पटना: शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि मंगलवार 11 जुलाई को पटना में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई की जाए. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र भेज दिया है. पत्र में लिखा है कि विभिन्न न्यूज चैनलों में चल रहे वीडियो और सोशल साइट पर उपलब्ध फोटो से प्रदर्शन में सम्मिलित शिक्षकों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जाए. शिक्षा विभाग के इस निर्णय पर शिक्षक संघ ने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
इसे भी पढ़ें- Bihar Teacher Recruitment : शिक्षक मामले में बैकफुट पर CM..! BJP और वामदलों का सरकार पर दबाव
विद्यालयों में तालाबंदी की जाएगीः बिहार प्रारंभिक नगर पंचायत शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि सरकार को और मुख्यमंत्री को पहले से जानकारी दे दी गई थी कि 11 और 12 जुलाई को शिक्षक प्रदर्शन करेंगे. 11 को धरना देंगे और 12 जुलाई को डेरा डालो घेरा डालो अभियान के तहत विधायकों और विधान पार्षदों के आवास में जुटान करेंगे. वह सरकार से अपील करेंगे कि ऐसे तुगलकी फरमान को रद्द करें अन्यथा अगर किसी शिक्षक पर कार्रवाई होती है तो शिक्षक उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे. विद्यालयों में तालाबंदी भी की जाएगी.
"शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की ओर से तुगलकी फरमान जारी किया गया है. यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर चोट है. तमाम शिक्षक विद्यालयों में छुट्टी का आवेदन देकर और संबंधित अधिकारियों से छुट्टी स्वीकृत कराने के बाद ही आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए पटना पहुंचे हैं."- प्रमोद कुमार, बिहार प्रारंभिक नगर पंचायत शिक्षक संघ के अध्यक्ष
उग्र आंदोलन करने के लिए विवश होगा संघः बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान से शिक्षकों में रोष है. सभी अपना सीएल लेकर और उसे स्वीकृत कराकर शिक्षक आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए पटना पहुंचे हुए थे. आंदोलन में सम्मिलित शिक्षकों पर कार्रवाई का निर्देश सरासर अनुचित है. वह शिक्षा विभाग के इस निर्देश का कड़ा विरोध करते हैं. शिक्षकों पर यदि कोई कार्रवाई होती है तो शिक्षक संघ उग्र आंदोलन करने के लिए विवश होगा.
शिक्षा विभाग का बेहद ही निंदनीय कृत्य: बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि यह शिक्षा विभाग का बेहद ही निंदनीय कृत्य है. कल के प्रदर्शन में जिस प्रकार भारी तादाद में शिक्षक पहुंचे थे और कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी यह अपने आप में आंदोलन की उपलब्धि है. शिक्षक तमाम नियमों का पालन करते हुए अपना सीएल स्वीकृत कराकर पहुंचे हुए थे. आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि शिक्षकों की भीड़ को देखते हुए सरकार ने शिक्षक प्रतिनिधियों से वार्ता करने की बातें कहीं. अब जब सरकार शिक्षकों से सीधे बात कर रही है तो बीच में शिक्षा विभाग को पड़ने की आवश्यकता क्या पड़ गई समझ से परे है.
सरकार की छवि खराब करने की कोशिशः माले विधायक ने कहा कि महागठबंधन सरकार की छवि को खराब करने की अधिकारियों की ओर से कोशिश की जा रही है. प्रदेश के मुखिया हो चाहे तमाम बड़े नेता सभी आंदोलनों की उपज हैं. ऐसे में बिहार जैसे लोकतांत्रिक प्रदेश में आंदोलन पर इस प्रकार कार्रवाई करना निंदनीय है. वह सरकार से पत्राचार करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि इस आदेश को रद्द करते हुए ऐसा आदेश निर्गत करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए.