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Anand Mohan Case: 'सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का सरकार देगी जवाब, कानून में बदलाव से आम आवाम को भी फायदा'

डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आनंद मोहन (Hearing on Anand Mohan in Supreme Court) को वापस जेल भेजने की मांग की है. उसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा है. जिसके बाद राज्य में इसे लेकर सियासत तेज है. राजद ने इस मामले पर क्या कहा, पढ़िये विस्तार से.

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद
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Published : May 8, 2023, 5:26 PM IST

एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता.

पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद (RJD spokesperson Ejaz Ahmed) ने कहा कि सरकार से इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा. इस रिहाई को लेकर जो प्रक्रिया हुई है सरकार इसका जवाब कोर्ट को देगी. इसमें समस्या कहां है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन के साथ साथ 27अन्य लोगों की रिहाई भी हुई है. इसमें 80 वर्ष के बूढ़े लोगों को भी रिहा किया गया है.

इसे भी पढ़ेंः Anand Mohan Case: सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर जदयू ने कहा 'जो भी कानूनी प्रक्रिया है सरकार पालन करेगी'

"सुशील मोदी पहले आनंद मोहन की रिहाई की मांग करते हैं और जब रिहा हो जाते हैं तो कानून को बदलने का आरोप लगाते हैं. ये उनकी राजनीति है. उनकी कथनी और करनी में अंतर है. समय आने पर जनता ऐसी करनी के लिए उन्हें जवाब देगी"- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

कथनी और करनी में अंतरः एजाज अहमद ने कहा कि कानून में बदलाव हुआ, ये हम मानते हैं. लेकिन, इससे फायदा आम आवाम को भी हुआ. किस तरह 70 वर्ष पार कई लोग रिहा किए गए इस पर भी गौर करना चाहिए. लेकिन बीजेपी को तो राजनीति करनी है वो कर रही है. इससे बीजेपी के नेता पूरी तरह जनता के सामने एक्सपोज हो गए हैं. जनता समझ गई है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है.

क्या है मामलाः 5 दिसंबर साल 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी गयी थी. मामले में कोर्ट ने 2008 को आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी. नियमावली के मुताबिक सरकारी कर्मचारी की हत्या मामले में दोषी को 20 साल की सजा काटनी होती है. नीतीश सरकार ने 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव कर दिया, जिसके बाद सरकारी कर्मचारी की हत्या का मामला भी आम हत्या की श्रेणी में आ गया. आनंद मोहन 14 साल की सजा काट चुके थे. इसलिए आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया.

एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता.

पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद (RJD spokesperson Ejaz Ahmed) ने कहा कि सरकार से इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा. इस रिहाई को लेकर जो प्रक्रिया हुई है सरकार इसका जवाब कोर्ट को देगी. इसमें समस्या कहां है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन के साथ साथ 27अन्य लोगों की रिहाई भी हुई है. इसमें 80 वर्ष के बूढ़े लोगों को भी रिहा किया गया है.

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"सुशील मोदी पहले आनंद मोहन की रिहाई की मांग करते हैं और जब रिहा हो जाते हैं तो कानून को बदलने का आरोप लगाते हैं. ये उनकी राजनीति है. उनकी कथनी और करनी में अंतर है. समय आने पर जनता ऐसी करनी के लिए उन्हें जवाब देगी"- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

कथनी और करनी में अंतरः एजाज अहमद ने कहा कि कानून में बदलाव हुआ, ये हम मानते हैं. लेकिन, इससे फायदा आम आवाम को भी हुआ. किस तरह 70 वर्ष पार कई लोग रिहा किए गए इस पर भी गौर करना चाहिए. लेकिन बीजेपी को तो राजनीति करनी है वो कर रही है. इससे बीजेपी के नेता पूरी तरह जनता के सामने एक्सपोज हो गए हैं. जनता समझ गई है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है.

क्या है मामलाः 5 दिसंबर साल 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी गयी थी. मामले में कोर्ट ने 2008 को आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी. नियमावली के मुताबिक सरकारी कर्मचारी की हत्या मामले में दोषी को 20 साल की सजा काटनी होती है. नीतीश सरकार ने 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव कर दिया, जिसके बाद सरकारी कर्मचारी की हत्या का मामला भी आम हत्या की श्रेणी में आ गया. आनंद मोहन 14 साल की सजा काट चुके थे. इसलिए आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया.

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