छात्रों को बागवानी का भी प्रशिक्षण दिया जाता था. लेकिन समय बदलने के साथ शिक्षकों का तबादला होता गया और विद्यालय के भवन गिरते गए. वहीं, इस ग्रामीण परिवेश में शिक्षकों का विद्यालय आना बन्द हो गया. देख-रेख के अभाव में विद्यालय का भवन गिर पड़ा.

ब्रिटिश कालीन विद्यालय में बयान देते बच्चे और रसोईया

नहीं हुआ चारदीवारी का निर्माण
10 साल पहले बिहार सरकार की ओर से विद्यालय के सुंदर भवन का निर्माण तो कराया गया. लेकिन चारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया. पालीगंज प्रखंड में बुनियादी विद्यालय की संख्या 3 है. सरकार की देख-रेख में शेष सभी विद्यालय में चारदीवारी का निर्माण कर सुरक्षित कर दिया गया. लेकिन इस विद्यालय का भवन चारदीवारी के अभाव में आज भी असुरक्षित है. विद्यालय में शौचालय भी नहीं है. अभी भी विद्यालय में 179 छात्र नामांकित हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक बहाल हैं. लेकिन विद्यालय में एक या दो शिक्षक ही उपलब्ध रहते हैं. इस समय विद्यालय में 10 से 15 छात्र ही उपस्थित रहते हैं.

स्कूल नहीं आते शिक्षक
विद्यालय पहुंच कर जायजा लिया गया तो वहां मात्र एक शिक्षक ही उपलब्ध थे. वहीं, कई महीनों से बच्चों का मध्यान भोजन बन्द है. बच्चों ने बताया कि हमलोगों को कई सालों से पोशाक की राशि नहीं दी गई है. वहीं, विद्यालय के रसोईया फुलवन्ति देवी ने बताया कि शिक्षक नहीं आते हैं तो बच्चे भी नहीं आते हैं. कई महीनों से मध्यान भोजन बन्द है. ग्रामीण वेद प्रकाश ने बताया कि विद्यालय में व्यवस्था सहित संसाधन का अभाव है. कई बार पालीगंज SDO सुरेंद्र कुमार से मिलकर शिकायत की गई. लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.

पटनाः पालीगंज का ब्रिटिश कालीन विद्यालय अपनी अव्यवस्थाओं के कारण बदहाल है. यहां जिस भवन में चरखे चलाने व सूत काटने का प्रशिक्षण दिया जाता था, आज वह भूसा घर व तबेला बना हुआ है. 1919 में निर्मित यह राजकीय बुनियादी विद्यालय चारदीवारी के अभाव में असुरक्षित है. यहां महीनों से बच्चों का मध्यान भोजन भी बन्द है.

पालीगंज अनुमण्डल मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर निरखपुर गांव में ब्रिटिश काल के दौरान सन 1919 में राजकीय बुनियादी विद्यालय का निर्माण किया गया था. जनता को शिक्षित करने के ख्याल से स्थानीय जमींदार श्रीकांत सिंह ने महात्मा गांधी के विचार से प्रभावित होकर इसका निर्माण कराया था. विद्यालय के जिस भवन में चरखा चलाने और सूत काटने का प्रशिक्षण दिया जाता था, आज वह तबेला बना हुआ है.

1954 से बिहार सरकार के अधीन
इस स्कूल को बिहार सरकार ने सन 1954 में अपने अधीन ले लिया. वहीं, इस विद्यालय में 5 एकड़ का बहुत बड़ा खेल का मैदान है. विद्यालय में छात्रों को बागवानी का भी प्रशिक्षण दिया जाता था. लेकिन समय बदलने के साथ शिक्षकों का तबादला होता गया और विद्यालय के भवन गिरते गए. वहीं, इस ग्रामीण परिवेश में शिक्षकों का विद्यालय आना बन्द हो गया. देख-रेख के अभाव में विद्यालय का भवन गिर पड़ा.

ब्रिटिश कालीन विद्यालय में बयान देते बच्चे और रसोईया

नहीं हुआ चारदीवारी का निर्माण
10 साल पहले बिहार सरकार की ओर से विद्यालय के सुंदर भवन का निर्माण तो कराया गया. लेकिन चारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया. पालीगंज प्रखंड में बुनियादी विद्यालय की संख्या 3 है. सरकार की देख-रेख में शेष सभी विद्यालय में चारदीवारी का निर्माण कर सुरक्षित कर दिया गया. लेकिन इस विद्यालय का भवन चारदीवारी के अभाव में आज भी असुरक्षित है. विद्यालय में शौचालय भी नहीं है. अभी भी विद्यालय में 179 छात्र नामांकित हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक बहाल हैं. लेकिन विद्यालय में एक या दो शिक्षक ही उपलब्ध रहते हैं. इस समय विद्यालय में 10 से 15 छात्र ही उपस्थित रहते हैं.

स्कूल नहीं आते शिक्षक
विद्यालय पहुंच कर जायजा लिया गया तो वहां मात्र एक शिक्षक ही उपलब्ध थे. वहीं, कई महीनों से बच्चों का मध्यान भोजन बन्द है. बच्चों ने बताया कि हमलोगों को कई सालों से पोशाक की राशि नहीं दी गई है. वहीं, विद्यालय के रसोईया फुलवन्ति देवी ने बताया कि शिक्षक नहीं आते हैं तो बच्चे भी नहीं आते हैं. कई महीनों से मध्यान भोजन बन्द है. ग्रामीण वेद प्रकाश ने बताया कि विद्यालय में व्यवस्था सहित संसाधन का अभाव है. कई बार पालीगंज SDO सुरेंद्र कुमार से मिलकर शिकायत की गई. लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.

Intro:पालीगंज चारदीवारी के अभाव में असुरक्षित है ब्रिटिश कालीन विद्यालय निरखपुर जिस भवन में दी जाती थी चरखे चलाने व सुत काटने का प्रशिक्षण वह बनी है भूसा घर व तबेला


Body:पटना पालीगंज अनुमण्डल मुख्यालय से12 किलोमीटर दूर पूर्व से नक्सल प्रभावित मेरा पतौना पंचायत स्थित निरखपुर गाँव मे ब्रिटिश काल के दौरान सन 1919 में निर्मित राजकीय बुनियादी विद्यालय चारदीवारी के अभाव में असुरक्षित है विद्यालय के जिस भवन में दी जाती थी चरखा चलाने सूत काटने का प्रशिक्षण व बनी है भूसा घर तबेला । जानकारी के अनुसार इस विद्यालय का निर्माण अपने जनता को शिक्षित करने के ख्याल से स्थानीय जमींदार श्रीकांत सिंह ने महात्मा गांधी के विचार से प्रभावित होकर सन 1919 में कराया था।उस जमाने मे यहाँ इलाके के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित विभिन गाँव के हजारों की संख्या में विद्यार्थी पढ़ ने के लिए आते थे वही इस विद्यालय में गांधी जी के प्रेरणा से ग्रामीणो को चरखा चलाने और सूत काटने का प्रशिक्षण दिया जाता था ।उस समय मे विद्यालय में शिक्षको की मौजूदगी पर्याप्त मात्रा में होती थी ।वही इस विद्यालय को विहार सरकार ने सन 19 54 में अपने अधीन ले लिया ।वही इस विद्यालय में 5 एकड़ का बहुत बड़ा खेल का मैदान है ।विद्यालय में छात्रों को वगवानी का भी प्रशिक्षण दिया जाता था लेकिन समय बदलने के साथ शिक्षको का तबादला होता गया और विद्यालय के भवन गिरते गया ।वही इस ग्रामीण परिवेश में शिक्षको का विद्यालय आना बन्द हो गया वही देख रेख के अभाव में विद्यालय के भवन गिर पड़ी । ज्ञात हो की 10 वर्ष पूर्व विहार सरकार की ओर से विद्यालय की सुंदर भवन का निर्माण तो कराया गया लेकिन चारदीवारी का निर्माण नही कराया गया ।पालीगंज प्रखंड में बुनियादी विद्यालय की सँख्या3 है ।सरकार के देख रेख में शेष सभी विद्यालय में चारदीवारी का निर्माण कर सुरक्षित कर दिया गया लेकिन इस विद्यालय की भवन चारदीवारी के अभाव में आज भी असुरक्षित है।वही सुंदर सुंदर भवन का निर्माण तो होगया है लेकिन आज भी विद्यालय में शौचालय नही है । वही अभी विद्यालय में 179 छात्र नामांकित है जिन्हें पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक बहाल है लेकिन विद्यालय में एक दो शिक्षक ही उपलब्ध रहते है विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति नाममात्र 10 से 15 ही छात्र उपस्थित रहते है विद्यालय पहुँच कर जायजा लेने के बाद विद्यालय में मात्र एक शिक्षक ही उपलब्ध थे वही कई महीनों से बच्चों का मध्यान भोजन बन्द है बच्चों ने शिकायत किया कि हमलोगो को कई वर्षों से पोशाक की राशि नही दिया गया है ।वही विद्यालय के रसोईया फुलवन्ति देवी ने बताया कि शिक्षक नही आते है तो बच्चों भी नही आते है कई महीनों से मध्यान भोजन बन्द है जाहिर सी बात है कि एक तरफ सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दवा करती है और दूसरे तरफ संसाधन के अभाव मे छात्रों के पढ़ाई बाधित हो रहा है ।


Conclusion:ग्रामीण वेद प्रकाश ने बताया की विद्यालय में वयवस्था सहित संसाधन की अभाव के वारे में कई बार पालीगंज SDO सुरेंद्र कुमार से मिलकर कई बार शिकायत किया लेकिन कोई सुधार नही हुआ वही विद्यालय के 6 वर्ग के छात्र अमरनाथ ने बताया कि विद्यालय में शिक्षक नही आते है । वाइट (छात्र अमरनाथ ) रसोइया (फुलबन्ति देवी ) (
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