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पटना: देसी कलाकारों को तराश रहा उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान - रोजगार

उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में 60 प्रतिभागियों को ट्रेनिंग दी जाती है. यहां 20 से ज्यादा क्राफ्ट कला के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है. शिल्पकारों की मानें तो सरकार को इसके लिए बाजार की आवश्यकता है. जिस पर ध्यान देना जरूरी है.

उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान
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Published : Jun 9, 2019, 12:29 PM IST

पटना: राज्य में हस्तशिल्प कला के विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. हस्तशिल्प के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए राज्य भर के सभी संस्थानों में से उपेंद्र महारथी शिल्प शोध संस्थान का अग्रणी स्थान है. इस संस्थान में सिलाई-कढ़ाई और मधुबनी पेंटिंग सहित 28 हस्त कलाओं के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है.

बिहार में रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही बेरोजगारों को स्वावलंबी बनाने के लिए 1956 में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान खोली गई थी. यहां 20 से ज्यादा क्राफ्ट कला के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाता है. वहीं, शिल्पकारों ने सरकार से इन हस्तकलाओं के लिए बाजार की मांग की है.

अस्थाई शिक्षकों को रखकर कोर्स किए जा रहे संचालित

संस्थान में हाल के दिनों में शिक्षकों की कमी के कारण कुछ कोर्स प्रभावित रहे थे. पुराने शिक्षकों के रिटायर होने के बाद से अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है. शिक्षकों की कमी के कारण कई कोर्सों को बंद करने पड़े थे लेकिन अब अस्थाई शिक्षकों को रखकर कोर्स संचालित किये जा रहे हैं.

उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में जानकारी देते छात्र

विदेश से छात्र आते थे हस्तकलाओं का प्रशिक्षण लेने
शुरुआती दिनों में इस संस्थान में विदेशी छात्र भी भारतीय हस्तकलाओं का प्रशिक्षण लेने आते थे. आज वही परंपरा कई मॉडर्न रूप में भी सिखाई जा रही हैं. रोजगार को बढ़ावा देने वाला यह राज्य का एकमात्र शिल्प अनुसंधान संस्थान है. यहां पर कई देसी कलाकार को तराशे गए हैं जो देश दुनिया में अपने गांव की पौराणिक परंपरा को आज भी जीवित कर रखा है.

बिहारी हस्तशिल्प के कई रूपों को संरक्षित करना संस्था का उद्देश्य

गौरतलब है कि संस्थान का उद्देश्य बिहारी हस्तशिल्प के कई रूपों को संरक्षित कर अनुसंधान करना और बढ़ावा देना है. संस्थान निरंतर कौशल के विकास के लिए उपेक्षित ज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशाला का आयोजन करती रहती है.

संस्थान में चलाया जाता है कला और शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम

इस संस्थान में कला और शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम चलया जाता है. यहां छात्रों को कुशल कारीगरों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाता है. वहीं, भारत के कई हिस्सों से आए छात्रों के लिए छात्रावास की भी सुविधा उपलब्ध है. साथ ही इस संस्थान में बिहार की कला और शिल्प का अद्भुत और स्थाई संग्रह है. लोग इस संग्रहालय में पत्थर और लकड़ी की नक्काशी, मधुबनी पेंटिंग, एपीआर, मां, चेक कला, टिकुली कला, आवास का काम पीतल और घंटी धातु उत्पादों जैसे कई हस्तशिल्प का एक विशाल संग्रह है.

पटना: राज्य में हस्तशिल्प कला के विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. हस्तशिल्प के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए राज्य भर के सभी संस्थानों में से उपेंद्र महारथी शिल्प शोध संस्थान का अग्रणी स्थान है. इस संस्थान में सिलाई-कढ़ाई और मधुबनी पेंटिंग सहित 28 हस्त कलाओं के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है.

बिहार में रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही बेरोजगारों को स्वावलंबी बनाने के लिए 1956 में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान खोली गई थी. यहां 20 से ज्यादा क्राफ्ट कला के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाता है. वहीं, शिल्पकारों ने सरकार से इन हस्तकलाओं के लिए बाजार की मांग की है.

अस्थाई शिक्षकों को रखकर कोर्स किए जा रहे संचालित

संस्थान में हाल के दिनों में शिक्षकों की कमी के कारण कुछ कोर्स प्रभावित रहे थे. पुराने शिक्षकों के रिटायर होने के बाद से अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है. शिक्षकों की कमी के कारण कई कोर्सों को बंद करने पड़े थे लेकिन अब अस्थाई शिक्षकों को रखकर कोर्स संचालित किये जा रहे हैं.

उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में जानकारी देते छात्र

विदेश से छात्र आते थे हस्तकलाओं का प्रशिक्षण लेने
शुरुआती दिनों में इस संस्थान में विदेशी छात्र भी भारतीय हस्तकलाओं का प्रशिक्षण लेने आते थे. आज वही परंपरा कई मॉडर्न रूप में भी सिखाई जा रही हैं. रोजगार को बढ़ावा देने वाला यह राज्य का एकमात्र शिल्प अनुसंधान संस्थान है. यहां पर कई देसी कलाकार को तराशे गए हैं जो देश दुनिया में अपने गांव की पौराणिक परंपरा को आज भी जीवित कर रखा है.

बिहारी हस्तशिल्प के कई रूपों को संरक्षित करना संस्था का उद्देश्य

गौरतलब है कि संस्थान का उद्देश्य बिहारी हस्तशिल्प के कई रूपों को संरक्षित कर अनुसंधान करना और बढ़ावा देना है. संस्थान निरंतर कौशल के विकास के लिए उपेक्षित ज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशाला का आयोजन करती रहती है.

संस्थान में चलाया जाता है कला और शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम

इस संस्थान में कला और शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम चलया जाता है. यहां छात्रों को कुशल कारीगरों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाता है. वहीं, भारत के कई हिस्सों से आए छात्रों के लिए छात्रावास की भी सुविधा उपलब्ध है. साथ ही इस संस्थान में बिहार की कला और शिल्प का अद्भुत और स्थाई संग्रह है. लोग इस संग्रहालय में पत्थर और लकड़ी की नक्काशी, मधुबनी पेंटिंग, एपीआर, मां, चेक कला, टिकुली कला, आवास का काम पीतल और घंटी धातु उत्पादों जैसे कई हस्तशिल्प का एक विशाल संग्रह है.

Intro:शिल्प संस्थान में तरह से जान देसी कलाकार,

बिहार का एक मात्र राजधानी स्थित है उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान
*60 प्रतिभागियों को उपेंद्र महारथी संस्थान मे दी जाती है ट्रेनिंग
*20 से ज्यादा क्राफ्ट कला के बारे मे दिया जाता है प्रशिक्षण
शिल्पीकारो की माने तो सरकार को इस के लिए बाजार की आवश्यकता है जिस पर ध्यान देना जरूरी है
** रोजगार को बढावा दे रहा है उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान


Body:राज्य मे हस्तशिल्प के विकास के लिए सरकार कार्यस्थल पर प्रयास कर रही है हस्तशिल्प के राज्य की शेर से संस्थान में से उपेंद्र महारथी शिल्प शोध संस्थान का अग्रणी स्थान है,
बिहार में रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही बेरोजगारों को स्वावलंबी बनाने के लिए 1956 में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान खोला गया यहां पर शिल्प सिलाई कढ़ाई मधुबनी पेंटिंग सहित 28 हस्तकला सिखाए जाते हैं लेकिन हाल के दिनों में शिक्षकों की कमी के कारण कुछ कोर्स भी प्रभावित हुए हैं, शिक्षकों की कमी के कारण कई कोर्स प्रभावित भी हुए हैं अस्थाई शिक्षक रखकर कोर्स संचालित किए जा रहे हैं दरअसल पुराने शिक्षकों के रिटायर होने के बाद से नई नियुक्ति नहीं होने के कारण शिक्षकों की कमी हो गई थी जिसके कारण कई कोर्स को बंद करने पड़े थे लेकिन अब अस्थाई शिक्षक के भरोसे और संचालित हो रहे हैं हालांकि स्टूडेंट को भी मनमाफिक चुनने में परेशानी हो रही है, बहरहाल उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान जहां एक जमाने में विदेशी कलाकार यहां पर आकर भारतीय संस्कृति की सभ्यता के आर्ट का प्रशिक्षण लेने आते थे, आज वही परंपरा कई मॉडर्न रूप में भी सिखाया जा रहे हैं, रोजगार को बढ़ावा देने वाला यह राज्य का एकमात्र शिल्प अनुसंधान संस्थान है जहां पर कई देसी कलाकार को तराशे गए हैं जो देश दुनिया में अपने गांव की पौराणिक परंपरा को आज भी जीवित कर रखा है


Conclusion: गौरतलब है कि उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान का उद्देश्य बिहारी हस्तशिल्प के विभिन्न रूपों को संरक्षित करना अनुसंधान करना और बढ़ावा देना है संस्थान निरंतर कौशल के उन्नयन के लिए उपेक्षित ज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशाला का निर्माण कर के 1 तरीके से सील क्षेत्र और शिल्पीकारों के विकास पर काम कर रहा है साथ ही संस्थान उत्पाद विकास अनुसंधान और प्रशिक्षण गतिविधियों का संचालन भी कर रहा है
उपेंद्र महारथी अनुसंधान संस्थान कला और शिल्प के 10 विभिन्न रूपों में साल भर में 6 महीने की अवधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है छात्रों को कुशल कारीगरों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाता है वह धनी कौशल अपनी परंपरा कला और शिल्प से जुड़ी प्रचार गतिविधियों को भी सीखते हैं इसी प्रकार भारत के विभिन्न हिस्सों में आते हैं छात्रावास के छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है इस संस्थान में बिहार की कला और शिल्प का अद्भुत और स्थाई संग्रह है लोग इस संग्रहालय में पत्थर और लकड़ी की नक्काशी मधुबनी पेंटिंग एपीआर मां चेक कला टिकुली कल आवास का काम पीतल और घंटी धातु उत्पादों और कई और अधिक जैसे हस्तशिल्प का एक विशाल संग्रह देखने को मिलता है



बिहारी कला और शिल्पी:--

बांस और बेंत सिल्क
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