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PMCH में लगाए गए तीन और RT-PCR मशीन, डॉक्टर बोले- IGM test पर ध्यान दे सरकार - RT-PCR machine installed in PMCH

डॉ. सत्येंद्र ने बताया कि कोरोना जांच के लिए सबसे उपयुक्त एंटीबॉडी टेस्ट है. जिसपर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार में एंटीबॉडी टेस्ट हो जाए, तो संक्रमण को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है.

डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह
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Published : Aug 11, 2020, 5:23 PM IST

पटना: बिहार में संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना के लिए की जाने वाली जांच आरटी पीसीआर टेस्ट की संख्या को बढ़ाने के निर्देश दिये हैं. सीएम के निर्देश के बाद पटना के पीएमसीएच में इसको लेकर काम शुरू हो चुका है.

इसको लेकर पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि सीएम के आदेश के बाद माइक्रोबायोलॉजी में भी आरटी पीसीआर की संख्या बढ़ाई जा रही है. यहां अभी तीन नए पीसीआर मशीन इंस्टॉल किए जा रहे हैं. बता दें कि पीएमसीएच में इस समय मात्र एक पीसीआर मशीन है. इसी मशीन की सहायता से कोरोन की जांच की जा रही है. तीन अतिरिक्त नए मशीन लग जाने के बाद अस्पताल में जांच मशीनों की संख्या 4 हो जाएगी.

'RT-PCR मशीन की सटीकता सही नहीं'
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने अस्पातल में लगाए जा रहे आरटी-पीसीआर मशीन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल में मशीन को जल्द से जल्द लगवाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावे अस्पताल में ह्यूमन रिसोर्स बढ़ाने के काम भी चल रह है. ताकि जांच मशीन लग जाने के बाद टेक्नीशियन और लैब अटेंडेंट की कमी नहीं हो.

PMCH,  माइक्रोबायोलॉजी विभाग
PMCH, माइक्रोबायोलॉजी विभाग

उन्होंने बताया कि कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर की सटीकता सही नहीं है. आरटी-पीसीआर मशीन को संक्रमण को पहचानने में 7 दिन तक का समय लग जाता है. वह भी महज 65 प्रतिशत सटीकता के साथ. 7 दिन के बाद इसकी सटीकता का प्रतिशत घट कर 50 प्रतिशत में भी कम हो जाती है.

'कोरोना जांच के लिए एंटीबॉडी जांच सबसे सटीक'
डॉ. सत्येंद्र ने आगे बताया कि कोरोना जांच के लिए सबसे उपयुक्त एंटीबॉडी टेस्ट है. जिसपर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार में एंटीबॉडी टेस्ट हो जाए, तो संक्रमण को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि बिहार के कुछ जगहों पर अभी आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट किये जा रहे हैं. इसका कोरोना के डायग्नोसिस से कोई वास्ता नहीं है. कोरोना जांच की सटीकता के लिए 'आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट' होने चाहिए. क्योंकि यह वायरस को 5 दिनों से लेकर 25 दिनों के अंदर तक पकड़ सकता है.

'आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट पर ध्यान दे सरकार'
डॉ. सत्येंद्र ने कहा कि साउथ कोरिया की एक कंपनी एंटीजन कीट और एंटीबॉडी किट भी बना रही है. इस कंपनी की ओर से बनाए गए किट में आईजीएम और आईजीजी दोनों लाइन रहता है. इस किट की सहायता से कोरोना जांच में काफी मदद मिलती है. इस किट से जांच करने पर संक्रमण की स्थिति और दिन का आंदजा भी लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि कोरोना जांच के लिए आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट काफी महत्वपूर्ण है. यह जांच पूरी दुनिया में की जा रही है. चाइना, ब्रिटेन, रूस और इंग्लैंड में यह टेस्ट फ्री में किया जा रहा है. इन देशों में सरकार डोर-टू-डोर जांच करवा रही है. डॉ. सत्येंद्र ने खेद जताते हुए कहा कि हमारे देश में सरकार अभी भी केवल आरटी पीसीआर टेस्ट पर जोर दे रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

पटना: बिहार में संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना के लिए की जाने वाली जांच आरटी पीसीआर टेस्ट की संख्या को बढ़ाने के निर्देश दिये हैं. सीएम के निर्देश के बाद पटना के पीएमसीएच में इसको लेकर काम शुरू हो चुका है.

इसको लेकर पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि सीएम के आदेश के बाद माइक्रोबायोलॉजी में भी आरटी पीसीआर की संख्या बढ़ाई जा रही है. यहां अभी तीन नए पीसीआर मशीन इंस्टॉल किए जा रहे हैं. बता दें कि पीएमसीएच में इस समय मात्र एक पीसीआर मशीन है. इसी मशीन की सहायता से कोरोन की जांच की जा रही है. तीन अतिरिक्त नए मशीन लग जाने के बाद अस्पताल में जांच मशीनों की संख्या 4 हो जाएगी.

'RT-PCR मशीन की सटीकता सही नहीं'
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने अस्पातल में लगाए जा रहे आरटी-पीसीआर मशीन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल में मशीन को जल्द से जल्द लगवाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावे अस्पताल में ह्यूमन रिसोर्स बढ़ाने के काम भी चल रह है. ताकि जांच मशीन लग जाने के बाद टेक्नीशियन और लैब अटेंडेंट की कमी नहीं हो.

PMCH,  माइक्रोबायोलॉजी विभाग
PMCH, माइक्रोबायोलॉजी विभाग

उन्होंने बताया कि कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर की सटीकता सही नहीं है. आरटी-पीसीआर मशीन को संक्रमण को पहचानने में 7 दिन तक का समय लग जाता है. वह भी महज 65 प्रतिशत सटीकता के साथ. 7 दिन के बाद इसकी सटीकता का प्रतिशत घट कर 50 प्रतिशत में भी कम हो जाती है.

'कोरोना जांच के लिए एंटीबॉडी जांच सबसे सटीक'
डॉ. सत्येंद्र ने आगे बताया कि कोरोना जांच के लिए सबसे उपयुक्त एंटीबॉडी टेस्ट है. जिसपर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार में एंटीबॉडी टेस्ट हो जाए, तो संक्रमण को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि बिहार के कुछ जगहों पर अभी आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट किये जा रहे हैं. इसका कोरोना के डायग्नोसिस से कोई वास्ता नहीं है. कोरोना जांच की सटीकता के लिए 'आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट' होने चाहिए. क्योंकि यह वायरस को 5 दिनों से लेकर 25 दिनों के अंदर तक पकड़ सकता है.

'आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट पर ध्यान दे सरकार'
डॉ. सत्येंद्र ने कहा कि साउथ कोरिया की एक कंपनी एंटीजन कीट और एंटीबॉडी किट भी बना रही है. इस कंपनी की ओर से बनाए गए किट में आईजीएम और आईजीजी दोनों लाइन रहता है. इस किट की सहायता से कोरोना जांच में काफी मदद मिलती है. इस किट से जांच करने पर संक्रमण की स्थिति और दिन का आंदजा भी लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि कोरोना जांच के लिए आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट काफी महत्वपूर्ण है. यह जांच पूरी दुनिया में की जा रही है. चाइना, ब्रिटेन, रूस और इंग्लैंड में यह टेस्ट फ्री में किया जा रहा है. इन देशों में सरकार डोर-टू-डोर जांच करवा रही है. डॉ. सत्येंद्र ने खेद जताते हुए कहा कि हमारे देश में सरकार अभी भी केवल आरटी पीसीआर टेस्ट पर जोर दे रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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