गया: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बोधगया एक जुलाई से आम श्रद्धालुओं से गुलजार होगा. यहां स्थित कई देशों के बौद्ध मंदिरों के पट खोले जाएंगे. इस बात की जानकारी देते हुए ऑल इंडिया भिक्षु संघ के महासचिव प्रज्ञादीप ने बताया कि बौद्ध मंदिर मोनेस्ट्री को एक जुलाई से खोलने की अनुमती मिल गई है.
प्रज्ञादीप ने कहा कि श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बौद्ध मंदिर और मोनेस्ट्री खोलने के बाद श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी, सैनिटाइजेशन समेत सभी गाइडलाइन का फॉलो कराया जाएगा, ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण न हो. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में गैदरिंग की रोकथाम के लिए अलग से व्यवस्था कराई जाएगी.
10 जून से शुरू हुई पूजा अर्चना
- विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर में केंद्र सरकार के ऐलान और जिला प्रशासन की अनुमति के बाद 10 जून से पूजा अर्चना की जा रही है.
- 20 मार्च से बोधगया के तमाम बौद्ध मंदिरों के पट बंद कर दिए गये थे.
- बोधगया में कई देशों के बौद्ध मंदिर हैं.
- इन मंदिरों में जापान, थाईलैंड, मंगोलिया, तिब्बत, चीन, भूटा,न कंबोडिया, वियतनाम और म्यांमार जैसे देश शामिल हैं.
- एक जुलाई बौद्ध भिक्षुओं के लिए महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन से वर्षावास पूजा की शुरूआत होनी है.
- यह पूजा चार महीने चलती है. 4 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन से वर्षावास पूजा शुरू होती है.
वर्षावास पूजा की पौराणिक कहानी
गौतम बुद्ध ने जंगलों में 24 वर्षावास व्यतीत किया था. इसके चलते आषाढ़ पूर्णिमा से इस पूजा का प्रारंभ होता है. वर्षावास पूजा के पीछे तर्क ये है कि वर्षा ऋतु में कई तरह के छोटे-छोटे जीव जन्म लेते हैं, जो इंसान के विचरण के दौरान पैरों तले दबकर मर सकते हैं. यह भी जीव की हत्या ही है. इससे बचने के लिए चार माह एक जगह रहकर पूजा की जाती है. इस दौरान बौद्ध भिक्षु भिक्षाटन के लिए नहीं जाते हैं.