पटना: बिहार सरकार (Bihar Government) ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय गठन करने का फैसला लिया था. जिसको लेकर पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग (Backward and Most Backward Welfare Department) ने अधिसूचना जारी कर दी है. पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय का गठन होने से इन वर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का संचालन सुचारू रूप से हो सकेगा और उस पर निगरानी भी की जा सकेगी.
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इसके गठन को लेकर निदेशालय में 446 पद सृजित किए गए हैं. जिसमें मुख्यालय स्तर पर 26 और क्षेत्रीय कार्यालय में 420 पद पर नियुक्ति की जाएगी. ऐसे कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया सरकार के फैसले के बाद से ही शुरू है. अब अधिसूचना जारी होने से निदेशालय के गठन का काम तेजी से आगे बढ़ेगा.
बता दें कि राज्य सरकार ने पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर विशेष ध्यान देने के लिए कल्याण विभाग से अलग निदेशालय बनाने का पहले ही फैसला लिया था और अब उस पर काम शुरू हो गया है. बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. अब निदेशालय के गठन से उन योजनाओं पर सख्ती से नजर रखी जा सकेगी और सही ढंग से योजनाओं का क्रियान्वयन भी होगा.
सरकार के फैसले के बाद कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पहले से शुरू है और अब पिछड़ा एवं अति पिछड़ा विभाग ने निदेशालय के गठन की अधिसूचना जारी कर दिया है. इसमें एक निदेशक, एक संयुक्त निदेशक, दो उपनिदेशक, चार सहायक निदेशक के अलावा लेखा पदाधिकारी और किरानी के कई पद होंगे. वहीं प्रमंडलीय स्तर पर उप निदेशक के पद होंगे.
कुल 446 पदों पर नियुक्ति होगी. जिसमें 26 पद निदेशालय स्तर के और 420 पद क्षेत्रीय कार्यालय के लिए होंगे. निदेशालय में जो पद होंगे वह इस प्रकार से हैं- निदेशक एक, संयुक्त निदेशक एक, उपनिदेशक दो, सहायक निदेशक 4, लेखा पदाधिकारी एक, प्रशाखा पदाधिकारी दो, सहायक चार, उच्च वर्गीय लिपिक दो, निम्न वर्गीय लिपिक चार, आशुलिपिक एक के अलावे अन्य कई पद हैं.
वहीं क्षेत्रीय कार्यालय में जो पद होंगे वह इस प्रकार से हैं- प्रमंडलीय उपनिदेशक एक, जिला पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग पदाधिकारी 38, अनुमंडल पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग पदाधिकारी 140, सहायक प्रशासनिक पदाधिकारी एक, प्रधान लिपिक वर्गीय लिपिक 38, निम्न वर्गीय लिपिक 186. के अलावा कई अन्य पद हैं.
बता दें कि बिहार में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वोट बैंक पर सभी दलों की नजर हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पिछड़ा और अति पिछड़ा का वोट अधिक से अधिक मिले इसकी कोशिश में लगे हुए हैं. अब निदेशालय के अस्तित्व में आने के बाद इन वर्गों के वोट बैंक पर नीतीश कुमार की दावेदारी और बढ़ेगी. वहीं बताते चलें कि बिहार में पिछड़ा अति पिछड़ा आयोग भी है लेकिन पिछले कई सालों से उसका गठन नहीं हुआ है.
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