पटना: बिहार में नई शिक्षक नियमावली के तहत बीपीएससी की ओर से 1.70 लाख शिक्षकों की बहाली को लेकर के एग्जाम कैलेंडर जारी हो गया है. गुरुवार से आवेदन करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. शिक्षक अभ्यर्थी कल 15 जून से 12 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं. बीपीएससी 19, 20, 26 और 27 अगस्त को शिक्षकों की प्रारंभिक परीक्षा लेगा. इसको लेकर के सभी जिला के डीएम को संयोजक भी बना दिया गया है.
नई शिक्षक नियमावली का शुरू से हो रहा विरोध: यह शिक्षक बहाली जब से आई है, चाहे नियोजित शिक्षकों या शिक्षक अभ्यर्थी, सभी इसका विरोध कर रहे हैं. प्रारंभिक शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि वह इस नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के खिलाफ हाईकोर्ट गए हुए हैं. ग्रीष्मावकाश के बाद हाई कोर्ट की सुनवाई शुरू होने के बाद कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा कि वह फॉर्म भरेंगे या नहीं. प्रारंभिक शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि वह परीक्षा का विरोध कर रहे हैं और यदि हाईकोर्ट का निर्णय होता है, परीक्षा फॉर्म भरने का तो वह आवेदन करेंगे.
परीक्षा के ऊपर परीक्षा लाद रही सरकार: बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने बताया कि वेलोग इस नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का शुरू से विरोध कर रहे हैं. वह लोग पूर्व से सीटेट, बीटेट पास हैं. फिर भी सरकार उन लोगों का नियोजन नहीं करा रही है और नई शिक्षक नियमावली उन लोगों के ऊपर बाध्यकारी कर दी गई है. सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों के ऊपर परीक्षा के ऊपर परीक्षा लाद रही है. इसके विरोध में वह लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं.
हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार: प्रारंभिक शिक्षक अभ्यर्थी परीक्षा में बैठेंगे अथवा नहीं, परीक्षा फॉर्म भरेंगे अथवा नहीं, इस सवाल पर दीपांकर गौरव ने बताया कि वेलोग परीक्षा का विरोध कर रहे हैं और इसको लेकर वह हाई कोर्ट में आवेदन किए हुए हैं. परीक्षा फॉर्म वेलोग भरेंगे अथवा नहीं यह हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर करता है. हाई कोर्ट यदि कहता है कि उन्हें परीक्षा फॉर्म भरना होगा तो वेलोग परीक्षा फॉर्म भरेंगे. उन लोगों को कोर्ट पर भरोसा है.
"वेलोग इस नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का शुरू से विरोध कर रहे हैं. वह लोग पूर्व से सीटेट, बीटेट पास हैं. फिर भी सरकार उन लोगों का नियोजन नहीं करा रही है और नई शिक्षक नियमावली उन लोगों के ऊपर बाध्यकारी कर दी गई है. इसको लेकर वह हाई कोर्ट में आवेदन किए हुए हैं. परीक्षा फॉर्म वेलोग भरेंगे अथवा नहीं यह हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर करता है" - दीपांकर गौरव, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ
वाम दलों ने अभ्यर्थियों के आंदोलन का समय जाया किया: दीपांकर गौरव ने बताया कि जब यह नई नियमावली आई और शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी विरोध में थे. उस समय वाम दलों के नेताओं और खासकर विधायक संदीप सौरव से आश्वासन मिला था कि शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ गलत हुआ है और वह लोग शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों की लड़ाई में सहभागी बनेंगे. लेकिन डेढ़ से 2 महीना बीतने जा रहा है और अभी तक लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. सिर्फ समय जाया किया गया है. इन नेताओं ने शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ सिर्फ अब तक खिलवाड़ किया है.
बीजेपी विरोध में दे रही साथ: इसके अलावा बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी ने शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी जिसमें वह गए थे. प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते शिक्षकों के मुद्दे पर पूरी तरह से साथ देने के साथ साथ सड़क पर उतरने का वादा किया है. भाजपा ने भी नई शिक्षा नियमावली पर एतराज जताया है. अब आगे की रणनीति आगे बताई जाएगी, लेकिन वह लोग पुरजोर तरीके से इस नई नियमावली का विरोध कर रहे हैं.
हाईकोर्ट के निर्णय में देरी पर भरना पड़ेगा फार्म: शिक्षक अभ्यर्थी सुधांशु कुमार ने कहा कि वह सीटेट पेपर वन के साथ-साथ paper-2 में भी क्वालिफाइड हैं. वह कक्षा 6 से 8 के शिक्षक बनने की पात्रता रखते हैं. इस वैकेंसी में कक्षा 6 से 8 की कोई चर्चा नहीं है और प्रदेश में 35 हजार के करीब paper-2 में क्वालिफाइड अभ्यर्थी हैं. प्रदेश में कक्षा 6 से 8 में शिक्षकों की भारी कमी है और इस वैकेंसी में वह सरकार से मांग करते हैं कि कक्षा 6 से 8 के लिए भी शिक्षकों की बहाली निकाले. यदि कोर्ट के निर्णय आने में देरी होती है और फॉर्म भरने की आखिरी तिथि 12 जुलाई के बाद यदि कोर्ट के निर्णय की आशंका बनती है तो मजबूरी में उन लोगों को फॉर्म भरना पड़ेगा क्योंकि यह नियमावली उन लोगों के ऊपर बाध्यकारी है.
"सीटेट पेपर वन के साथ-साथ paper-2 में भी क्वालिफाइड हूं. वह कक्षा 6 से 8 के शिक्षक बनने की पात्रता रखता हूं. इस वैकेंसी में कक्षा 6 से 8 की कोई चर्चा नहीं है और प्रदेश में 35 हजार के करीब paper-2 में क्वालिफाइड अभ्यर्थी हैं. यदि कोर्ट के निर्णय आने में देरी होती है और फॉर्म भरने की आखिरी तिथि 12 जुलाई के बाद यदि कोर्ट के निर्णय की आशंका बनती है तो मजबूरी में उन लोगों को फॉर्म भरना पड़ेगा"- सुधांशु कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी