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बोले अतुल अंजान- 'मंडल और कमंडल से लेकर सांप्रादयिक ध्रुवीकरण की राजनीति ने CPI को पहुंचाया नुकसान' - atul anjaan on CPI poor performance in Bihar

सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने कहा है कि बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संरचना में बहुत बड़ा मतभेद और भेद पैदा हो जाता है. भावनात्मक रूप से नीतियों पर संघर्ष करना बिहार की जनता की सोच है लेकिन चुनाव के आते आते जातिगत भावनाएं उबाल मारती हैं. इसके कारण किसी को नुकसान हो न हो लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को नुकसान हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

atul anjaan on CPI poor performance in Bihar
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Published : Apr 20, 2022, 1:59 PM IST

पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान (cpi leader atul anjan) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं में बहुत बड़ा मतभेद और भेद पैदा हो जाता है. भावनात्मक रूप से नीतियों पर संघर्ष करना बिहार की जनता की सोच है लेकिन चुनाव के आते-आते जातिगत भावनाएं बहुत उबाल मार देती है, जिसके कारण और किसी राजनीतिक पार्टी को नुकसान हो या ना हो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को सर्वाधिक नुकसान (CPI poor performance in Bihar) होता है.

पढ़ें- 'जनसंख्या नियंत्रण कानून BJP-RSS की नई कूटनीति, विभाजन कर 2022 और 2024 का चुनाव जीतना लक्ष्य'

'मंडल-कमंडल की राजनीति के कारण सीपीआई को हुआ नुकसान': अतुल अंजान ने कहा कि इसी बिहार के अंदर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कभी मुख्य विपक्षी पार्टी हुआ करती थी और दर्जनभर से अधिक सांसद बिहार से सदन में रहते थे. लेकिन मंडल और कमंडल की राजनीति में सांप्रदायिक और जातीय ध्रुवीकरण की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को काफी नुकसान हुआ. जिस तरह से लोग मंडल के पीछे जा रहे हैं और जिस तरह से लोग कमंडल के पीछे जा रहे हैं, उस प्रकार से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया नहीं जा सकता. बिहार में गिने-चुने कारखाने के अलावे औद्योगिकरण का कोई विकास नहीं हुआ और एक भी ऐसा उद्योग नहीं है जहां 700 से 800 मजदूर एक साथ काम करते हों.

"बिहार खेती और मजदूरी पर चलता है. इसके अलावे मनी ऑर्डर पर चलता है. लोग खेती करके कमाते हैं. लोग मजदूरी करके कमाते हैं. इसके अलावे लोग बाहर जाकर कमाते हैं और घर पर पैसा भेजते हैं. बिहार सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों यहां के विद्यालय और विश्वविद्यालय नेशनल लेवल पर अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहे हैं, जबकि बिहार के छात्र बाहर के विश्वविद्यालयों में पढ़कर देश और दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं." - अतुल कुमार अंजान,राष्ट्रीय सचिव,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

पार्टी ने अपनी नीतियों में किए हैं बदलाव : सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि बिहार के राजनीतिक दलों को यह सोचने की आवश्यकता है कि अपनी मिट्टी पर अपने नौजवान और नवयुवती को कैसे अधिक से अधिक मौका दिया जाए कि वह आगे बढ़ सके. इस सोच पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना चिंतन और मनन नए तरीके से शुरू किया है. उन्होंने कहा कि अभी तक कम्युनिस्ट पार्टी सामाजिक रूप से शोषित पिछड़े और वंचितों के हित में सोच कर उनके लिए काम करती थी लेकिन अब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के बारे में भी पार्टी सोच रही है और उनके लिए एक काम कर रही है.

कांग्रेस की नीतियों के कारण लेफ्ट को नुकसान: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश में कभी मुख्य विपक्षी दल हुआ करता था लेकिन अब पार्टी को प्रदेश में राजनीति के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ता है. इस पर बोलते हुए अतुल कुमार अंजान ने कहा कि कभी देश में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हुआ करती थी और 16 वर्ष पहले पचमढ़ी में कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उसे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं. लेकिन आज कांग्रेस पार्टी की स्थिति ऐसी है कि उसे देशभर के कई प्रदेशों में दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर मोर्चे में शामिल होकर रहना पड़ रहा है. महाराष्ट्र की सरकार इसका उदाहरण है. देशकाल परिस्थितियों में राजनीति में अंतर होता है. राजनीति कोई सीधी लकीर नहीं बल्कि आर्थिक सामाजिक और वैश्विक परिवर्तनों के साथ चलती है. भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती है लेकिन उसे भी विकासशील इंसान पार्टी जैसे दल से समझौता करना पड़ता है.

तेजस्वी की जमकर की तारीफ: तेजस्वी यादव से मुलाकात को लेकर बताते हुए अतुल कुमार अनजान ने कहा कि राजनीति में चाहे गठबंधन के दल हो या विरोधी दल सभी दलों से संवाद का रिश्ता बना रहना चाहिए. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हुआ करते थे पीसी जोशी और उनका कहना था कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तीन चीजें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. पहला यह कि उन्हें सामाजिक आर्थिक सवालों पर लोगों से चर्चा करनी चाहिए, अपने विपक्षी से भी चर्चा करें और अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए पर्चा भी छापे. लेकिन पर्चा छापने के लिए किसी धनकुबेर को पकड़ने के बजाय लोगों से चंदा इकट्ठा करें. तेजस्वी यादव से बड़े सौहार्द पूर्ण माहौल में बात हुई. तेजस्वी यादव नौजवान हैं और उनमें काफी क्षमता है और जब वह ए टू जेड की बात करते हैं, यह बहुत अच्छी बात है और किसी को जाति और धर्म की संकीर्णताओं में नहीं बांधा जा सकता. तेजस्वी यादव वह नौजवान हैं जिनके बारे में उनके जैसी पार्टी जो वैज्ञानिक समाजवाद में यकीन करती है. उसे एक सिरे से नकारने की जरूरत नहीं है.

'राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करे विपक्ष': अतुल कुमार अंजान ने कहा कि तेजस्वी यादव से राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर बात हुई और राष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े की बात करें तो लगभग भाजपा को एक ग्यारह हजार वोट कम पड़ रहे हैं और उसे सहयोग की आवश्यकता होगी. ऐसे में उन लोगों का प्रयास है कि एक साझा राष्ट्रपति का उम्मीदवार विपक्ष की ओर से लाया जाए. गुजरात में भी भाजपा को हराया जा सकता है और इसके लिए कांग्रेस को अपनी नीति और नियत में बदलाव लाने की आवश्यकता है. उसे अपनी नीति और नियत में सफाई रखनी होगी.

'पार्टी में युवाओं की कोई कमी नहीं हैं': कन्हैया कुमार के पार्टी छोड़ने से कितनी क्षति हुई इस पर बोलते हुए अतुल कुमार अनजान ने कहा कि पार्टी में युवाओं की कमी नहीं है और जो चला गया सो चला गया. विचारों में अगर किसी के दृढ़ता ना हो तो वह फिसलते हुए कहीं से कहीं चला जाता है. उन्होंने कहा कि यदि कन्हैया में आकर्षण ही था तो तारापुर और कुशेश्वरस्थान में यह आकर्षण कहां चला गया. आगामी 29 अप्रैल को प्रखंड स्तर पर महंगाई के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आंदोलन करने जा रही है और उसमें युवाओं की सक्रियता साफ तौर पर देखने को मिलेगी.

पढ़ें-राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे नीतीश? : 'पहले नीतीश कुमार BJP का साथ छोड़ें फिर सोचेंगे क्‍या करना है'

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पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान (cpi leader atul anjan) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं में बहुत बड़ा मतभेद और भेद पैदा हो जाता है. भावनात्मक रूप से नीतियों पर संघर्ष करना बिहार की जनता की सोच है लेकिन चुनाव के आते-आते जातिगत भावनाएं बहुत उबाल मार देती है, जिसके कारण और किसी राजनीतिक पार्टी को नुकसान हो या ना हो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को सर्वाधिक नुकसान (CPI poor performance in Bihar) होता है.

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'मंडल-कमंडल की राजनीति के कारण सीपीआई को हुआ नुकसान': अतुल अंजान ने कहा कि इसी बिहार के अंदर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कभी मुख्य विपक्षी पार्टी हुआ करती थी और दर्जनभर से अधिक सांसद बिहार से सदन में रहते थे. लेकिन मंडल और कमंडल की राजनीति में सांप्रदायिक और जातीय ध्रुवीकरण की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को काफी नुकसान हुआ. जिस तरह से लोग मंडल के पीछे जा रहे हैं और जिस तरह से लोग कमंडल के पीछे जा रहे हैं, उस प्रकार से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया नहीं जा सकता. बिहार में गिने-चुने कारखाने के अलावे औद्योगिकरण का कोई विकास नहीं हुआ और एक भी ऐसा उद्योग नहीं है जहां 700 से 800 मजदूर एक साथ काम करते हों.

"बिहार खेती और मजदूरी पर चलता है. इसके अलावे मनी ऑर्डर पर चलता है. लोग खेती करके कमाते हैं. लोग मजदूरी करके कमाते हैं. इसके अलावे लोग बाहर जाकर कमाते हैं और घर पर पैसा भेजते हैं. बिहार सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों यहां के विद्यालय और विश्वविद्यालय नेशनल लेवल पर अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहे हैं, जबकि बिहार के छात्र बाहर के विश्वविद्यालयों में पढ़कर देश और दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं." - अतुल कुमार अंजान,राष्ट्रीय सचिव,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

पार्टी ने अपनी नीतियों में किए हैं बदलाव : सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि बिहार के राजनीतिक दलों को यह सोचने की आवश्यकता है कि अपनी मिट्टी पर अपने नौजवान और नवयुवती को कैसे अधिक से अधिक मौका दिया जाए कि वह आगे बढ़ सके. इस सोच पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना चिंतन और मनन नए तरीके से शुरू किया है. उन्होंने कहा कि अभी तक कम्युनिस्ट पार्टी सामाजिक रूप से शोषित पिछड़े और वंचितों के हित में सोच कर उनके लिए काम करती थी लेकिन अब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के बारे में भी पार्टी सोच रही है और उनके लिए एक काम कर रही है.

कांग्रेस की नीतियों के कारण लेफ्ट को नुकसान: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश में कभी मुख्य विपक्षी दल हुआ करता था लेकिन अब पार्टी को प्रदेश में राजनीति के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ता है. इस पर बोलते हुए अतुल कुमार अंजान ने कहा कि कभी देश में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हुआ करती थी और 16 वर्ष पहले पचमढ़ी में कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उसे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं. लेकिन आज कांग्रेस पार्टी की स्थिति ऐसी है कि उसे देशभर के कई प्रदेशों में दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर मोर्चे में शामिल होकर रहना पड़ रहा है. महाराष्ट्र की सरकार इसका उदाहरण है. देशकाल परिस्थितियों में राजनीति में अंतर होता है. राजनीति कोई सीधी लकीर नहीं बल्कि आर्थिक सामाजिक और वैश्विक परिवर्तनों के साथ चलती है. भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती है लेकिन उसे भी विकासशील इंसान पार्टी जैसे दल से समझौता करना पड़ता है.

तेजस्वी की जमकर की तारीफ: तेजस्वी यादव से मुलाकात को लेकर बताते हुए अतुल कुमार अनजान ने कहा कि राजनीति में चाहे गठबंधन के दल हो या विरोधी दल सभी दलों से संवाद का रिश्ता बना रहना चाहिए. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हुआ करते थे पीसी जोशी और उनका कहना था कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तीन चीजें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. पहला यह कि उन्हें सामाजिक आर्थिक सवालों पर लोगों से चर्चा करनी चाहिए, अपने विपक्षी से भी चर्चा करें और अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए पर्चा भी छापे. लेकिन पर्चा छापने के लिए किसी धनकुबेर को पकड़ने के बजाय लोगों से चंदा इकट्ठा करें. तेजस्वी यादव से बड़े सौहार्द पूर्ण माहौल में बात हुई. तेजस्वी यादव नौजवान हैं और उनमें काफी क्षमता है और जब वह ए टू जेड की बात करते हैं, यह बहुत अच्छी बात है और किसी को जाति और धर्म की संकीर्णताओं में नहीं बांधा जा सकता. तेजस्वी यादव वह नौजवान हैं जिनके बारे में उनके जैसी पार्टी जो वैज्ञानिक समाजवाद में यकीन करती है. उसे एक सिरे से नकारने की जरूरत नहीं है.

'राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करे विपक्ष': अतुल कुमार अंजान ने कहा कि तेजस्वी यादव से राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर बात हुई और राष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े की बात करें तो लगभग भाजपा को एक ग्यारह हजार वोट कम पड़ रहे हैं और उसे सहयोग की आवश्यकता होगी. ऐसे में उन लोगों का प्रयास है कि एक साझा राष्ट्रपति का उम्मीदवार विपक्ष की ओर से लाया जाए. गुजरात में भी भाजपा को हराया जा सकता है और इसके लिए कांग्रेस को अपनी नीति और नियत में बदलाव लाने की आवश्यकता है. उसे अपनी नीति और नियत में सफाई रखनी होगी.

'पार्टी में युवाओं की कोई कमी नहीं हैं': कन्हैया कुमार के पार्टी छोड़ने से कितनी क्षति हुई इस पर बोलते हुए अतुल कुमार अनजान ने कहा कि पार्टी में युवाओं की कमी नहीं है और जो चला गया सो चला गया. विचारों में अगर किसी के दृढ़ता ना हो तो वह फिसलते हुए कहीं से कहीं चला जाता है. उन्होंने कहा कि यदि कन्हैया में आकर्षण ही था तो तारापुर और कुशेश्वरस्थान में यह आकर्षण कहां चला गया. आगामी 29 अप्रैल को प्रखंड स्तर पर महंगाई के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आंदोलन करने जा रही है और उसमें युवाओं की सक्रियता साफ तौर पर देखने को मिलेगी.

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