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बिहार में उच्च शिक्षा बदहाल, हजारों नेट पास छात्रों को नहीं मिल रहे गाइड - बिहार में शिक्षकों की कमी

बिहार के करीब 20 हजार छात्र नेट की परीक्षा पास कर चुके हैं. इनमें से करीब 4 हजार छात्र ऐसे हैं जो पीएचडी तो करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें गाइड नहीं मिल रहे हैं. शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों को यह परेशानी आ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

bad condition of higher education in bihar
बिहार में उच्च शिक्षा बदहाल
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Published : Sep 2, 2021, 7:13 AM IST

Updated : Sep 2, 2021, 8:04 AM IST

पटना: पूरा देश बिहारी प्रतिभा का लोहा मानता है. बिहार के छात्रों ने हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि बिहार में उच्च शिक्षा (Higher Education) बदहाल है. पिछले तीन दशक से शिक्षा व्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही है. विडंबना यह है कि छात्रों को पीएचडी (PHD) करने के लिए गाइड नहीं मिल रहे.

यह भी पढ़ें- बिहार शिक्षा विभाग 10 महिला समेत 20 शिक्षकों को करेगा सम्मानित, देखें सूची

बिहार में उच्च शिक्षा दम तोड़ रही है. विश्वविद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव है. 20 फीसदी शिक्षकों के बदौलत पठन-पाठन का कार्य चल रहा है. शिक्षकों के अभाव में छात्र पलायन को मजबूर हैं. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) में कमी आने के बाद बिहार में पठन-पाठन का काम शुरू हो रहा है. विश्वविद्यालय और कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में लगभग 20 हजार छात्र नेट की परीक्षा पास कर चुके हैं. तमाम छात्र पीएचडी करना चाहते हैं. इनमें 3500 से 4000 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें पीएचडी के लिए गाइड नहीं मिल रहे हैं. वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. अकेले इतिहास विभाग में 300 छात्रों का इनरोलमेंट पीएचडी के लिए नहीं हो सका है. दरअसल बिहार के विश्वविद्यालयों में व्याख्याताओं की कमी है. कई विभाग एक शिक्षक के बदौलत चल रहे हैं. एक शिक्षक 5 छात्रों को पीएचडी करा सकते हैं और रिटायर शिक्षक 3 छात्रों को पीएचडी करा सकते हैं.

पटना विश्वविद्यालय में कई ऐसे विभाग हैं जहां या तो शिक्षक नहीं हैं या फिर एक शिक्षक के बदौलत विभाग चल रहा है. कई ऐसे भी विभाग हैं जहां छात्र एमए तो पास कर लेते हैं, लेकिन पीएचडी नहीं कर सकते. क्योंकि उस विषय के विशेषज्ञ शिक्षक वहां नहीं हैं. मिसाल के तौर पर पत्रकारिता, पीएमआईआर, सोशल वर्क और रूरल डेवलपमेंट जैसे विषय से छात्र पीएचडी नहीं कर सकते.

पटना विश्वविद्यालय के छात्र मीर सैफ अली ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया. सैफ ने कहा, 'विश्वविद्यालय में शिक्षकों का घोर अभाव है, जिसके चलते पठन-पाठन का कार्य पूरी तरह बाधित है.'

"पटना विश्वविद्यालय में सैकड़ों की संख्या में छात्र नेट पास कर चुके हैं, लेकिन शिक्षकों के अभाव में उनका इनरोलमेंट पीएचडी के लिए नहीं हो रहा है. छात्र दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर गाइड ढूंढ रहे हैं."- ओसामा खुर्शीद, छात्र, पटना विश्वविद्यालय

"पटना विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा की पढ़ाई की स्थिति में गिरावट आई है. शिक्षकों के अभाव के चलते पठन-पाठन बाधित हुआ है. बड़ी संख्या में छात्र गाइड के लिए भटक रहे हैं. व्याख्याताओं की भर्ती से ही समस्या का हल होगा."- नीतीश कुमार टन टन, सदस्य, पटना विश्वविद्यालय सिंडिकेट

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी भी पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. गाइड के सवाल पर उन्होंने कहा, 'पीएचडी करने वाले जो छात्र गाइड खोज रहे हैं उन्हें गाइड मिल रहे हैं. जिन्हें गाइड नहीं मिल रहे हैं उन्हें हम दिलाएंगे.

यह भी पढ़ें- बिहार पंचायत चुनाव: पहले चरण के लिए आज से नामांकन

पटना: पूरा देश बिहारी प्रतिभा का लोहा मानता है. बिहार के छात्रों ने हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि बिहार में उच्च शिक्षा (Higher Education) बदहाल है. पिछले तीन दशक से शिक्षा व्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही है. विडंबना यह है कि छात्रों को पीएचडी (PHD) करने के लिए गाइड नहीं मिल रहे.

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बिहार में उच्च शिक्षा दम तोड़ रही है. विश्वविद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव है. 20 फीसदी शिक्षकों के बदौलत पठन-पाठन का कार्य चल रहा है. शिक्षकों के अभाव में छात्र पलायन को मजबूर हैं. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) में कमी आने के बाद बिहार में पठन-पाठन का काम शुरू हो रहा है. विश्वविद्यालय और कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में लगभग 20 हजार छात्र नेट की परीक्षा पास कर चुके हैं. तमाम छात्र पीएचडी करना चाहते हैं. इनमें 3500 से 4000 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें पीएचडी के लिए गाइड नहीं मिल रहे हैं. वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. अकेले इतिहास विभाग में 300 छात्रों का इनरोलमेंट पीएचडी के लिए नहीं हो सका है. दरअसल बिहार के विश्वविद्यालयों में व्याख्याताओं की कमी है. कई विभाग एक शिक्षक के बदौलत चल रहे हैं. एक शिक्षक 5 छात्रों को पीएचडी करा सकते हैं और रिटायर शिक्षक 3 छात्रों को पीएचडी करा सकते हैं.

पटना विश्वविद्यालय में कई ऐसे विभाग हैं जहां या तो शिक्षक नहीं हैं या फिर एक शिक्षक के बदौलत विभाग चल रहा है. कई ऐसे भी विभाग हैं जहां छात्र एमए तो पास कर लेते हैं, लेकिन पीएचडी नहीं कर सकते. क्योंकि उस विषय के विशेषज्ञ शिक्षक वहां नहीं हैं. मिसाल के तौर पर पत्रकारिता, पीएमआईआर, सोशल वर्क और रूरल डेवलपमेंट जैसे विषय से छात्र पीएचडी नहीं कर सकते.

पटना विश्वविद्यालय के छात्र मीर सैफ अली ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया. सैफ ने कहा, 'विश्वविद्यालय में शिक्षकों का घोर अभाव है, जिसके चलते पठन-पाठन का कार्य पूरी तरह बाधित है.'

"पटना विश्वविद्यालय में सैकड़ों की संख्या में छात्र नेट पास कर चुके हैं, लेकिन शिक्षकों के अभाव में उनका इनरोलमेंट पीएचडी के लिए नहीं हो रहा है. छात्र दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर गाइड ढूंढ रहे हैं."- ओसामा खुर्शीद, छात्र, पटना विश्वविद्यालय

"पटना विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा की पढ़ाई की स्थिति में गिरावट आई है. शिक्षकों के अभाव के चलते पठन-पाठन बाधित हुआ है. बड़ी संख्या में छात्र गाइड के लिए भटक रहे हैं. व्याख्याताओं की भर्ती से ही समस्या का हल होगा."- नीतीश कुमार टन टन, सदस्य, पटना विश्वविद्यालय सिंडिकेट

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी भी पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. गाइड के सवाल पर उन्होंने कहा, 'पीएचडी करने वाले जो छात्र गाइड खोज रहे हैं उन्हें गाइड मिल रहे हैं. जिन्हें गाइड नहीं मिल रहे हैं उन्हें हम दिलाएंगे.

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Last Updated : Sep 2, 2021, 8:04 AM IST
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