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'लालू यादव को षड्यंत्र के तहत चारा घोटाला मामले में फंसाया गया, लाएंगे इस किताब का हिंदी अनुवाद'

राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वो एक किताब का हिंदी अनुवाद करवाने जा रहे हैं. इससे साफ होगा कि कैसे लालू यादव को चारा घोटाला मामले में एक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया था.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट
पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट
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Published : Aug 10, 2020, 9:11 PM IST

पटना: बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्धकी ने एक बार फिर लालू यादव के बहाने सीबीआई जांच पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने चारा घोटाला मामले की जांच में शामिल पूर्व अधिकारी की किताब के हवाले से पूरे मामले की चर्चा सोशल मीडिया पर की है. इसके बाद इस मामले में एक बार फिर सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्धकी ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि मैंने जानबूझकर बिहार विधानसभा चुनाव के साल में यह मुद्दा उठाया है, ताकि उस पर चर्चा हो सके. दरअसल, कर्नाटक के पूर्व डीजीपी और चारा घोटाला मामले के मुख्य जांच अधिकारी एपी दुरई ने अपनी आत्मकथा 'परसूट ऑफ लॉ एंड ऑर्डर' में माना है कि लालू यादव को चारा घोटाला मामले में एक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

दुर्भावना से ग्रस्त होकर लोगों को फंसाया जाता है- सिद्दीकी
अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि लालू यादव के उदाहरण से यह समझा जा सकता है कि समाज में किस तरह की दुर्भावना से ग्रस्त होकर लोगों को फंसाया जाता है. आज की राजनीति में जो लोग कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते हैं. उन लोगों ने पहले कर्पूरी ठाकुर को लेकर भी कई सवाल खड़े किए थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह का भी जिक्र किया कि जो लोग मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने से पहले प्रीति सिंह का गुणगान करते थे. उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने के बाद वीपी सिंह को गाली देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव
अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव

वरिष्ठ राजद नेता सिद्दीकी ने कहा कि वे जल्द ही इस महत्वपूर्ण पुस्तक की हिंदी अनुवाद करा कर लोगों के बीच चारा घोटाला मामले की असलियत सामने लाएंगे.

किताबों के जरिए राजनीतिक बिसात
गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के समय 'गोपालगंज टू रायसीना' नाम की किताब रिलीज हुई थी. इस किताब में लालू यादव की राजनीति के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया था. जिसमें नीतीश कुमार की राजनीति को लेकर भी सवाल जवाब थे. ऐसे में एक बार फिर बिहार में किताब के जरिए राजनीति देखने को मिल सकती है, जैसा की अब्दुल बारी सिद्दीकी ने अपने बयान में साफ किया है.

पटना: बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्धकी ने एक बार फिर लालू यादव के बहाने सीबीआई जांच पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने चारा घोटाला मामले की जांच में शामिल पूर्व अधिकारी की किताब के हवाले से पूरे मामले की चर्चा सोशल मीडिया पर की है. इसके बाद इस मामले में एक बार फिर सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्धकी ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि मैंने जानबूझकर बिहार विधानसभा चुनाव के साल में यह मुद्दा उठाया है, ताकि उस पर चर्चा हो सके. दरअसल, कर्नाटक के पूर्व डीजीपी और चारा घोटाला मामले के मुख्य जांच अधिकारी एपी दुरई ने अपनी आत्मकथा 'परसूट ऑफ लॉ एंड ऑर्डर' में माना है कि लालू यादव को चारा घोटाला मामले में एक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

दुर्भावना से ग्रस्त होकर लोगों को फंसाया जाता है- सिद्दीकी
अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि लालू यादव के उदाहरण से यह समझा जा सकता है कि समाज में किस तरह की दुर्भावना से ग्रस्त होकर लोगों को फंसाया जाता है. आज की राजनीति में जो लोग कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते हैं. उन लोगों ने पहले कर्पूरी ठाकुर को लेकर भी कई सवाल खड़े किए थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह का भी जिक्र किया कि जो लोग मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने से पहले प्रीति सिंह का गुणगान करते थे. उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने के बाद वीपी सिंह को गाली देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव
अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव

वरिष्ठ राजद नेता सिद्दीकी ने कहा कि वे जल्द ही इस महत्वपूर्ण पुस्तक की हिंदी अनुवाद करा कर लोगों के बीच चारा घोटाला मामले की असलियत सामने लाएंगे.

किताबों के जरिए राजनीतिक बिसात
गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के समय 'गोपालगंज टू रायसीना' नाम की किताब रिलीज हुई थी. इस किताब में लालू यादव की राजनीति के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया था. जिसमें नीतीश कुमार की राजनीति को लेकर भी सवाल जवाब थे. ऐसे में एक बार फिर बिहार में किताब के जरिए राजनीति देखने को मिल सकती है, जैसा की अब्दुल बारी सिद्दीकी ने अपने बयान में साफ किया है.

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