पटना: बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में परिवर्तन अब साफ नजर आने लगा है. एक दौर था लालू का और एक यह दौर है तेजस्वी यादव का. पार्टी ने इस बार लालू यादव को ना सिर्फ अपने पोस्टर से किनारे किया, बल्कि पार्टी चलाने के तरीकों को बदल दिया गया . तेजस्वी की आक्रामकता और अनुशासन को लेकर सख्त रवैये ने पार्टी को एक नया तेवर दिया है.
राजद ने बदला चेहरा
विधानसभा चुनाव में जब राजद ने अपना कैंपेन शुरू किया तो कई बदलाव नजर आए. सबसे प्रमुख बदलाव पार्टी के चेहरे को लेकर था. जिसमें पार्टी ने बड़ा स्टैंड लेते हुए लालू यादव को पर्दे के पीछे कर दिया और तेजस्वी यादव के कंधे पर जिम्मेदारी देकर सामने खड़ा कर दिया.
बागियों पर कार्रवाई
बीजेपी से तकनीकी रूप में कमजोर होते हुए भी राजद ने इस बार सोशल मीडिया कैंपेन पर विशेष जोर दिया, जो काफी कारगर साबित हुआ है. अनुशासन के मामले में भी पार्टी ने पिछले 1 साल में जबरदस्त परिवर्तन लाकर बागियों और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त नेताओं पर फटाफट कार्रवाई की.
संगठन में परिवर्तन
यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि लालू यादव कभी भी पार्टी विरोधियों गतिविधियों में लिप्त नेताओं पर कार्रवाई को गंभीरता से नहीं लेते थे. पहले अनुशासन पर कोई ज्यादा जोर नहीं था, लेकिन पिछले 1 साल में पार्टी में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है. प्रदेश कार्यालय से लेकर पार्टी के संगठन स्तर तक जो बदलाव किए गए हैं. उनमें कार्यकर्ताओं को तरजीह देना और उत्तरदायित्व तय करना अहम है.
विधानसभा चुनाव की बात करें तो पिछले कुछ महीनों में पार्टी से निष्कासित किए गए लोगों की संख्या गौर करने लायक है. ऐसा पार्टी में कभी भी देखने को नहीं मिला था. जब पार्टी के विरोध में चुनाव में उतरने वाले इतने लोगों पर एक साथ कार्रवाई हुई हो. पार्टी के कई विधायकों को भी सस्पेंड किया गया है.
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सत्ता के दरवाजे पर पहुंची आरजेडी
नए दौर का राजद अब युवा नेता तेजस्वी यादव के हिसाब से आगे बढ़ रही है. माना जा रहा है कि पार्टी ने परिवर्तन की जो राह पकड़ी है उसी की बदौलत राजद विधानसभा चुनाव में सत्ता के दरवाजे तक पहुंच सका. हालांकि सत्ता की चाबी एनडीए के ही हाथ ली.