पटना: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है. आज पूरे देश भर में अक्षय नवमी का पर्व मनाया जा रहा है. शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा कर दान देने से सुख-समृद्धि और संतान की मन्नतें पूरी होती है.
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आंवला वृक्ष की पूजा
दीपावली और छठ व्रत पूर्ण होते ही सनातन धर्मी विशेषकर वैष्णवजन अक्षय नवमी की तैयारियों में लग जाते हैं. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ने वाले इस व्रत का हिन्दू परंपरा में विशेष स्थान है. कार्तिक माह की इस नवमी को अक्षय नवमी और लोकभाषा में आंवला नवमी भी कहते हैं. इस दिन खासतौर पर अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है. इस आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का विधान है.
श्रद्धालु करते हैं गुप्त दान
अक्षय नवमी को लेकर कई जगहों पर महिलाएं व्रत भी रखती हैं. इस दिन श्रद्धालु आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं. पुराणों के अनुसार दैत्यराज जालंधर की धर्म मार्या वृंदा की समाधि पर जन्म लेने वाले आवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं. इस अक्षय नवमी के दिन श्रद्धालु आंवला वृक्ष की पूजा कर जीवन की मंगल कामना करते हैं. इसके साथ ही वृक्ष की परिक्रमा कर गुप्त दान करने के बाद ब्राह्मणों से आशीर्वाद लेते हैं.