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रियलिटी चेक: स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल, तीसरी लहर की दस्तक के बीच अस्पतालों में लटका मिला ताला

कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रही है. पिछले 2 साल से सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में जुटी है, लेकिन ईटीवी भारत की रियलिटी चेक में सरकार के दावों की पोल खुल गई. देखें रिपोर्ट..

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अस्पतालों का बुरा हाल
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Published : Dec 31, 2021, 8:17 AM IST

पटना: कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (New Variant Omicron In Bihar) ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. ओमीक्रोन से एक युवक के संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चिंता बढ़ गयी है. क्योंकि बिहार राज्य अब तक ओमीक्रोन वैरिएंट को लेकर सुरक्षित था. वहीं, अगर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो, स्थिति बद से बदतर है. शहरों में तो स्वास्थ्य व्यवस्था थोड़ी बहुत ठीक दिखती भी है लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है.

इसे भी पढ़ें: Year Ender 2021: इस साल मसौढ़ी ने कई अपनों को खोया, कई सरकारी योजनाएं भी रह गई अधूरी

तीसरी लहर ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. यहां संक्रमित मरीजों की संख्या (Corona Positive cases increased in Bihar) लगातार बढ़ रही है. सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए फुलप्रूफ तैयारियों के दावे कर रही है. जिसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए पटना से 15 किलोमीटर दूर ग्रामीण इलाकों का दौरा किया. जहां स्वास्थ्य केंद्र पर भ्रमण के बाद चौंका देने वाले तथ्य सामने आया है.

ये भी पढ़ें: ओमीक्रोन को लेकर IMA की सलाह: डरने की जरूरत नहीं, मास्क और हैंड सैनिटाइजर का करते रहे प्रयोग

ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले फुलवारी थाना क्षेत्र के गौन पूरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. जहां स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ था और कोई स्वास्थ्य कर्मी भी मौजूद नहीं था. ग्रामीणों ने बताया कि महीने में एक या दो दिन ही यहां स्वास्थ्य कर्मी आते हैं. इसके बाद अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम जानीपुर स्थित शोरमपुर गांव के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, तो वहां भी सब कुछ नदारद था. अस्पताल में ताला लटका था स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम रोज एक या डेढ़ घंटे के लिए आती है लेकिन कोई चिकित्सक नहीं आते.

देखें रिपोर्ट.

आपको बता दें कि बिहार में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के हिसाब से चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं है. बिहार में 20,000 की आबादी पर एक चिकित्सक हैं. जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होने चाहिए. बिहार में प्रति 10000 आबादी पर एक नर्स उपलब्ध हैं नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में निचले पायदान पर है. बिहार से नीचे सिर्फ उत्तर प्रदेश है.

'हमारे गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कभी खुलता नहीं है. चिकित्सक को तो मैंने कभी देखा ही नहीं. स्वास्थ्य केंद्र में हमें कोई सुविधा नहीं मिलती न तो यहां डॉक्टर आते हैं और न कोई इलाज की व्यवस्था है. आपात काल में हमलोगों को झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता हैं.' -संजय यादव, स्थानीय

स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि जानीपुर स्थित सोरमपुर गांव में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र है. स्वास्थ्य केंद्र एक या डेढ़ घंटे के लिए हर रोज खुलता है लेकिन चिकित्सक नदारद रहते हैं. ग्रामीण नीरज का कहना है कि अस्पताल सिर्फ नाम का है. गांव वालों को कोई फायदा नहीं मिलता चिकित्सक को आज तक हम लोगों ने देखा ही नहीं है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार कैसे पिछड़ गया इसका जवाब बिहार सरकार के अधिकारियों के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत का कहना है कि इस मामले में बाद में मैं स्पष्टीकरण दूंगा. बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे दावे करने में पीछे नहीं हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि हम तैयारियों में जुटे हैं चिकित्सकों की नियुक्ति की जा रही है और तमाम बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था की जा चुकी है. बिहार तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है.

'कोरोना के नए वैरियंट को लेकर जो भी स्वास्थ्य सुविधाएं चाहिए उसे लेकर हमलोग बेहतर कार्य कर रहे हैं. कई अस्पताल में प्लांट लगाए गए है. कई मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन टैंक लगाए गए हैं. आईसीयू की बेड सदर और मेडिकल अस्पतालों में बढ़ायी जा रही है.' -मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चिकित्सक गांव तक जाना नहीं चाहते आईएमए के प्रेसिडेंट डॉक्टर सहजानंद ने कहा है कि हमने अपने सदस्यों से कहा है कि हर चिकित्सक अपने गांव जाएं और वहां जाकर लोगों का इलाज करें हमने आईएमए के बैठक में चलो गांव की ओर का नारा भी दिया है.

बता दें कि बीते गुरुवार को ओमीक्रोन मरीज की पुष्टि राज्य स्वास्थ्य समिति के ईडी संजय सिंह द्वारा की गयी है. इसकी जानकारी पटना जिलाधिकारी को भी दे दी गयी है. बताया जा रहा है कि किदवईपुरी का रहने वाला युवक विदेश से आए हुआ अपने भाई से मिलने दिल्ली गया था. इसका भाई दिल्ली में क्वारंटाइन है. ओमीक्रोन का लक्षण पाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने उसे क्वारंटीन कर दिया है.

बता दें कि पूरे देश में 1,159 मरीज ओमीक्रोन के मिल चुके हैं. देश में लगभग 49 दिनों के बाद कोविड-19 संक्रमण के एक दिन में 13,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं. बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में जबरदस्त तेजी आई है. एक दिन में 132 सक्रिय मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है. अकेले राजधानी पटना में 60 मरीज मिले हैं.

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पटना: कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (New Variant Omicron In Bihar) ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. ओमीक्रोन से एक युवक के संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चिंता बढ़ गयी है. क्योंकि बिहार राज्य अब तक ओमीक्रोन वैरिएंट को लेकर सुरक्षित था. वहीं, अगर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो, स्थिति बद से बदतर है. शहरों में तो स्वास्थ्य व्यवस्था थोड़ी बहुत ठीक दिखती भी है लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है.

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तीसरी लहर ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. यहां संक्रमित मरीजों की संख्या (Corona Positive cases increased in Bihar) लगातार बढ़ रही है. सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए फुलप्रूफ तैयारियों के दावे कर रही है. जिसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए पटना से 15 किलोमीटर दूर ग्रामीण इलाकों का दौरा किया. जहां स्वास्थ्य केंद्र पर भ्रमण के बाद चौंका देने वाले तथ्य सामने आया है.

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ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले फुलवारी थाना क्षेत्र के गौन पूरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. जहां स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ था और कोई स्वास्थ्य कर्मी भी मौजूद नहीं था. ग्रामीणों ने बताया कि महीने में एक या दो दिन ही यहां स्वास्थ्य कर्मी आते हैं. इसके बाद अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम जानीपुर स्थित शोरमपुर गांव के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, तो वहां भी सब कुछ नदारद था. अस्पताल में ताला लटका था स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम रोज एक या डेढ़ घंटे के लिए आती है लेकिन कोई चिकित्सक नहीं आते.

देखें रिपोर्ट.

आपको बता दें कि बिहार में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के हिसाब से चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं है. बिहार में 20,000 की आबादी पर एक चिकित्सक हैं. जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होने चाहिए. बिहार में प्रति 10000 आबादी पर एक नर्स उपलब्ध हैं नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में निचले पायदान पर है. बिहार से नीचे सिर्फ उत्तर प्रदेश है.

'हमारे गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कभी खुलता नहीं है. चिकित्सक को तो मैंने कभी देखा ही नहीं. स्वास्थ्य केंद्र में हमें कोई सुविधा नहीं मिलती न तो यहां डॉक्टर आते हैं और न कोई इलाज की व्यवस्था है. आपात काल में हमलोगों को झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता हैं.' -संजय यादव, स्थानीय

स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि जानीपुर स्थित सोरमपुर गांव में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र है. स्वास्थ्य केंद्र एक या डेढ़ घंटे के लिए हर रोज खुलता है लेकिन चिकित्सक नदारद रहते हैं. ग्रामीण नीरज का कहना है कि अस्पताल सिर्फ नाम का है. गांव वालों को कोई फायदा नहीं मिलता चिकित्सक को आज तक हम लोगों ने देखा ही नहीं है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार कैसे पिछड़ गया इसका जवाब बिहार सरकार के अधिकारियों के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत का कहना है कि इस मामले में बाद में मैं स्पष्टीकरण दूंगा. बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे दावे करने में पीछे नहीं हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि हम तैयारियों में जुटे हैं चिकित्सकों की नियुक्ति की जा रही है और तमाम बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था की जा चुकी है. बिहार तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है.

'कोरोना के नए वैरियंट को लेकर जो भी स्वास्थ्य सुविधाएं चाहिए उसे लेकर हमलोग बेहतर कार्य कर रहे हैं. कई अस्पताल में प्लांट लगाए गए है. कई मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन टैंक लगाए गए हैं. आईसीयू की बेड सदर और मेडिकल अस्पतालों में बढ़ायी जा रही है.' -मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चिकित्सक गांव तक जाना नहीं चाहते आईएमए के प्रेसिडेंट डॉक्टर सहजानंद ने कहा है कि हमने अपने सदस्यों से कहा है कि हर चिकित्सक अपने गांव जाएं और वहां जाकर लोगों का इलाज करें हमने आईएमए के बैठक में चलो गांव की ओर का नारा भी दिया है.

बता दें कि बीते गुरुवार को ओमीक्रोन मरीज की पुष्टि राज्य स्वास्थ्य समिति के ईडी संजय सिंह द्वारा की गयी है. इसकी जानकारी पटना जिलाधिकारी को भी दे दी गयी है. बताया जा रहा है कि किदवईपुरी का रहने वाला युवक विदेश से आए हुआ अपने भाई से मिलने दिल्ली गया था. इसका भाई दिल्ली में क्वारंटाइन है. ओमीक्रोन का लक्षण पाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने उसे क्वारंटीन कर दिया है.

बता दें कि पूरे देश में 1,159 मरीज ओमीक्रोन के मिल चुके हैं. देश में लगभग 49 दिनों के बाद कोविड-19 संक्रमण के एक दिन में 13,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं. बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में जबरदस्त तेजी आई है. एक दिन में 132 सक्रिय मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है. अकेले राजधानी पटना में 60 मरीज मिले हैं.

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