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1 अप्रैल से बिहार में खुलेंगे 2,950 हाई स्कूल, विपक्ष ने कहा- बिन शिक्षक कैसे पढ़ेंगे बच्चे - high schools in Bihar

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हाई स्कूलों में करीब डेढ़ लाख विषय शिक्षकों की जरूरत है. यानी पहले से जो करीब 6,000 स्कूल है उनमें ही डेढ़ लाख शिक्षकों की कमी है. फिलहाल शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है.

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Published : Dec 7, 2019, 5:01 AM IST

पटना: बिहार में एक अप्रैल से 2,950 नए हाई स्कूल खोल जाएंगे. जिन पंचायतों में पहले से मिडिल स्कूल हैं वहां नए स्कूल नहीं खोले जाएंगे बल्कि उन मिडिल स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा. लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि बिना शिक्षकों के ये स्कूल किस काम आएंगे.

15 साल में नहीं खुला एक भी नया स्कूल
राज्य में कई मिडिल स्कूलों में ऐसे हैं जिनमें पहले से ही सुविधाओं का घोर अभाव है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि नीतीश सरकार में पिछले 15 साल में एक भी नया स्कूल नहीं खुला. सिर्फ पुराने स्कूलों को अपग्रेड किया गया. इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. यहां ना तो पर्याप्त संख्या में कमरे हैं और ना ही डेस्क और बेंच.

स्कूलों में शिक्षकों की कमी
यही नहीं इन स्कूलों में शिक्षकों की भी कमी है. ऐसे में बिना पर्याप्त संख्या के शिक्षकों की नियुक्ति किए नए स्कूलों को खोलना सिर्फ अपने आंकड़ों को दुरुस्त करने जैसा है. इसका कोई फायदा बच्चों को नहीं मिलने वाला है. यहां तक की पहले से काम कर रहे मिडिल स्कूलों में ना तो प्रिंसिपल है ना लाइब्रेरियन ना तो आदेशपाल है. ऐसे में उन्हीं स्कूलों को अपग्रेड करके हाई स्कूल बना देने भर से काम नहीं चलने वाला है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

विपक्ष ने उठाए सवाल
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हाई स्कूलों में करीब डेढ़ लाख विषय शिक्षकों की जरूरत है. यानी पहले से जो करीब 6,000 स्कूल है उनमें ही डेढ़ लाख शिक्षकों की कमी है. फिलहाल शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन, अगले 4 महीने में खुलने वाले करीब 3,000 स्कूलों के लिए शिक्षक कहां से आएंगे? यह सवाल सबसे ज्यादा विपक्ष की ओर से भी उठाए जा रहे हैं.

बिन शिक्षक के कैसे पढ़ेंगे बच्चे
विपक्ष के नेता कहते हैं कि सिर्फ चुनावी वर्ष के कारण नीतीश कुमार लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं. एक सुर में राजद और रालोसपा ने नीतीश कुमार पर बिहार में शिक्षा को बर्बाद करने का आरोप लगाया है. उनका साफ कहना है कि जब शिक्षा की नहीं है तो आखिर स्कूलों में बच्चे क्या करेंगे? उन्हें कौन पढ़ाएगा? ऐसे स्कूल खुलने का क्या फायदा जहां शिक्षक ही नहीं होंगे.

बीजेपी ने किया बचाव
हालांकि बीजेपी ने यहां सरकार का बचाव किया है. बीजेपी नेता और शिक्षा से जुड़े प्रोफेसर अजफर शमशी ने कहा कि लगातार शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. स्कूल खुलने के बाद जितनी जरूरत होगी, उस हिसाब से फिर शिक्षकों का नियोजन होगा. ऐसे में विपक्ष का आरोप कहीं से भी सही नहीं है. सरकार लगातार बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दे रही है. इसका बेहतर नतीजा भी आने वाले समय में देखने को मिलेगा.

पटना: बिहार में एक अप्रैल से 2,950 नए हाई स्कूल खोल जाएंगे. जिन पंचायतों में पहले से मिडिल स्कूल हैं वहां नए स्कूल नहीं खोले जाएंगे बल्कि उन मिडिल स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा. लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि बिना शिक्षकों के ये स्कूल किस काम आएंगे.

15 साल में नहीं खुला एक भी नया स्कूल
राज्य में कई मिडिल स्कूलों में ऐसे हैं जिनमें पहले से ही सुविधाओं का घोर अभाव है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि नीतीश सरकार में पिछले 15 साल में एक भी नया स्कूल नहीं खुला. सिर्फ पुराने स्कूलों को अपग्रेड किया गया. इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. यहां ना तो पर्याप्त संख्या में कमरे हैं और ना ही डेस्क और बेंच.

स्कूलों में शिक्षकों की कमी
यही नहीं इन स्कूलों में शिक्षकों की भी कमी है. ऐसे में बिना पर्याप्त संख्या के शिक्षकों की नियुक्ति किए नए स्कूलों को खोलना सिर्फ अपने आंकड़ों को दुरुस्त करने जैसा है. इसका कोई फायदा बच्चों को नहीं मिलने वाला है. यहां तक की पहले से काम कर रहे मिडिल स्कूलों में ना तो प्रिंसिपल है ना लाइब्रेरियन ना तो आदेशपाल है. ऐसे में उन्हीं स्कूलों को अपग्रेड करके हाई स्कूल बना देने भर से काम नहीं चलने वाला है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

विपक्ष ने उठाए सवाल
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हाई स्कूलों में करीब डेढ़ लाख विषय शिक्षकों की जरूरत है. यानी पहले से जो करीब 6,000 स्कूल है उनमें ही डेढ़ लाख शिक्षकों की कमी है. फिलहाल शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन, अगले 4 महीने में खुलने वाले करीब 3,000 स्कूलों के लिए शिक्षक कहां से आएंगे? यह सवाल सबसे ज्यादा विपक्ष की ओर से भी उठाए जा रहे हैं.

बिन शिक्षक के कैसे पढ़ेंगे बच्चे
विपक्ष के नेता कहते हैं कि सिर्फ चुनावी वर्ष के कारण नीतीश कुमार लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं. एक सुर में राजद और रालोसपा ने नीतीश कुमार पर बिहार में शिक्षा को बर्बाद करने का आरोप लगाया है. उनका साफ कहना है कि जब शिक्षा की नहीं है तो आखिर स्कूलों में बच्चे क्या करेंगे? उन्हें कौन पढ़ाएगा? ऐसे स्कूल खुलने का क्या फायदा जहां शिक्षक ही नहीं होंगे.

बीजेपी ने किया बचाव
हालांकि बीजेपी ने यहां सरकार का बचाव किया है. बीजेपी नेता और शिक्षा से जुड़े प्रोफेसर अजफर शमशी ने कहा कि लगातार शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. स्कूल खुलने के बाद जितनी जरूरत होगी, उस हिसाब से फिर शिक्षकों का नियोजन होगा. ऐसे में विपक्ष का आरोप कहीं से भी सही नहीं है. सरकार लगातार बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दे रही है. इसका बेहतर नतीजा भी आने वाले समय में देखने को मिलेगा.

Intro:बिहार में 1 अप्रैल से 2950 नए हाई स्कूल खुल जाएंगे या यूं कहें कि 2950 मिडिल स्कूलों को अपग्रेड करके हाई स्कूल खोला जा रहा है। सरकार ने हर पंचायत में हाई स्कूल खोलने का लक्ष्य रखा था उसी दिशा में ऐसा हो रहा है। लेकिन बिना शिक्षकों के खुल रहे ये स्कूल किस के काम आएंगे। पेश है पटना से एक बेहद खास रिपोर्ट।


Body:बिहार सरकार 1 अप्रैल 2020 से जिन नए 2950 पंचायतों में स्कूल हाई स्कूल खोल रही है वहां नए स्कूल नहीं खुल रहे बल्कि मिडिल स्कूलों को अपग्रेड किया जा रहा है। इन मिडिल स्कूलों में पहले से ही सुविधाओं का टोटा है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि नीतीश सरकार में पिछले 15 साल में एक भी नया स्कूल नहीं खुला, सिर्फ पुराने स्कूलों को अपग्रेड किया गया। इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है। ना तो पर्याप्त संख्या में कमरे हैं और ना ही डेस्क बेंच। शिक्षकों की भी कमी है ऐसे में बिना पर्याप्त संख्या के शिक्षकों की नियुक्ति किए नए स्कूल खोलना सिर्फ अपने आंकड़ों को दुरुस्त करने जैसा है। इसका कोई फायदा बच्चों को नहीं मिलने वाला।
यही नहीं पहले से काम कर रहे मिडिल स्कूलों में ना तो प्रिंसिपल है ना लाइब्रेरियन ना तो आदेशपाल है और ना ही क्लर्क ऐसे में उन्हीं स्कूलों को अपग्रेड करके हाई स्कूल बना देने भर से काम नहीं चलने वाला।
पहले से जितने स्कूल चल रहे हैं उनमें से ज्यादातर स्कूल भवन हीन है सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हाई स्कूलों में करीब डेढ़ लाख विषय शिक्षकों की जरूरत है यानी पहले से जो करीब 6000 स्कूल है उनमें ही डेढ़ लाख शिक्षक कम है फिलहाल शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अगले 4 महीने में खुलने वाले करीब 3000 स्कूलों के लिए शिक्षक कहां से आएंगे यह सवाल सबसे ज्यादा विपक्ष की ओर से भी उठाए जा रहे हैं विपक्ष के नेता कहते हैं कि सिर्फ चुनावी वर्ष के कारण नीतीश कुमार लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं एक सुर में राजद और रालोसपा ने नीतीश कुमार पर बिहार में शिक्षा को बर्बाद करने का आरोप लगाया है। उनका साफ कहना है कि जब शिक्षा की नहीं है तो आखिर स्कूलों में बच्चे क्या करेंगे उन्हें कौन पड़ेगा ऐसे स्कूल खुलने का क्या फायदा जहां शिक्षक ही नहीं ।
हालांकि बीजेपी ने सरकार का बचाव किया है। बीजेपी नेता और शिक्षा से जुड़े प्रोफेसर अजफर शमशी ने कहा कि लगातार शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। स्कूल खुलने के बाद जितनी जरूरत होगी, उस हिसाब से फिर शिक्षकों का नियोजन होगा। ऐसे में विपक्ष का आरोप कहीं से भी सही नहीं है। सरकार लगातार बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दे रही है इसका बेहतर नतीजा भी आने वाले समय में देखने को मिलेगा।


Conclusion:अभिषेक झा मुख्य प्रवक्ता राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
मृत्युंजय तिवारी राजद नेता
अभिषेक कुमार प्रवक्ता बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
प्रोफेसर अजफर शम्शी प्रदेश प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी
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