पटनाः असम में एनआरसी लागू होने के बाद से देश के दूसरे हिस्सों में भी एनआरसी लागू किए जाने की आवाज उठने लगी है. एनआरसी लागू करने की मांग को लेकर जहां पक्ष-विपक्ष में जुबानी जंग तेज हो गई है. वहीं, नीतीश कैबिनेट के मंत्री और बीजेपी नेता विनोद कुमार के जोरदार तरीके से रख रहे हैं. इसके बाद बिहार बीजेपी भी एनआरसी लागू करने की वकालत कर रही है. जबकि भाजपा की इस मांग को जदयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने बड़ा बयान दिया है.
आवश्यकता पड़ी तो NRC होगा लागू
जदयू नेता और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि फिलहाल बिहार जैसे राज्यों में एनआरसी लागू करने की जरूरत नहीं है. यह एक गंभीर विषय है, साथ ही बहस का भी. इस पर लोगों को बयानबाजी करने से बचना चाहिए. सिर्फ राजनीति के लिए कुछ भी नहीं बोलना चाहिए. अगर जरूरत होगी तो इस पर विचार किया जा सकता है. अगर यहां विदेशियों की संख्या ज्यादा है, तो ऐसे में एनआरसी लिस्ट की आवश्यकता होगी. इस स्थिति में इसे लागू किया जायेगा. हालांकि मंत्री ने कहा कि, 'मुझे नहीं लगता कि बिहार में विदेशी लोगों की संख्या बहुत है.'
बिहार सहित कई पड़ोसी राज्यों में घुसपैठ
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि बिहार, बंगाल, उड़ीसा और झारखंड में बड़ी तादाद में घुसपैठ हुआ है. जिस परस्थिति से असम गुजर रहा था वही हाल इन चार राज्यों का है. सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ भारी मात्रा में हुआ है. ऐसे में घुसपैठिए को चिन्हित कर निकाले जाने की जरूरत है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में भी एनआरसी लागू होना चाहिए. सीमांचल के 8 जिलों में पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या में काफी बढोतरी हुई है.
बिहार में 50 लाख घुसपैठिए
बीजेपी प्रवक्ता ने मुताबिक बिहार में घुसपैठियों की संख्या लगभग 50 लाख है. पटेल ने कहा कि सीमांचल में घुसपैठिए जमीन से लेकर संसाधन और सरकारी योजनाओं पर कब्जा कर रखा है, इन्हें देश से बाहर निकालना चाहिए. हालांकि जदयू भाजपा के स्टैंड से इत्तेफाक नहीं रखता.
'घुसपैठियों के कारण जनसंख्या में चौगुणी बढ़ोतरी'
इससे पहले ईटीवी भारत से खास बातचीत में बीजेपी कोटे से मंत्री विनोद सिंह ने बताया कि बीजेपी नेता ने कहा कि बिहार की जनसंख्या में चौगुनी वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि 1971 में जनगणना हुई थी. जिन परिवार के दादा-दादी, परदादा, माता-पिता का नाम अंकित हैं, वह निश्चित रूप से भारतीय हैं. जबकि बाकी सब बंग्लादेशी घुसपैठिए हैं. जिनके पूर्वजों का नाम अंकित नहीं हैं, उसे सर्वेक्षण के आधार पर एनआरसी लागू कर देश से बाहर निकाला जाए.