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कैसे संवरेगा देश का भविष्य! दो शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाएं, मुश्किल में बच्चों की पढ़ाई - मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी

बच्चे आने वाले कल के भविष्य हैं. इन पर देश का भविष्य टिका है. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा और बेहतर सीख दी जाए. इसकी जिम्मदेरी शिक्षक पर होती है, जो बच्चों को शिक्षा के आसमान में उड़ने का पंख देते हैं. लेकिन जब स्कूल में शिक्षक ही ना हो, तो देश और बच्चों का भविष्य का क्या होगा. पटना से सटे मसौढ़ी में सरकारी स्कूलों का भी हाल कुछ ऐसा ही है.

मसौढ़ी में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
मसौढ़ी में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
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Published : Oct 10, 2022, 11:10 PM IST

मसौढ़ी: शिक्षा को लेकर सरकारें करोड़ों लाखों रुपये खर्च करने का दावा करती है. पर, इन दावों की सच्चाई कुछ और कहानी बयां करती है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था (Education System In Bihar) का हाल भी ऐसा ही है. जहां सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करने की दावा करती है तो जमीनी हकीकत यह है कि दो शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाएं चल रही है. मसौढ़ी प्रखंड के दरियापुर पूर्वी स्थित यह सरकारी मध्य विद्यालय शिक्षा की बदहाली का प्रत्यक्ष (Bad Condition OF Government School In Masaurhi) उदाहरण है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया.

यह भी पढ़ें: शिक्षा की गुणवत्ता जानने सारण के डीएम बने दसवीं क्लास के विद्यार्थी


दो शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाएं: मसौढ़ी प्रखंड के मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी में महज 2 शिक्षक के भरोसे 8 कक्षाएं चल रही हैं. यहां करीब 300 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. नतीजन शिक्षक तो परेशान है ही, छात्र छात्राओं को भी पठन-पाठन में कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर स्थानीय लोगों में भी गुस्सा पनप रहा है. स्थानीय ग्रामीण विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ती जल्द नहीं की तो स्कूल में ताला लगा देंगे.

यह भी पढ़ें: बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल देखिए- यहां पेड़ों के नीचे लगती है पाठशाला, 70 साल से नहीं बदली तस्वीर

एक ही क्लास में तीन कक्षा के छात्र: स्थिति यह है कि हर एक कमरे में तीन-तीन कक्षाओं के बच्चे पढ़ रहे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह की पढ़ाई हो रही है. यहां पढ़ाई के नाम पर औपचारिकताएं निभायी जा रही है. छात्रों की माने तो एक ही रूम में तीन कक्षाएं के चलने पढ़ने में बहुत तरह की समस्या होती हैं. ना कुछ समझ में आता है और ना हमलोग अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं. आठवीं कक्षा की छात्रा पूजा कुमारी ने बताया कि स्कूल में बहुत तरह की परेशानी हैं.

"हर कमरे में जा-जाकर पढ़ाना पड़ता हैं. ऐसे में काफी परेशानी हो रही है. इस संबंध में कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को बताया गया. स्कूल में शिक्षकों को कमी है. जिससे बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है" -कृष्णा कुमारी, शिक्षक, मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति: दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे इस विधायल में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ती की जा रही है. दो टीचर ना सिर्फ सभी विषयों की पढ़ाई करवाते हैं, बल्कि इन पर सभी कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई कराने का जिम्मा भी है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई बाधित हो रहा है. छात्रों का कहना है कि टीचर जो पढ़ाते है, वह ठीक से समझ में नहीं आता. स्कूल के दोनों शिक्षक भी काफी परेशान हैं. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत की गयी, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई.

"मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी में 3 शिक्षक हैं. जिसमें 2 शिक्षक रेगुलर जा रहे हैं. एक शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर है. जल्द ही उस शिक्षक को प्रतिनियुक्ति पर वहां लगाया जाएगा. कोशिश है कि दो और शिक्षक विद्यालय में नियुक्त किया जाए, ताकि पठन-पाठन सुचारू रूप से हो सके" -नवल किशोर सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी


मसौढ़ी: शिक्षा को लेकर सरकारें करोड़ों लाखों रुपये खर्च करने का दावा करती है. पर, इन दावों की सच्चाई कुछ और कहानी बयां करती है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था (Education System In Bihar) का हाल भी ऐसा ही है. जहां सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करने की दावा करती है तो जमीनी हकीकत यह है कि दो शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाएं चल रही है. मसौढ़ी प्रखंड के दरियापुर पूर्वी स्थित यह सरकारी मध्य विद्यालय शिक्षा की बदहाली का प्रत्यक्ष (Bad Condition OF Government School In Masaurhi) उदाहरण है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया.

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दो शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाएं: मसौढ़ी प्रखंड के मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी में महज 2 शिक्षक के भरोसे 8 कक्षाएं चल रही हैं. यहां करीब 300 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. नतीजन शिक्षक तो परेशान है ही, छात्र छात्राओं को भी पठन-पाठन में कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर स्थानीय लोगों में भी गुस्सा पनप रहा है. स्थानीय ग्रामीण विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ती जल्द नहीं की तो स्कूल में ताला लगा देंगे.

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एक ही क्लास में तीन कक्षा के छात्र: स्थिति यह है कि हर एक कमरे में तीन-तीन कक्षाओं के बच्चे पढ़ रहे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह की पढ़ाई हो रही है. यहां पढ़ाई के नाम पर औपचारिकताएं निभायी जा रही है. छात्रों की माने तो एक ही रूम में तीन कक्षाएं के चलने पढ़ने में बहुत तरह की समस्या होती हैं. ना कुछ समझ में आता है और ना हमलोग अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं. आठवीं कक्षा की छात्रा पूजा कुमारी ने बताया कि स्कूल में बहुत तरह की परेशानी हैं.

"हर कमरे में जा-जाकर पढ़ाना पड़ता हैं. ऐसे में काफी परेशानी हो रही है. इस संबंध में कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को बताया गया. स्कूल में शिक्षकों को कमी है. जिससे बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है" -कृष्णा कुमारी, शिक्षक, मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति: दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे इस विधायल में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ती की जा रही है. दो टीचर ना सिर्फ सभी विषयों की पढ़ाई करवाते हैं, बल्कि इन पर सभी कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई कराने का जिम्मा भी है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई बाधित हो रहा है. छात्रों का कहना है कि टीचर जो पढ़ाते है, वह ठीक से समझ में नहीं आता. स्कूल के दोनों शिक्षक भी काफी परेशान हैं. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत की गयी, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई.

"मध्य विद्यालय दरियापुर पूर्वी में 3 शिक्षक हैं. जिसमें 2 शिक्षक रेगुलर जा रहे हैं. एक शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर है. जल्द ही उस शिक्षक को प्रतिनियुक्ति पर वहां लगाया जाएगा. कोशिश है कि दो और शिक्षक विद्यालय में नियुक्त किया जाए, ताकि पठन-पाठन सुचारू रूप से हो सके" -नवल किशोर सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी


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