पटना: प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना के आड़ में सरकार प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को साजिश के तहत बंद करना चाहती है. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद मार्च 2020 से ही सभी विद्यालय बंद थे. भौतिक रूप से पठन-पाठन पूरी तरीके से बंद था. पिछले 3 महीने से बिहार सरकार के आदेश अनुसार कक्षा प्रथम से आठवीं तक विद्यालय सुचारु रूप से चल रहे थे. इतने दिनों में किसी भी विद्यालय में कोई भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया.
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सरकार की सोची-समझी रणनीति
क्योंकि सभी विद्यालयों में कोरोना गाइडलाइंस का पालन हो रहा था. लेकिन बावजूद इसके सरकार ने 3 अप्रैल से सभी विद्यालय को 11 अप्रैल तक बंद किया. अब 18 अप्रैल तक बंद करने का निर्देश दिया है. सरकार ने विद्यालय को ना तो किसी तरह की प्लानिंग करने का समय दिया और ना ही किसी भी अधिकारी से इस विषय पर चर्चा की गई. जिससे साफ जाहिर होता है कि यह सरकार की सोची-समझी रणनीति है. जिसके तहत पूरे शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए सरकार तत्पर है. पिछले कई वर्षों से आरटीई निलंबित राशि का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया गया है.
आंदोलन करने को होंगे बाध्य
पिछले एक साल से विद्यालय बंद होने के कारण स्कूल फी नहीं आई. इसके वजह से पूरे बिहार के लाखों कर्मियों को वेतन भुगतान नहीं किया जा सका है. उनके परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. सरकार शिक्षक एवं कर्मचारियों को 10 हजार रुपये एवं 50 किलोग्राम अनाज प्रतिमाह देने की व्यवस्था करे. सरकार को यह स्पष्ट कहना चाहते हैं कि 18 अप्रैल के बाद यदि सरकार ने विद्यालय को खोलने का फैसला नहीं दिया, तो हम आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे. सड़कों पर उतर कर राज्यव्यापी और देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे.