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'सुप्रीम' फैसले का आयुष चिकित्सकों ने किया स्वागत, SC ने कहा- इम्‍युनिटी के लिए आयुष डॉक्‍टर दे सकते हैं दवाइयांं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिए गए फैसले में कहा कि इम्‍युनिटी के लिए आयुष डॉक्‍टर दवाइयां दे सकते हैं. जिसे आयुष चिकित्सकों ने स्वागत योग्य कदम बताया है.

पटना
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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Published : Dec 15, 2020, 9:09 PM IST

पटना: सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले का आयुष चिकित्सकों ने स्वागत किया है. उन्हें सरकार द्वारा अनुमोदित मिश्रण का उपयोग करके ही इलाज करने की अनुमति मिल गई है. इस पर आयुष चिकित्सकों के संघ और राजकीय आयुर्वेद कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला आने वाले समय में आयुष चिकित्सा को नई ऊंचाई देगा.

उच्चतम न्यायलय का फैसला स्वागत योग्य
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के संघ बिहार प्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन के अध्यक्ष वैद्य धनंजय शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है. वे इस फैसले का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों के कार्य को देखते हुए यह फैसला लिया है. पूरे भारतवर्ष में और पूरे विश्व में इस कोरोना काल के दौरान आयुर्वेद से लोग लाभान्वित हैं. जिस प्रकार कोरोना से बचाव को लेकर इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर काढ़ा का प्रयोग किया गया. जिसे भारत सरकार के तरफ से गाइडलाइन भी जारी किया गया था. जिस कारण काफी लोगों को फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब बातों को गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों को कोरोना के इलाज की अनुमति दी है.

कोरोना का विशेष इलाज नहीं, आयुर्वेदिक दवाई नहीं करता रिएक्शन
वहीं, पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ विजय शंकर दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना का कोई विशेष इलाज नहीं होता है. यह संक्रमण प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है. उन्होंने कहा कि किसी को ज्वार रहता है, तो किसी को सांस लेने में तकलीफ रहती है. वहीं, किसी में किसी प्रकार का लक्ष्ण ही नहीं दिखता है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आयुष चिकित्सकों ने किया स्वागत

उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में किसी भी चिकित्सा पद्धति में फर्क नहीं है. आयुर्वेद यहां मुलेठी, तुलसी, अश्वगंधा, गुरुच दालचीनी इत्यादि देते हैं. वही एलोपैथिक वाले विटामिन सी खिलाते हैं, जिंक देते हैं विटामिन डी देते हैं. उन्होंने कहा कि इन सब के बीच जो नेचुरल सोर्सेस से दवाइयां बनते हैं, वह ज्यादा लाभकारी है.

केमिकल और नेचुरल का फर्क अब सब पहचानने लगे हैं
विजय शंकर ने कहा कि इस बात को तो अब सब लोग मानने लगे हैं कि केमिकल और नेचुरल में बहुत फर्क है. नेचुरल सोर्सेस से आने वाली दवाइयां अधिकतर लाभ पहुंचाती हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के पास इतनी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में पहले से मौजूद है. वह कोरोना के सभी लक्षणों का इलाज कर सकें.

SC की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के दिए गए फैसले पर मुहर लगाया. मंगलवार को माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि आयुष और होमियोपैथ डॉक्टर कोरोना के इलाज के रूप में किसी दवा को नहीं लिख सकते हैं और न ही इसका विज्ञापन कर सकते हैं. लेकिन मरीजों के लिए पारंपरिक उपचार में ऐड-ऑन दवा (प्रतिरक्षा बूस्टर) के रूप में सरकार द्वारा अनुमोदित टैबलेट और मिश्रण निर्धारित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 6 मार्च के आयुष मंत्रालय के नोटिफिकेशन को बरकरार रखा है.

क्या था 6 मार्च का नोटिफिकेशन
आयुष मंत्रालय ने 6 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए राज्य सरकार अन्य पद्धतियों के साथ-साथ होम्योपैथिक को भी शामिल करने के लिए अलग-अलग प्रयास कर सकते हैं. जिसके बाद केरल के एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका डाली और कहा कि आयुष मंत्रालय के इस दिशा-निर्देश को लागू करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए. जिसके बाद हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि आयुष डॉक्टर दवा तो लिख सकते हैं. लेकिन कोरोना के मरीजों का इलाज नहीं कर सकते हैं.

पटना: सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले का आयुष चिकित्सकों ने स्वागत किया है. उन्हें सरकार द्वारा अनुमोदित मिश्रण का उपयोग करके ही इलाज करने की अनुमति मिल गई है. इस पर आयुष चिकित्सकों के संघ और राजकीय आयुर्वेद कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला आने वाले समय में आयुष चिकित्सा को नई ऊंचाई देगा.

उच्चतम न्यायलय का फैसला स्वागत योग्य
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के संघ बिहार प्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन के अध्यक्ष वैद्य धनंजय शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है. वे इस फैसले का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों के कार्य को देखते हुए यह फैसला लिया है. पूरे भारतवर्ष में और पूरे विश्व में इस कोरोना काल के दौरान आयुर्वेद से लोग लाभान्वित हैं. जिस प्रकार कोरोना से बचाव को लेकर इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर काढ़ा का प्रयोग किया गया. जिसे भारत सरकार के तरफ से गाइडलाइन भी जारी किया गया था. जिस कारण काफी लोगों को फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब बातों को गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों को कोरोना के इलाज की अनुमति दी है.

कोरोना का विशेष इलाज नहीं, आयुर्वेदिक दवाई नहीं करता रिएक्शन
वहीं, पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ विजय शंकर दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना का कोई विशेष इलाज नहीं होता है. यह संक्रमण प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है. उन्होंने कहा कि किसी को ज्वार रहता है, तो किसी को सांस लेने में तकलीफ रहती है. वहीं, किसी में किसी प्रकार का लक्ष्ण ही नहीं दिखता है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आयुष चिकित्सकों ने किया स्वागत

उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में किसी भी चिकित्सा पद्धति में फर्क नहीं है. आयुर्वेद यहां मुलेठी, तुलसी, अश्वगंधा, गुरुच दालचीनी इत्यादि देते हैं. वही एलोपैथिक वाले विटामिन सी खिलाते हैं, जिंक देते हैं विटामिन डी देते हैं. उन्होंने कहा कि इन सब के बीच जो नेचुरल सोर्सेस से दवाइयां बनते हैं, वह ज्यादा लाभकारी है.

केमिकल और नेचुरल का फर्क अब सब पहचानने लगे हैं
विजय शंकर ने कहा कि इस बात को तो अब सब लोग मानने लगे हैं कि केमिकल और नेचुरल में बहुत फर्क है. नेचुरल सोर्सेस से आने वाली दवाइयां अधिकतर लाभ पहुंचाती हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के पास इतनी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में पहले से मौजूद है. वह कोरोना के सभी लक्षणों का इलाज कर सकें.

SC की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के दिए गए फैसले पर मुहर लगाया. मंगलवार को माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि आयुष और होमियोपैथ डॉक्टर कोरोना के इलाज के रूप में किसी दवा को नहीं लिख सकते हैं और न ही इसका विज्ञापन कर सकते हैं. लेकिन मरीजों के लिए पारंपरिक उपचार में ऐड-ऑन दवा (प्रतिरक्षा बूस्टर) के रूप में सरकार द्वारा अनुमोदित टैबलेट और मिश्रण निर्धारित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 6 मार्च के आयुष मंत्रालय के नोटिफिकेशन को बरकरार रखा है.

क्या था 6 मार्च का नोटिफिकेशन
आयुष मंत्रालय ने 6 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए राज्य सरकार अन्य पद्धतियों के साथ-साथ होम्योपैथिक को भी शामिल करने के लिए अलग-अलग प्रयास कर सकते हैं. जिसके बाद केरल के एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका डाली और कहा कि आयुष मंत्रालय के इस दिशा-निर्देश को लागू करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए. जिसके बाद हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि आयुष डॉक्टर दवा तो लिख सकते हैं. लेकिन कोरोना के मरीजों का इलाज नहीं कर सकते हैं.

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