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निजामुद्दीन बोले- 'अब इस चक्की से मैं अपना काम खुद से कर पाऊंगा, लॉकडाउन में चली गई थी रोजी-रोटी' - TRICYCLE FLOUR MILL

बैटरी से चलने वाली आटा चक्की दिव्यांग के लिए रोजगार का सहारा बन गयी है. दरभंगा के दिव्यांग निजामुद्दीन चक्की पाकर बहुत खुश हैं.

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बैटरी-चालित आटा चक्की के साथ दरभंगा के दिव्यांग निजामुद्दीन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 29, 2024, 10:57 PM IST

दरभंगा: लॉकडाउन को कौन भूल सकता है. अचानक से पूरा देश बंद हो गया था. जो जहां था वहीं अटक गया. कोरोना ने जिंदगी बदल दी थी. लाखों लोग बेरोजगार हो गए थे. इसी में से एक थे दरभंगा के दिव्यांग निजामुद्दीन की. निजामुद्दीन लॉकडाउन से पहले होटल में रोटी बनाते थे. रोटी बनाने की रोजी-रोटी लॉकडाउन ने छीन ली, लेकिन आज सरकार की ओर से मिली बैटरी-चालित आटा चक्की जीने का सहारा बन गयी है.

''पहले मैं होटल में बैठकर रोटी बनाने का काम करता था, लेकिन जब से तंदूर रोटी होटल में बनने लगी तो दिव्यांग होने के कारण खड़े होकर तंदूर बनाना मुश्किल हो गया. रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी, उसने कहीं का नहीं छोड़ा. आज बैटरी-चालित आटा चक्की मिलने से परिवार के लोगों के बीच काफी खुशी है. अब मैं अपना काम खुद कर पाऊंगा और परिवार की जिम्मेदारी भी अच्छे से निभा पाऊंगा.''- निजामुद्दीन, लाभुक

दिव्यांगों को मिला बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

'अब खुद कमाऊंग और खाऊंगा': वहीं दिव्यांग गुलाब कुमार पासवान ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि विकलांग होने के कारण पहले दूसरे लोगों पर आश्रित रहना पड़ता था, लेकिन अब मैं खुद का रोजगार कर कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि एक दिन कोई ₹200 दे सकता है, लेकिन बार-बार कोई नहीं देता. बैटरी वाली ट्राई साइकिल चक्की को लेकर कहीं भी जाकर इससे कमाई कर सकता हूं.

दिव्यागों को मिला रोजी का सहारा: दरअसल, सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनकी राह को आसान कर रही है.सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टमस (CSTS) के द्वारा बैटरी-चालित आटा चक्की सिस्टम विकसित किया है.सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत बैट्री चालित आटा चक्की उपलब्ध कराई जा रही है. बैट्री चालित आटा चक्की के प्राप्त हो जाने से दिव्यांगजनों को रोजगार में आसानी हो जाएगी.

बैटरी-चालित आटा चक्की
बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

"मोबाइल चक्की से रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है. इस चक्की के माध्यम से आटा, सत्तू, बेसन आदि तैयार कर खुद भी शुद्ध भोजन ले सकते हैं और दूसरे को भी दे सकते हैं. इससे रोजगार के साथ-साथ साक्षमता का भाव भी पैदा होता है. इससे दिव्यांग खुद कुछ करने के लिए सक्षम हो होंगे." - सविता झा, प्रोफसर दिल्ली विश्विद्यालय

बैटरी-चालित आटा चक्की
बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

10 लाभार्थियों को मिला आटा चक्की: डॉ सविता झा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री के द्वारा 10 लाभार्थियों के बीच ट्राइसाइकिल आधारित चक्कियां प्रदान किया गया है. एक ट्राई साइकिल को तैयार करने में 1 लाख 20 हजार का खर्चा आया है. इस योजना को आगे विस्तृत करने की हमारी आकांक्षा है.

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''पहले मैं होटल में बैठकर रोटी बनाने का काम करता था, लेकिन जब से तंदूर रोटी होटल में बनने लगी तो दिव्यांग होने के कारण खड़े होकर तंदूर बनाना मुश्किल हो गया. रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी, उसने कहीं का नहीं छोड़ा. आज बैटरी-चालित आटा चक्की मिलने से परिवार के लोगों के बीच काफी खुशी है. अब मैं अपना काम खुद कर पाऊंगा और परिवार की जिम्मेदारी भी अच्छे से निभा पाऊंगा.''- निजामुद्दीन, लाभुक

दिव्यांगों को मिला बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

'अब खुद कमाऊंग और खाऊंगा': वहीं दिव्यांग गुलाब कुमार पासवान ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि विकलांग होने के कारण पहले दूसरे लोगों पर आश्रित रहना पड़ता था, लेकिन अब मैं खुद का रोजगार कर कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि एक दिन कोई ₹200 दे सकता है, लेकिन बार-बार कोई नहीं देता. बैटरी वाली ट्राई साइकिल चक्की को लेकर कहीं भी जाकर इससे कमाई कर सकता हूं.

दिव्यागों को मिला रोजी का सहारा: दरअसल, सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनकी राह को आसान कर रही है.सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टमस (CSTS) के द्वारा बैटरी-चालित आटा चक्की सिस्टम विकसित किया है.सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत बैट्री चालित आटा चक्की उपलब्ध कराई जा रही है. बैट्री चालित आटा चक्की के प्राप्त हो जाने से दिव्यांगजनों को रोजगार में आसानी हो जाएगी.

बैटरी-चालित आटा चक्की
बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

"मोबाइल चक्की से रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है. इस चक्की के माध्यम से आटा, सत्तू, बेसन आदि तैयार कर खुद भी शुद्ध भोजन ले सकते हैं और दूसरे को भी दे सकते हैं. इससे रोजगार के साथ-साथ साक्षमता का भाव भी पैदा होता है. इससे दिव्यांग खुद कुछ करने के लिए सक्षम हो होंगे." - सविता झा, प्रोफसर दिल्ली विश्विद्यालय

बैटरी-चालित आटा चक्की
बैटरी-चालित आटा चक्की (ETV Bharat)

10 लाभार्थियों को मिला आटा चक्की: डॉ सविता झा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री के द्वारा 10 लाभार्थियों के बीच ट्राइसाइकिल आधारित चक्कियां प्रदान किया गया है. एक ट्राई साइकिल को तैयार करने में 1 लाख 20 हजार का खर्चा आया है. इस योजना को आगे विस्तृत करने की हमारी आकांक्षा है.

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