पटना: साल 2020 पूरी तरह कोरोना के साए में गुजरा और यह साल विभिन्न पैथी से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साल रहा. 2020 में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित हुआ. जिस प्रकार से अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए लोगों ने आयुर्वेदिक नुस्खों वाले काढ़े का प्रयोग किया और यह संक्रमण की गंभीरता को रोकने में काफी हद तक कारगर भी रहा. ऐसे में आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास भी काफी बढ़ा है.
2020 आयुर्वेद के लिए बना संजीवनी
इसी साल एमएस कर चुके आयुर्वेदिक चिकित्सकों को केंद्र सरकार ने कई प्रकार की सर्जरी की भी अनुमति दे दी है. जिसके बाद आयुर्वेदिक जगत से जुड़े लोग साल 2020 को आयुर्वेद के लिए एक संजीवनी का साल बता रहे हैं. कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार आयुर्वेद कारगर रहा, अब सभी लोग आयुर्वेद की महत्ता को समझने लगे हैं. और इस पर लोगों का विश्वास काफी हद तक बढ़ा है.
आयुर्वेद हॉस्पिटल के अधीक्षक ने क्या कहा
- निश्चित रूप से साल 2020 स्वास्थ्य कर्मियों के लिए और विभिन्न चिकित्सा पद्धति के लिए कोरोना के कारण काफी चुनौतीपूर्ण साल रहा.
- मगर जिस प्रकार कोरोना संकट काल के दौरान लोगों ने आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए काढ़े का प्रयोग किया उसका नतीजा यह हुआ कि इतनी अधिक जनसंख्या के बावजूद कोरोनावायरस की घातकता भारत में काफी कम रही.
- बीमार कम लोग पड़े और जो पड़े उनमें से अधिक से अधिक लोग ठीक हुए.
- एलोपैथिक दवाइयाों से शरीर की इम्यूनिटी प्रभावित होती है. मगर आयुर्वेदिक औषधियों से शरीर की इम्युनिटी सुदृढ़ होती है.
- आयुर्वेद के प्रति लोगों का क्रेज काफी बढ़ गया है.
- अस्पताल में वर्तमान समय में ओपीडी में 300 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं और इनमें से अधिकांश लोकल हैं.
- ओपीडी में यहां पूर्व में लगभग 700 के करीब मरीज आते रहे हैं मगर अभी ट्रेन सेवा सुचारु नहीं है. इस वजह से विभिन्न इलाके के गरीब लोग यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं.
- जब लॉकडाउन के समय विभिन्न सरकारी अस्पतालों के ओपीडी सेवा बाधित हो गई थी और प्राइवेट प्रैक्टिशनर पूरी तरह बंद कर दिए थे ऐसे समय में भी आयुर्वेद हॉस्पिटल का ओपीडी संचालित हुआ और काफी लोग लाभान्वित भी हुए.
आयुर्वेद महाविद्यालय प्रोफेसर ने बताया
- भारत सरकार ने भी इस साल आयुर्वेद के डेवलपमेंट के दिशा में कई सारे निर्णय लिए हैं.
- पीजी कर चुके आयुर्वेद चिकित्सकों को कई प्रकार की सर्जरी का अधिकार कानून के माध्यम से लाकर दिया गया.
- अब नीट परीक्षा में अच्छे रैंक लाने वाले छात्र भी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई करने में रुचि दिखा रहे हैं और यह आयुर्वेद चिकित्सा के लिए काफी अच्छे संकेत हैं.
- अस्पताल में लंबे समय बाद इस साल प्रेग्नेंसी का सफल ऑपरेशन हुआ और अब यह ऑपरेशन शुरू भी हो चुका है.
- कोरोना महामारी के समय जिस प्रकार आयुर्वेदिक नुस्खे कारगर साबित हुए उसके बाद अब विदेशों में भी आयुर्वेद के काफी चर्चे हो रहे हैं.
- उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और विस्तार के साथ विकास करेगा.
वर्तमान समय में राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में आठ सब्जेक्ट्स में एमएस की पढ़ाई होती है जो निम्न है:-
- अगद तंत्र एवं विधि वैद्यक
- आयुर्वेद संहिता एवं सिद्धांत
- द्रव्य गुण
- कायचिकित्सा
- रचना शरीर
- रस शास्त्र
- रोग निदान एवं विकृति विज्ञान
- शालाक्य तंत्र
आयुर्वेद की महत्ता
कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार आयुर्वेद कारगर रहा, अब सभी लोग आयुर्वेद की महत्ता को समझने लगे हैं. इस साल आयुर्वेद कॉलेज में पीएचडी की पढ़ाई शुरू हुई है और दो विषयों में यह पढ़ाई हो रही है जो है द्रव्य गुण और रस शास्त्र. इसके अलावा महाविद्यालय में इस साल से आठ सब्जेक्ट में पीजी की पढ़ाई हो रही है. और बाकी बचे 6 सब्जेक्ट का भी प्रपोजल आयुष मंत्रालय को जा चुका है. इसके अलावा इस साल मास्टर्स के सभी कोर्सेज में एक-एक सीट बढ़े हैं. और अब यह संख्या 48 हो चुकी है.
कुछ कोर्सेज महाविद्यालय की तरफ से आयुष मंत्रालय को प्रस्तावित है, उम्मीद है कि साल 2021 में आयुष मंत्रालय की तरफ से इन कोर्सेज के लिए अप्रूवल मिल जाएगा.