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कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव, विपक्ष ने बोला सरकार पर हमला तो चिकित्सकों ने दी ये सलाह

हाल ही में बिहार सरकार की ओर से विधानसभा में कैग की रिपोर्ट (CAG Report of Bihar) पेश की गई थी. जिसके बाद स्वास्थ्य को लेकर प्रदेश में सरकार के दावों की कलई खुल गई. कैग रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव है. रिपोर्ट के अनुसार बिहार के अधिकांश जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चल रहे हैं और कई जिलों में हेपेटाइटिस जैसे जांच के किट उपलब्ध नहीं है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव
स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव
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Published : Apr 5, 2022, 2:38 PM IST

पटना: कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव (CAG report on Bihar Health Department) दिखा. रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक (blood bank without license in bihar) बैंक चल रहे हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में और भी कई खुलासे किए गए हैं. दो जिला अस्पताल को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश के जिला अस्पतालों में सैंक्शन के अनुरूप मात्र 24 से 32 परसेंट ही बेड उपलब्ध पाए गए और डॉक्टर नर्स पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी बताई गई. कैग रिपोर्ट पर आरजेडी नेता ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है. वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस पर चिंता जताई है.

ये भी पढ़ें: कैग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के बेहतरीन प्रयासों के दावों की खुली पोल, सामने आए ये तथ्य

'नीतीश सरकार फिसड्डी साबित': आरजेडी नेता प्रवीण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर फिसड्डी साबित हुई है. काम करने के बजाए सिर्फ झूठी बयानबाजी करने में लगी रहती है. कोरोना काल में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त किए जाने की बातें कही गई लेकिन यह सभी धरातल पर झूठे साबित हुए. उन्होंने कहा कि देश के 19 बड़े राज्यों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार अट्ठारह नंबर पर है और यह वर्तमान सरकार के लिए शर्म की बात है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के जिला अस्पतालों में बेड की भारी कमी है, 2009 के अनुसार जो अस्पतालों में बेड की संख्या मानक के अनुरूप निर्धारित की गई है उस मानक के 24 से 32 फ़ीसदी हीं बेड उपलब्ध है.

जरूरी दवाइयों का घोर अभाव: आरजेडी नेता ने कहा कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में जरूरी उपकरणों की कमी है. इसके अलावा इमरजेंसी में जरूरी दवाइयों का घोर अभाव है. इन सबके अलावा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ के अलावा अन्य प्रकार के ह्यूमन रिसोर्सेज की भी काफी कमी है. चिकित्सकों की कमी के वजह से ओपीडी के समय अस्पतालों में डॉक्टरों पर लोड काफी अधिक होता है. ऐसे में डॉक्टर भी मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते और सही इलाज मरीजों को नहीं मिल पाता है. प्रदेश में दो जिला को छोड़कर कहीं भी मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक नहीं है और प्रदेश के काफी संख्या में प्राइवेट अस्पताल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 का पालन नहीं करते. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार देश के फिसड्डी राज्यों में दूसरे पायदान पर है. ऐसे में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे जनता से क्रूर मजाक है.

आरजेडी की सरकार को सलाह: ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने सलाह दी कि सरकार को चाहिए कि कैग की इस रिपोर्ट से अपनी आंखें खोली और जहां जो कुछ भी कमियां हैं, उसे दूर करने के लिए वास्तव में प्रयास करें. जिला अस्पतालों के लिए एक अच्छा बजट का प्रावधान करें और अस्पतालों के ऑपरेशन थिएटर में जो कुछ संसाधनों की कमी है और इमरजेंसी में जो दवाइयों की कमी है, उसे अविलंब अस्पताल में उपलब्ध करें. सभी जिलों में मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक की स्थापना करें ताकि लोगों को खून की कमी के वजह से समस्या का सामना ना करना पड़े. अस्पतालों में जो कुछ संसाधन की कमी है उसे अविलंब भरपाई करें और जितने भी स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य ह्यूमन रिसोर्सेज की अस्पतालों में कमी है, उसको लेकर के सरकार विज्ञापन निकाले और पर्याप्त संख्या में मानव बल अस्पतालों में उपलब्ध कराएं.



कैग रिपोर्ट चिंता का विषय: वहीं इस मसले पर पटना एआईआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक और आईएमए के सदस्य डॉ. ऋषभ कुमार ने कहा कि कैग की रिपोर्ट चिंता का विषय है. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिलों में कई सारे बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चल रहे हैं. ऐसे में इन सभी ब्लड बैंकों को सरकार लाइसेंस निर्गत करने का काम करें और इसके लिए जो ब्लड बैंक फिट नहीं बैठते हैं, उन्हें बंद करें. हेपेटाइटिस और अन्य कई सारे कीट जिनकी अस्पतालों में घोर कमी है, इसे अविलंब दूर करने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास करना चाहिए क्योंकि अस्पताल में ऑपरेशन करने से पहले कोई भी चिकित्सक पहले इस प्रकार की जांच करते हैं और अगर इस प्रकार की जांच की तो उपलब्ध नहीं है तो ऑपरेशन के लिए चिकित्सक हाथ नहीं लगाते हैं. ऑपरेशन थिएटर में जो कुछ उपकरण की कमी है और इमरजेंसी में जहां दवाइयों की कमी है, उसे अविलंब पूर्ति करें और जहां तक स्वास्थ्य कर्मियों की कमी की बात है तो इसे भी दूर करने के लिए सरकार प्रयास करें ताकि अगली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश की रैंकिंग देशभर में थोड़ी अच्छी हो सके.

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पटना: कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव (CAG report on Bihar Health Department) दिखा. रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक (blood bank without license in bihar) बैंक चल रहे हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में और भी कई खुलासे किए गए हैं. दो जिला अस्पताल को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश के जिला अस्पतालों में सैंक्शन के अनुरूप मात्र 24 से 32 परसेंट ही बेड उपलब्ध पाए गए और डॉक्टर नर्स पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी बताई गई. कैग रिपोर्ट पर आरजेडी नेता ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है. वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस पर चिंता जताई है.

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'नीतीश सरकार फिसड्डी साबित': आरजेडी नेता प्रवीण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर फिसड्डी साबित हुई है. काम करने के बजाए सिर्फ झूठी बयानबाजी करने में लगी रहती है. कोरोना काल में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त किए जाने की बातें कही गई लेकिन यह सभी धरातल पर झूठे साबित हुए. उन्होंने कहा कि देश के 19 बड़े राज्यों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार अट्ठारह नंबर पर है और यह वर्तमान सरकार के लिए शर्म की बात है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के जिला अस्पतालों में बेड की भारी कमी है, 2009 के अनुसार जो अस्पतालों में बेड की संख्या मानक के अनुरूप निर्धारित की गई है उस मानक के 24 से 32 फ़ीसदी हीं बेड उपलब्ध है.

जरूरी दवाइयों का घोर अभाव: आरजेडी नेता ने कहा कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में जरूरी उपकरणों की कमी है. इसके अलावा इमरजेंसी में जरूरी दवाइयों का घोर अभाव है. इन सबके अलावा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ के अलावा अन्य प्रकार के ह्यूमन रिसोर्सेज की भी काफी कमी है. चिकित्सकों की कमी के वजह से ओपीडी के समय अस्पतालों में डॉक्टरों पर लोड काफी अधिक होता है. ऐसे में डॉक्टर भी मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते और सही इलाज मरीजों को नहीं मिल पाता है. प्रदेश में दो जिला को छोड़कर कहीं भी मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक नहीं है और प्रदेश के काफी संख्या में प्राइवेट अस्पताल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 का पालन नहीं करते. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार देश के फिसड्डी राज्यों में दूसरे पायदान पर है. ऐसे में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे जनता से क्रूर मजाक है.

आरजेडी की सरकार को सलाह: ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने सलाह दी कि सरकार को चाहिए कि कैग की इस रिपोर्ट से अपनी आंखें खोली और जहां जो कुछ भी कमियां हैं, उसे दूर करने के लिए वास्तव में प्रयास करें. जिला अस्पतालों के लिए एक अच्छा बजट का प्रावधान करें और अस्पतालों के ऑपरेशन थिएटर में जो कुछ संसाधनों की कमी है और इमरजेंसी में जो दवाइयों की कमी है, उसे अविलंब अस्पताल में उपलब्ध करें. सभी जिलों में मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक की स्थापना करें ताकि लोगों को खून की कमी के वजह से समस्या का सामना ना करना पड़े. अस्पतालों में जो कुछ संसाधन की कमी है उसे अविलंब भरपाई करें और जितने भी स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य ह्यूमन रिसोर्सेज की अस्पतालों में कमी है, उसको लेकर के सरकार विज्ञापन निकाले और पर्याप्त संख्या में मानव बल अस्पतालों में उपलब्ध कराएं.



कैग रिपोर्ट चिंता का विषय: वहीं इस मसले पर पटना एआईआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक और आईएमए के सदस्य डॉ. ऋषभ कुमार ने कहा कि कैग की रिपोर्ट चिंता का विषय है. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिलों में कई सारे बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चल रहे हैं. ऐसे में इन सभी ब्लड बैंकों को सरकार लाइसेंस निर्गत करने का काम करें और इसके लिए जो ब्लड बैंक फिट नहीं बैठते हैं, उन्हें बंद करें. हेपेटाइटिस और अन्य कई सारे कीट जिनकी अस्पतालों में घोर कमी है, इसे अविलंब दूर करने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास करना चाहिए क्योंकि अस्पताल में ऑपरेशन करने से पहले कोई भी चिकित्सक पहले इस प्रकार की जांच करते हैं और अगर इस प्रकार की जांच की तो उपलब्ध नहीं है तो ऑपरेशन के लिए चिकित्सक हाथ नहीं लगाते हैं. ऑपरेशन थिएटर में जो कुछ उपकरण की कमी है और इमरजेंसी में जहां दवाइयों की कमी है, उसे अविलंब पूर्ति करें और जहां तक स्वास्थ्य कर्मियों की कमी की बात है तो इसे भी दूर करने के लिए सरकार प्रयास करें ताकि अगली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश की रैंकिंग देशभर में थोड़ी अच्छी हो सके.

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