पटना: बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा होने के बाद जिलों का दौरा कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने पटना में नवंबर माह में बड़ी रैली करने का ऐलान भी किया है और अभी से दावा भी किया जा रहा है कि इस रैली में 10 लाख लोग जुटेंगे. इन सबके बीच मुख्यमंत्री के साथ आनंद मोहन की मुलाकात ने महागठबंधन की सियासत को उलझा दिया है.
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रिहाई के बाद पहली बार नीतीश से हुई मुलाकात: पूर्व सांसद आनंद मोहन आजीवन कारावास की सजा काटने के बाद नीतीश कुमार की कृपा से जेल से बाहर आ चुके हैं. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड मामले में आनंद मोहन को जेल से बाहर लाने के लिए नीतीश कुमार ने कानून में संशोधन किया, इसके लिए सरकार की किरकिरी भी हुई. नीतीश कुमार ने आनंद मोहन के प्रति खूब प्रेम दिखाया है. बेटी की सगाई से लेकर शादी समारोह में नीतीश कुमार ने शिरकत की. वहीं बुधवार को आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री आवास जाकर नीतीश कुमार से मुलाकात की. राजनीतिक मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच विमर्श भी हुआ. हालांकि मुलाकात के बाद आनंद मोहन ने मीडिया से दूरी बना ली.
जेडीयू में जा सकते हैं आनंद मोहन!: फिलहाल आनंद मोहन अपनी खोई हुई ताकत को रिस्टोर करने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार के कई जिलों का दौरा कर चुके हैं. आनंद मोहन नवंबर माह में बड़ी रैली करेंगे. 10 लाख लोगों को इकट्ठा करने का दावा आनंद मोहन ने किया है. आनंद मोहन ने भाजपा विरोध की राजनीति के संकेत भी दे दिए हैं और नीतीश कुमार के लिए खुलकर बल्लेबाजी कर रहे हैं. साथ ही भाजपा के कमल को रौंदने की बात कह रहे हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन का जदयू में शामिल होना तय माना जा रहा है. साथ ही उनकी पत्नी लवली आनंद और छोटे बेटे अंशुमान जदयू का दामन थाम सकते हैं. आपको बता दें कि आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन आनंद राजद के विधायक हैं.
रैली के जरिए करेंगे शक्ति प्रदर्शन: 90 के दशक में आनंद मोहन आरक्षण विरोध की राजनीति के दौरान कद्दावर नेता के रूप में उभरे थे. गांधी मैदान में बड़ी रैली कर उन्होंने अपनी ताकत का एहसास भी कराया था. एक बार फिर से नवंबर माह में रैली कर आनंद मोहन अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश करेंगे. एक कार्यक्रम के दौरान आनंद मोहन ने स्पष्ट किया कि वह भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. वहीं आनंद मोहन की राजनीति से नीतीश और लालू को कितना फायदा होगा या नुकसान उठाना पड़ सकता है इसको लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है.
"मेरे निकलने के बाद किसको छटपटाहट है और क्यों है. क्योंकि वो जाते हैं कि ये आदमी कमल को हाथी की तरह रौंद देगा. इंतजार करो हम जितने दिन रहेंगे समाजवाद के लिए लड़ते रहेंगे. बार बार कहो कि हम दलित विरोधी हैं कुछ होने वाला नहीं है."- आनंद मोहन, पूर्व सांसद
"नीतीश कुमार और आनंद मोहन के बीच पारिवारिक रिश्ते हैं. दोनों नेताओं ने पहले साथ-साथ काम किया है. आनंद मोहन भविष्य में क्या करने वाले हैं, वही बता सकते हैं."-अभिषेक झा,जदयू प्रवक्ता
"हम बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे हैं. आनंद मोहन या उनके परिवार के सदस्य राजद में रहें या जदयू में रहें, फर्क नहीं पड़ता. मजबूत तो महागठबंधन ही होगा."- एजाज अहमद,राजद प्रवक्ता
"आनंद मोहन खुलकर नीतीश कुमार के लिए बल्लेबाजी कर रहे हैं. भाजपा के विरोध में राजनीति को आनंद मोहन धार देंगे, यह भी तय है. संभव है कि आनंद मोहन और उनके परिवार के कुछ सदस्य जदयू में शामिल होकर सियासत को धार दें."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी,वरिष्ठ पत्रकार
राजपूत वोट पर नजर: 2024 के चुनाव में सीएम नीतीश राजपूत समाज को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी के तहत उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई का दांव चला गया. प्रदेश में राजपूत समाज करीब 5 प्रतिशत हैं. बिहार की 9 लोकसभा सीटों पर इनका प्रभाव है.