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Sharadiya Navratri 2023: बिहार के इस मंदिर में 109 वर्षों से जल रही है अखंड दीप, नवरात्र के मौके पर जुटती है भक्तों की भीड़

बिहार के पटना का अखंडवासिनी मंदिर में 109 वर्षों से अखंड दीप जल रही है. नवरात्र के मौके पर 9 दिनों तक यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जो भक्त भक्तिभाव से इस मंदिर में दीप जलाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. पढ़ें पूरी खबर...

Sharadiya Navratri 2023
Sharadiya Navratri 2023
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 15, 2023, 6:02 AM IST

पटना का अखंडवासिनी मंदिर

पटनाः आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है. इस अवसर पर पटना के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. गोलघर स्थित अखंडवासिनी मंदिर मनोकामना मंदिर के नाम से जाना जाता है. जो भक्त नवरात्र के मौके पर 9 दिन अखंड दीप जलाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. बता दें कि इस मंदिर का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां, 24 घंटे अखंड दीप जलते रहती है. पुजारी बताते हैं कि इस अखंड दीप को कामाख्या से लाया गया है, जो 109 वर्षों से जल रही है.

यह भी पढ़ेंः Sharadiya Navratri 2023: इन राशियों पर बरसेगी माता रानी की कृपा, ऐसे करें जगत जननी को प्रसन्न

ब्रह्म मुहूर्त में होगी घटस्थापनाः इस मंदिर में रोज भक्तों की भीड़ लगी रहती है. नवरात्र के मौके पर 9 दिनों तक काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. जो भी भक्त मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, माता रानी उनकी इच्छा पूर्ण करती हैं. राजधानी ही नहीं बल्कि बिहार के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. अखंड वासिनी मंदिर के पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. ब्रह्म मुहूर्त में जल यात्रा के साथ घटस्थापना होगी. इसके बाद माता की पूजा-अर्चना होगी.

"109 सालों से लगातार अखंड ज्योत जल रही है. यह असम के कामख्या से लाय गया है. एक में घी और दूसरे में सरसों तेल का प्रयोग होता है. नवरात्र के मौके पर बहुत सारे भक्त इस अखंड ज्योत में घी और सरसो तेल डालते हैं. कई भक्त ऐसे हैं जो अपने मन में मनोकामना लेकर मंदिर में अलग अखंड दीप 9 दिन तक जलाते हैं. कलश स्थापना के दिन से अखंड दीप का संकल्प कराकर प्रज्ज्वलित किया जाता है. अखंड दीप 24 घंटे जलती रहती है, इसी कारण से इस मंदिर का नाम अखंड वासिनी पड़ा है." -विशाल तिवारी, पुजारी

1914 से मंदिर में पूजा अर्चना हो रही हैः पुजारी बताते हैं कि अखंडवासिनि मंदिर 1914 में झोपड़ी में विराजमान थी. तीन पीढियां से एक ही परिवार माता रानी की देखरेख व पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. वर्तमान में अखंड वासिनी मंदिर के व्यवस्थापक पुजारी विशाल तिवारी के द्वारा किया जाता है. विशाल तिवारी के दादा विश्वनाथ तिवारी के द्वारा कामाख्या मंदिर से अखंड ज्योत को लाया गया था, जो आज तक जल रही है.

नवरात्र में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ः विशाल तिवारी ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता के कारण नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. अष्टमी और नवमी को 24 घंटे मंदिर खुला रहता है. नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. पूजन के बाद भंडारा का भी आयोजन किया जाता है. नवरात्र को लेकर अखंड वासनी मंदिर को पूरे तरीके से सजा दिया गया है. श्रद्धालु भक्त को ध्यान में रखते हुए सड़क पर पंडाल का निर्माण कराया जाएगा.

पटना का अखंडवासिनी मंदिर

पटनाः आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है. इस अवसर पर पटना के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. गोलघर स्थित अखंडवासिनी मंदिर मनोकामना मंदिर के नाम से जाना जाता है. जो भक्त नवरात्र के मौके पर 9 दिन अखंड दीप जलाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. बता दें कि इस मंदिर का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां, 24 घंटे अखंड दीप जलते रहती है. पुजारी बताते हैं कि इस अखंड दीप को कामाख्या से लाया गया है, जो 109 वर्षों से जल रही है.

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ब्रह्म मुहूर्त में होगी घटस्थापनाः इस मंदिर में रोज भक्तों की भीड़ लगी रहती है. नवरात्र के मौके पर 9 दिनों तक काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. जो भी भक्त मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, माता रानी उनकी इच्छा पूर्ण करती हैं. राजधानी ही नहीं बल्कि बिहार के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. अखंड वासिनी मंदिर के पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. ब्रह्म मुहूर्त में जल यात्रा के साथ घटस्थापना होगी. इसके बाद माता की पूजा-अर्चना होगी.

"109 सालों से लगातार अखंड ज्योत जल रही है. यह असम के कामख्या से लाय गया है. एक में घी और दूसरे में सरसों तेल का प्रयोग होता है. नवरात्र के मौके पर बहुत सारे भक्त इस अखंड ज्योत में घी और सरसो तेल डालते हैं. कई भक्त ऐसे हैं जो अपने मन में मनोकामना लेकर मंदिर में अलग अखंड दीप 9 दिन तक जलाते हैं. कलश स्थापना के दिन से अखंड दीप का संकल्प कराकर प्रज्ज्वलित किया जाता है. अखंड दीप 24 घंटे जलती रहती है, इसी कारण से इस मंदिर का नाम अखंड वासिनी पड़ा है." -विशाल तिवारी, पुजारी

1914 से मंदिर में पूजा अर्चना हो रही हैः पुजारी बताते हैं कि अखंडवासिनि मंदिर 1914 में झोपड़ी में विराजमान थी. तीन पीढियां से एक ही परिवार माता रानी की देखरेख व पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. वर्तमान में अखंड वासिनी मंदिर के व्यवस्थापक पुजारी विशाल तिवारी के द्वारा किया जाता है. विशाल तिवारी के दादा विश्वनाथ तिवारी के द्वारा कामाख्या मंदिर से अखंड ज्योत को लाया गया था, जो आज तक जल रही है.

नवरात्र में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ः विशाल तिवारी ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता के कारण नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. अष्टमी और नवमी को 24 घंटे मंदिर खुला रहता है. नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. पूजन के बाद भंडारा का भी आयोजन किया जाता है. नवरात्र को लेकर अखंड वासनी मंदिर को पूरे तरीके से सजा दिया गया है. श्रद्धालु भक्त को ध्यान में रखते हुए सड़क पर पंडाल का निर्माण कराया जाएगा.

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