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1 से 15 जुलाई तक होगा बच्चों का नामांकन, गूगल फॉर्म के जरिए हो रही मॉनिटरिंग - all children will be enrolled in schools

बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि विशेष रूप से ऐसे बच्चों का ख्याल रखें कि जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे शहरों से या अपने जिले में ही शहर से गांव लौटने को मजबूर हुए हैं. उनका एडमिशन पास के स्कूल में कराया जाएगा.

पटना
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Published : Jul 4, 2020, 4:21 PM IST

पटना: बिहार में 1 से 15 जुलाई तक नामांकन पखवाड़ा चल रहा है. इस दौरान करीब 10 लाख बच्चों को स्कूल से जोड़ने का लक्ष्य है. बिहार शिक्षा परियोजना गूगल फॉर्म के जरिए इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहा है. वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के बच्चों को भी विशेष रूप से बिना किसी परेशानी के स्कूल से जोड़ा जाएगा.

नए नामांकन की एंट्री मेधा सॉफ्ट में करने का दिया निर्देश
शिक्षा विभाग के अपर सचिव नोडल अधिकारी गिरिवर दयाल सिंह ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर अपने जिले के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सभी प्रकार के नए नामांकन की एंट्री मेधा सॉफ्ट में करने का निर्देश दिया है. यानी बिहार के बाहर से आए और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य जिलों से आए बच्चों को उनके पास के स्कूलों में नामांकन का जो अभियान फिलहाल चल रहा है, उसमें इस बात का पूरा ख्याल रखना है.

देखें पूरी रिपोर्ट

1 लाख 28 हजार 683 बच्चों की पहचान
इधर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने एक ऐप तैयार किया है, जिसका 'गूगल फॉर्म' नाम दिया गया है. इस फॉर्म में हर जिले को हर दिन अपने जिले की रिपोर्ट अपलोड करनी है. जिसमें जिक्र करना है कि किस दिन कितना एडमिशन हुआ है. शुरुआती 3 दिनों में ही एक लाख 28 हजार 683 बच्चों की पहचान की गई है, जो कहीं नामांकित नहीं हैं. इनमें 15020 से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों से या अपने राज्य के ही दूसरे शहरों से अपने गांव लौटे हैं.

बाहर से आए बच्चों का रखें ख्याल
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि विशेष रूप से ऐसे बच्चों का ख्याल रखें कि जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे शहरों से या अपने जिले में ही शहर से गांव लौटने को मजबूर हुए हैं. उनका एडमिशन पास के स्कूल में कराया जाएगा.

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कृष्ण नंदन वर्मा, शिक्षा मंत्री, बिहार

पहचान पत्र के आधार स्कूलों में होगा एडमिशन
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक संजय सिंह ने कहा कि इस बात की कोशिश हो रही है कि ऐसे बच्चों की पहचान कर बाल पंजी में उनका नाम दर्ज हो, ताकि सरकार के पास एक रिकॉर्ड भी रहे. वहीं, उन्होंने कहा कि इन बच्चों को बिना किसी परेशानी के पास के स्कूल में एडमिशन कराया जाएगा. अगर इनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं होगा, फिर भी कोशिश होगी कि सिर्फ पहचान पत्र के आधार पर इनका एडमिशन स्कूलों में हो जाए.

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संजय कुमार सिंह, निदेशक, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद

पटना: बिहार में 1 से 15 जुलाई तक नामांकन पखवाड़ा चल रहा है. इस दौरान करीब 10 लाख बच्चों को स्कूल से जोड़ने का लक्ष्य है. बिहार शिक्षा परियोजना गूगल फॉर्म के जरिए इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहा है. वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के बच्चों को भी विशेष रूप से बिना किसी परेशानी के स्कूल से जोड़ा जाएगा.

नए नामांकन की एंट्री मेधा सॉफ्ट में करने का दिया निर्देश
शिक्षा विभाग के अपर सचिव नोडल अधिकारी गिरिवर दयाल सिंह ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर अपने जिले के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सभी प्रकार के नए नामांकन की एंट्री मेधा सॉफ्ट में करने का निर्देश दिया है. यानी बिहार के बाहर से आए और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य जिलों से आए बच्चों को उनके पास के स्कूलों में नामांकन का जो अभियान फिलहाल चल रहा है, उसमें इस बात का पूरा ख्याल रखना है.

देखें पूरी रिपोर्ट

1 लाख 28 हजार 683 बच्चों की पहचान
इधर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने एक ऐप तैयार किया है, जिसका 'गूगल फॉर्म' नाम दिया गया है. इस फॉर्म में हर जिले को हर दिन अपने जिले की रिपोर्ट अपलोड करनी है. जिसमें जिक्र करना है कि किस दिन कितना एडमिशन हुआ है. शुरुआती 3 दिनों में ही एक लाख 28 हजार 683 बच्चों की पहचान की गई है, जो कहीं नामांकित नहीं हैं. इनमें 15020 से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों से या अपने राज्य के ही दूसरे शहरों से अपने गांव लौटे हैं.

बाहर से आए बच्चों का रखें ख्याल
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि विशेष रूप से ऐसे बच्चों का ख्याल रखें कि जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे शहरों से या अपने जिले में ही शहर से गांव लौटने को मजबूर हुए हैं. उनका एडमिशन पास के स्कूल में कराया जाएगा.

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कृष्ण नंदन वर्मा, शिक्षा मंत्री, बिहार

पहचान पत्र के आधार स्कूलों में होगा एडमिशन
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक संजय सिंह ने कहा कि इस बात की कोशिश हो रही है कि ऐसे बच्चों की पहचान कर बाल पंजी में उनका नाम दर्ज हो, ताकि सरकार के पास एक रिकॉर्ड भी रहे. वहीं, उन्होंने कहा कि इन बच्चों को बिना किसी परेशानी के पास के स्कूल में एडमिशन कराया जाएगा. अगर इनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं होगा, फिर भी कोशिश होगी कि सिर्फ पहचान पत्र के आधार पर इनका एडमिशन स्कूलों में हो जाए.

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संजय कुमार सिंह, निदेशक, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद
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