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Navratri 2023: शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा, जानें पूजन विधि और मंत्र.. - 6th Day of Sharadiya Navratri

आज शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा (Maa Katyayani) की जा रही है. मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की विधिवत पूजा करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है. कात्यायनी माता को सफलता और यश का प्रतीक माना जाता है.

मां कात्यायनी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 20, 2023, 6:02 AM IST

आचार्य रामशंकर दूबे

पटना: आज नवरात्रि 2023 की षष्ठी है. आज का दिन देवी मां कात्यायनी को समर्पित है. नवरात्रि में 9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. हर दिन अलग-अलग पूजा का विधि विधान है. आचार्य रामशंकर दूबे कहते हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों का रोग दोष दूर होता है और सुख-समृद्धि मिलती है. मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है. माता रानी का चार भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और कमल है. बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाहिने हाथ में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में माता विराजमान हैं. इनका वाहन सिंह है. मां कात्यायनी की पूजा शुरू करने से पहले भक्तों को स्नान करके पीले रंग का वस्त्र धारण कर पूजा शुरू करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजन विधि और मंत्र..

क्या है मां कात्यायनी की पूजा विधि?: आचार्य रामशंकर दूबे बताते हैं कि पहले भगवान गणेश का विधिपूर्वक पूजन करें. सभी देवों के पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. इसलिए भगवान गणेश को फूल अक्षत रोली चंदन अर्पित कर दूध-दही, घी और पान का पत्ता और सुपारी चढ़ाएं. फिर कलश देवता का पूजन करें. नवग्रहों पंचपाल देवता और अपने कुल देवी देवता का भी पूजा करें. इन सब की पूजा करने के बाद मां कात्यायनी का पूजन शुरू करें. हाथ में फूल अक्षत लेकर मां का ध्यान करें. मां कात्यानी को पान के पत्ता में सुपारी लौंग इलायची चढ़ाएं. लाल फूल, कुमकुम सिंदूर भी अर्पित करें, उसके बाद घी का दीपक या धूप से माता को दिखाएं.

माता रानी को शहद अति प्रिय: आचार्य रामशंकर दूबे आगे कहते हैं कि ऋतु अनुसार जो फल फूल मिल सके, वह माता रानी को अर्पित करें. माता रानी को शहद अति प्रिय है. भोग में माता रानी को हलवा चढ़ाएं, जो बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनवाक्षित वरदान देती हैं. वे बताते हैं कि पूजा अर्चना के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. अंत में माता रानी से क्षमा प्रार्थना करें. अष्टांग दंडवत होकर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करें.

"मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. जिन भक्तों के शादी-विवाह में परेशानी है, अगर वह सच्चे मन से और भक्ति पूर्वक मां के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें तो उनकी मनोकामना माता रानी शीघ्र पूरा करती हैं. मनचाहा जीवनसाथी मिलने का माता रानी आशीर्वाद देती हैं"- रामशंकर दूबे, आचार्य

क्या है मां कात्यायनी की पौराणिक कथा?: मां कात्यायनी स्वरूप को लेकर पौराणिक कथा भी है. कहा जाता है कि द्वापर युग में गोपनीयों ने श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी. आचार्य रामशंकर दूबे कहते हैं कि मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में भी जानी जाती हैं.

ये भी पढ़ें: Maa Kushmanda Navratri : इन वस्तुओं को जरूर शामिल करें, नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा में

ये भी पढ़ें: Navratri 2023: शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजन विधि और मंत्र..

ये भी पढ़ें: Navratri 2023 : दूसरे दिन की पूजा में जरूर बरतें ये सावधानी, त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना से मिलता है धैर्य-साहस

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आचार्य रामशंकर दूबे

पटना: आज नवरात्रि 2023 की षष्ठी है. आज का दिन देवी मां कात्यायनी को समर्पित है. नवरात्रि में 9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. हर दिन अलग-अलग पूजा का विधि विधान है. आचार्य रामशंकर दूबे कहते हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों का रोग दोष दूर होता है और सुख-समृद्धि मिलती है. मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है. माता रानी का चार भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और कमल है. बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाहिने हाथ में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में माता विराजमान हैं. इनका वाहन सिंह है. मां कात्यायनी की पूजा शुरू करने से पहले भक्तों को स्नान करके पीले रंग का वस्त्र धारण कर पूजा शुरू करनी चाहिए.

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क्या है मां कात्यायनी की पूजा विधि?: आचार्य रामशंकर दूबे बताते हैं कि पहले भगवान गणेश का विधिपूर्वक पूजन करें. सभी देवों के पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. इसलिए भगवान गणेश को फूल अक्षत रोली चंदन अर्पित कर दूध-दही, घी और पान का पत्ता और सुपारी चढ़ाएं. फिर कलश देवता का पूजन करें. नवग्रहों पंचपाल देवता और अपने कुल देवी देवता का भी पूजा करें. इन सब की पूजा करने के बाद मां कात्यायनी का पूजन शुरू करें. हाथ में फूल अक्षत लेकर मां का ध्यान करें. मां कात्यानी को पान के पत्ता में सुपारी लौंग इलायची चढ़ाएं. लाल फूल, कुमकुम सिंदूर भी अर्पित करें, उसके बाद घी का दीपक या धूप से माता को दिखाएं.

माता रानी को शहद अति प्रिय: आचार्य रामशंकर दूबे आगे कहते हैं कि ऋतु अनुसार जो फल फूल मिल सके, वह माता रानी को अर्पित करें. माता रानी को शहद अति प्रिय है. भोग में माता रानी को हलवा चढ़ाएं, जो बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनवाक्षित वरदान देती हैं. वे बताते हैं कि पूजा अर्चना के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. अंत में माता रानी से क्षमा प्रार्थना करें. अष्टांग दंडवत होकर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करें.

"मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. जिन भक्तों के शादी-विवाह में परेशानी है, अगर वह सच्चे मन से और भक्ति पूर्वक मां के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें तो उनकी मनोकामना माता रानी शीघ्र पूरा करती हैं. मनचाहा जीवनसाथी मिलने का माता रानी आशीर्वाद देती हैं"- रामशंकर दूबे, आचार्य

क्या है मां कात्यायनी की पौराणिक कथा?: मां कात्यायनी स्वरूप को लेकर पौराणिक कथा भी है. कहा जाता है कि द्वापर युग में गोपनीयों ने श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी. आचार्य रामशंकर दूबे कहते हैं कि मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में भी जानी जाती हैं.

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