पटनाः आपदा विभाग से जारी आंकड़े के मुताबिक बिहार में बाढ़ से अब तक कुल 27 लोगों की मौत हो गई है. जबकि 88 मवेशियों की जानें गई है. प्रदेश में कुल 16 जिलों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हुई है. जिनमें कुल 1,322 पंचायत प्रभावित हैं.
आपदा विभाग ने बाढ़ संबंधित आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि कुल 16 जिलों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हुई है. जिसमें सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज ,दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया ,समस्तीपुर, सिवान, मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा और सारण जिले के 130 प्रभावित प्रखंड शामिल हैं.
प्रभावित लोगों के लिए 6 राहत शिविर
16 जिलों के कुल प्रभावित पंचायतों की संख्या 1322 है. इन जिलों मे 82,92464 प्रभावित लोगों की जनसंख्या है. वहीं, निस्क्रमिट जनसंख्या 5, 50792 है. बाढ़ पीड़ितों के लिए कुल 6 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. राहत शिविरों में रहने वाले कुल 5,186 लोग हैं.
बाढ़ से 88 जानवरों की मौत
वहीं, बिहार सरकार के सहयोग से आपदा विभाग कुल 16 जिलों में 371 सामुदायिक रसोई चलाया जा रहा है. जिसमें 2,79955 लोग रोजाना सामुदायिक रसोई में भोजन कर रहे हैं.
आपदा विभाग के आंकड़े के अनुसार अब तक 27 लोगों की मौत हुई है. जिसमें दरभंगा में 3, पश्चिम चंपारण में 4, सिवान में 2 और मुजफ्फरपुर में 6 लोगों की मौत हुई हैं. वही 88 जानवरों की भी मौत हुई है.
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आपदा प्रबंधन बाढ़ को लेकर सचेत
बाढ़ के मद्देनजर आपदा प्रबंधन विभाग को पूरी तरह से तैयार रहने का निर्देश जारी है. आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय की माने तो आपदा प्रबंधन विभाग बाढ़ को लेकर सचेत है. बिहार के सभी 16 जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम की तैनाती की गई है. इस तरह कुल 26 टीमों की तैनाती की गई है.
मुख्यमंत्री खुद कर रहे मॉनिटरिंग
आपदा मुख्यालय में कुछ टीमों को रिजर्व में रखा गया है. जरूरत के हिसाब से इन्हें भी प्रभावी जिला में भेजा जाएगा. आपदा विभाग के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद अपने आवास से बाढ़ की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और लगातार अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर रहे हैं.
शिविरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
आपदा विभाग के अनुसार कोविड-19 के मद्देनजर सोशल डिस्टेंस के तहत राहत शिविरों में लोगों को रखा जा रहा है. महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की अलग व्यवस्था की गई है. सभी राहत शिविरों में मास्क और सेनेटाइजर की व्यवस्था है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ऊंचे स्थल का निरीक्षण कर जरूरत के हिसाब से लोगों को राहत शिविर पहुंचाया जा रहा है.