पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है लेकिन राज्य में कोरोना टेस्ट का जो प्रोटोकॉल है उससे लगता है कि सरकार कोरोना संक्रमण को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है. IGIMS समेत कई अस्पताल जहां कोरोना टेस्ट किये जा रहे हैं वहां सैंपल लेने के 15 दिनों के बाद इसका रिपोर्ट दिया जा रहा है. अब सवाल ये उठता है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुआ तो रिपोर्ट आने के पहले 15 दिनों तक वह खुले में घूमकर न जाने कितनों को संक्रमित कर सकता है.
राज्य में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा 19 हजार से कुछ ही कम रहा गया है लेकिन ऐसे में भी कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने को लेकर सरकार सचेत नहीं हो रही. सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि रैपिड टेस्टिंग के जरिये कोरोना रिपोर्ट आधे घंटे के अंदर आ जायेगी लेकिन जमीनी हकीकत दावों से इतर है. जांच रिपोर्ट आने में 10 से 15 दिनों तक वक्त लग रहा है. कई जगहों पर तो क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद लोगों को जांच रिपोर्ट मिल रही है.
दो सप्ताह बाद कोरोना रिपोर्ट
आरा जिले में क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे कई लोगों का सैंपल लेकर 25 जून को कोरोना जांच के लिए आईजीआईएमएस भेजा गया था. उनकी रिपोर्ट 11 जुलाई को आई. यानी 17 दिनों के बाद. इसमें कई रिपोर्ट नेगेटिव रहे तो कईयों की रिपोर्ट पॉजिटिव भी आई थी. ये तो आम लोगों की बात हो गई. खास लोगों की जांच रिपोर्ट भी कई दिनों के बाद आ रही है. मुख्यमंत्री आवास के कर्मी और कई मंत्रियों की जांच रिपोर्ट भी 5 दिनों के बाद आई.
सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है
कोरोना संक्रमण को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने में 15 दिन लग जाते हैं. ऐसे में आप कल्पना करिए कि कितने लोगों को इस दौरान उस आदमी ने संक्रमित किया होगा. राजद ने भी सरकार को घेरा है. पार्टी प्रवक्ता रामानुज प्रसाद ने कहा है कि सरकार कोरोना से निपटने में पूरी तरह फेल साबित हुई है. न जांच की व्यवस्था है. न अस्पताल में जगह है. सरकार सिर्फ लंबे चौड़े दावे कर रही है.
स्वास्थ्य मंत्री को नहीं है जानकारी
वहीं पूरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने ईटीवी भारत से कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. दो-चार दिन की देरी हो सकती है लेकिन इतना लंबा समय नहीं लग सकता है. ऐसे में लगता है कि स्वास्थ्य मंत्री ने आईजीआईएमएस की रिपोर्ट नहीं देखी जिसमें साफ-साफ बड़े शब्दों में सैंपल लेने की तारिख और रिपोर्ट मिलने की तारिख लिखी गई है. ये सारी बातें राज्य में कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने में सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाती हैं.