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बिहार में शराबबंदी कानून में हुए संशोधन नियमावली को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती

बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन किया है. इस संशोधन के अंतर्गत पहली बार शराब पीने के दोषी व्यक्ति को यदि दूसरी बार शराब या अन्य वर्जित मदिरापान करने के आरोप में गिरफ्तार होता है, तो उसे सीधा एक साल जेल की सजा देने का प्रावधान है. इसी संशोधन नियमावली को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में चुनौती दी गई है. पढ़ें पूरी खबर.

Patna High Court
Patna High Court
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Published : Sep 21, 2022, 11:01 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के मामलें में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाने के बाद बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में कुछ संशोधन किया है. इन संशोधन के अंतर्गत पहली बार शराब पीने के दोषी व्यक्ति को यदि दूसरी बार शराब या अन्य वर्जित मदिरापान करने के आरोप में गिरफ्तार होता है, तो उसे सीधा एक साल जेल की सजा देने का प्रावधान रखा गया है.

ये भी पढ़ें- शराबबंदी कानून से पटना हाईकोर्ट परेशान, कहा- अधिकारियों की मनमानी से बढ़ रहा केस का बोझ

शराबबंदी कानून के इस संशोधन के तहत ट्रायल हुए बिना ही आरोपी को सीधा एक साल की जेल की सजा सुना देने का प्रावधान है. इसकी वैधता को चुनौती देते हुए पटना हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गयी है. पूर्वी चम्पारण के पीपरा में रहने वाले प्रियेष कुमार ने बिहार आबकारी मद्यनिषेध संशोधित नियमावली की नियम 18 (4) की वैधता को चुनौती दी है.

रिट याचिका के माध्यम से बताया गया है कि इस संशोधित नियम के अंतर्गत दोबारा शराब पीते पकड़े जाने पर बिना मुकदमा चलाये (ट्रायल) ही सीधा सजा दे देने का प्रावधान से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है. याचिकाकर्ता के वकील ज्ञान शंकर ने बताया कि यह मामला चीफ जस्टिस संजय करोल की खण्डपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है. इस रिट याचिका पर शीघ्र सुनवाई होने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- पुलिस द्वारा सही ढंग से जांच नहीं किए जाने को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई टली

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के मामलें में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाने के बाद बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में कुछ संशोधन किया है. इन संशोधन के अंतर्गत पहली बार शराब पीने के दोषी व्यक्ति को यदि दूसरी बार शराब या अन्य वर्जित मदिरापान करने के आरोप में गिरफ्तार होता है, तो उसे सीधा एक साल जेल की सजा देने का प्रावधान रखा गया है.

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शराबबंदी कानून के इस संशोधन के तहत ट्रायल हुए बिना ही आरोपी को सीधा एक साल की जेल की सजा सुना देने का प्रावधान है. इसकी वैधता को चुनौती देते हुए पटना हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गयी है. पूर्वी चम्पारण के पीपरा में रहने वाले प्रियेष कुमार ने बिहार आबकारी मद्यनिषेध संशोधित नियमावली की नियम 18 (4) की वैधता को चुनौती दी है.

रिट याचिका के माध्यम से बताया गया है कि इस संशोधित नियम के अंतर्गत दोबारा शराब पीते पकड़े जाने पर बिना मुकदमा चलाये (ट्रायल) ही सीधा सजा दे देने का प्रावधान से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है. याचिकाकर्ता के वकील ज्ञान शंकर ने बताया कि यह मामला चीफ जस्टिस संजय करोल की खण्डपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है. इस रिट याचिका पर शीघ्र सुनवाई होने की संभावना है.

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