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सरकारी कर्मचारियों ने संपत्ति का ब्योरा न दिया तो होगी कार्रवाई, करप्शन एक्ट में दर्ज होगा केस - प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट

सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होगा. ऐसा नहीं करने पर करप्शन एक्ट के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज होगा. मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, पुलिस महानिदेशक, सभी विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी जिला अधिकारी को पत्र लिखा है.

Chief Secretary Tripurari Sharan
मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण
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Published : Jun 30, 2021, 10:51 PM IST

पटना: बिहार में सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बिहार सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है. सरकार ने फैसला किया है कि सभी सरकारी सेवकों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा. ऐसा नहीं करने पर करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज होगा और कार्रवाई होगी.

यह भी पढ़ें- शिक्षा विभाग ने 30 अधिकारियों का किया तबादला, अमित कुमार बने पटना के DEO

नियमावली का पालन न किया तो होगी कार्रवाई
मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1976 के प्रावधान के अनुपालन के संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, पुलिस महानिदेशक, सभी विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी जिला अधिकारी को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा नियमावली का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाएगा.

चार पन्ने के पत्र में मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने लिखा है कि सरकारी सेवकों द्वारा चल/अचल संपत्ति के क्रय और विक्रय के संबंध में प्रावधान बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के विभिन्न नियमों में किए गए हैं. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र संख्या 4163 दिनांक 25-3 -2021 द्वारा मार्गदर्शन भी दिया गया है. इसके बाद भी कई मामलों में ऐसा देखा जा रहा है कि प्रासंगिक प्रावधानों का अनुपालन दृढ़ता से सभी स्तरों पर नहीं किया जा रहा है.

जमीन खरीदने-बेचने से पहले देनी होगी जानकारी
बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1976 का प्रावधान है कि प्रत्येक सरकारी सेवक किसी सेवा में या पद पर अपनी प्रथम नियुक्ति के समय और उसके बाद हरेक 12 माह के अंतराल पर (31 दिसंबर के बाद फरवरी तक) अपनी संपत्ति और दायित्वों का ब्योरा देगा.

कोई सरकारी सेवक सरकार की पूर्व जानकारी के बिना किसी अचल संपत्ति की खरीद बिक्री नहीं करेगा. प्रत्येक सरकारी सेवक सभी ऐसे लेन-देन के संबंध में जिसका मूल्य सरकारी सेवक के दो माह के मूल वेतन से अधिक हो, उसकी जानकारी लेन-देन होने के एक माह के अंदर देगा.

रूक सकता है वेतन
सरकारी सेवक अगर अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं देते हैं तो उनका वेतन भुगतान सरकार या वित्त अधिकारी ब्योरा देने तक रोक सकेंगे. समय पर जानकारी नहीं देना सरकारी कर्तव्य पालन में गंभीर कदाचार माना जाएगा. इसके लिए संबंधित कर्मी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

ब्योरा मिलने पर दिया जाता है फरवरी का वेतन
बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली में प्रावधान है कि राज्य सरकार के समूह क, ख, ग के सभी सरकारी सेवकों को प्रत्येक वर्ष फरवरी माह तक अपनी चल/अचल संपत्ति का ब्योरा देना होगा. संपत्ति का ब्योरा मिलने पर ही सरकारी सेवक को फरवरी माह का वेतन दिया जाता है. सरकारी सेवक अगर चल या अचल संपत्ति (जमीन, मकान, फ्लैट, गाड़ी आदि) खरीदते या बेचते हैं तो उन्हें इसकी जानकारी लेन-देन के एक माह में देनी होगी.

यह भी पढ़ें- नमामि गंगे प्रोजेक्ट: अधूरे कार्य से गड्ढों में तब्दील हुई सड़कें, बरसात में बढ़ीं लोगों की समस्याएं

पटना: बिहार में सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बिहार सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है. सरकार ने फैसला किया है कि सभी सरकारी सेवकों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा. ऐसा नहीं करने पर करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज होगा और कार्रवाई होगी.

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नियमावली का पालन न किया तो होगी कार्रवाई
मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1976 के प्रावधान के अनुपालन के संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, पुलिस महानिदेशक, सभी विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी जिला अधिकारी को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा नियमावली का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाएगा.

चार पन्ने के पत्र में मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने लिखा है कि सरकारी सेवकों द्वारा चल/अचल संपत्ति के क्रय और विक्रय के संबंध में प्रावधान बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के विभिन्न नियमों में किए गए हैं. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र संख्या 4163 दिनांक 25-3 -2021 द्वारा मार्गदर्शन भी दिया गया है. इसके बाद भी कई मामलों में ऐसा देखा जा रहा है कि प्रासंगिक प्रावधानों का अनुपालन दृढ़ता से सभी स्तरों पर नहीं किया जा रहा है.

जमीन खरीदने-बेचने से पहले देनी होगी जानकारी
बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1976 का प्रावधान है कि प्रत्येक सरकारी सेवक किसी सेवा में या पद पर अपनी प्रथम नियुक्ति के समय और उसके बाद हरेक 12 माह के अंतराल पर (31 दिसंबर के बाद फरवरी तक) अपनी संपत्ति और दायित्वों का ब्योरा देगा.

कोई सरकारी सेवक सरकार की पूर्व जानकारी के बिना किसी अचल संपत्ति की खरीद बिक्री नहीं करेगा. प्रत्येक सरकारी सेवक सभी ऐसे लेन-देन के संबंध में जिसका मूल्य सरकारी सेवक के दो माह के मूल वेतन से अधिक हो, उसकी जानकारी लेन-देन होने के एक माह के अंदर देगा.

रूक सकता है वेतन
सरकारी सेवक अगर अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं देते हैं तो उनका वेतन भुगतान सरकार या वित्त अधिकारी ब्योरा देने तक रोक सकेंगे. समय पर जानकारी नहीं देना सरकारी कर्तव्य पालन में गंभीर कदाचार माना जाएगा. इसके लिए संबंधित कर्मी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

ब्योरा मिलने पर दिया जाता है फरवरी का वेतन
बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली में प्रावधान है कि राज्य सरकार के समूह क, ख, ग के सभी सरकारी सेवकों को प्रत्येक वर्ष फरवरी माह तक अपनी चल/अचल संपत्ति का ब्योरा देना होगा. संपत्ति का ब्योरा मिलने पर ही सरकारी सेवक को फरवरी माह का वेतन दिया जाता है. सरकारी सेवक अगर चल या अचल संपत्ति (जमीन, मकान, फ्लैट, गाड़ी आदि) खरीदते या बेचते हैं तो उन्हें इसकी जानकारी लेन-देन के एक माह में देनी होगी.

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