पटना: बिहार में पिछले कई सालों से 20 सूत्री कमेटी का गठन नहीं हुआ है. इसके कारण गरीबों के कल्याण के लिए बनाई गई केंद्र और राज्य की योजनाओं की समीक्षा राज्य स्तर से लेकर जिला और प्रखंड स्तर तक नहीं हो रही है. अधिकारियों की मनमानी चल रही है.
20 सूत्री कमेटी में विधायक से लेकर कार्यकर्ताओं तक को जगह मिलती है. कमेटी नहीं बनने से वे इससे वंचित हैं. कमेटी से गरीबों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं को जमीन पर उतारने में भी मदद मिलती है. एनडीए के नेता भी मानते हैं कि 20 सूत्री कमेटी के नहीं होने का खामियाजा चुनाव में उठाना पड़ा.
इंदिरा गांधी ने शुरू किया था 20 सूत्री योजना
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में 20 सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत की थी. उस समय इसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन था. 1982, 1986 और 2006 में इसका पुनर्गठन किया गया. अभी 2006 की 20 सूत्री कार्यक्रम पूरे देश में चल रही है. कार्यक्रम के संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक कमेटी का गठन किया जाता है. 20 सूत्री कमेटी का मुख्य उद्देश्य विभिन्न योजनाओं कि समय पर समीक्षा, पिछडे़ और निर्धन लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना, केंद्र व राज्य सरकार के साथ जिला और प्रखंड स्तर पर योजनाओं को लेकर समन्वय बनाना है.
ये हैं 20 सूत्री कमेटी के 20 सूत्र
- गरीबी उन्मूलन
- खाद्य सुरक्षा
- सबके लिए आवास
- शुद्ध पेयजल
- सबके लिए स्वास्थ्य
- सबके लिए शिक्षा
- जनशक्ति
- किसान मित्र
- श्रमिक कल्याण
- अनुसूचित जाति जनजाति अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण
- महिला कल्याण
- बाल कल्याण
- युवा विकास
- गांव सुधार
- पर्यावरण संरक्षण और विकास
- सामाजिक सुरक्षा
- ग्रामीण सड़क
- ग्रामीण ऊर्जा
- पिछड़ा क्षेत्र विकास
- ई शासन
सरकार की सबसे अंतिम इकाई है 20 सूत्री कमेटी
"20 सूत्री कमेटी सरकार की सबसे अंतिम इकाई है. इसका गठन नहीं होने से गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं पर असर पड़ता है. इसके माध्यम से मनरेगा, इंदिरा आवास, बीपीएल सहित गरीबों की योजना में जो परेशानी आती है उसका समाधान हो जाता है. सभी दल के कार्यकर्ताओं को 20 सूत्री कमेटी में जगह दी जाती है और वे आवाज उठाते हैं. इसका गठन गठबंधन की सरकार में सभी दलों की सहमति से ही हो पाता है. कमेटी का गठन नहीं होने का खामियाजा एनडीए को उठाना पड़ा है."- ललन पासवान, पूर्व विधायक
"20 सूत्री कमेटी का गठन बहुत जरूरी है. इस बार हम लोग इसका गठन कराएंगे."- प्रेम कुमार, पूर्व मंत्री
"राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक 20 सूत्री कमेटी के नहीं बनने से सरकार और जनता के बीच जो समन्वय बनता है वह टूट गया है. अधिकारियों की मनमानी हर जगह चल रही है. अफसरशाही बेलगाम है."- विजय कुमार मंडल, आरजेडी विधायक
मुख्यमंत्री होते हैं कमेटी के अध्यक्ष
20 सूत्री कमेटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं. कैबिनेट के मंत्री उपाध्यक्ष बनाए जाते हैं. जिलों के प्रभारी मंत्री से लेकर विधायक और सभी दल के कार्यकर्ताओं को कमेटी में जगह दी जाती है. इसकी बैठक राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक होती है. विकास योजनाओं से संबंधित लोगों की शिकायत और योजना लागू करने में परेशानी को कमेटी की बैठकों से दूर किया जाता है.
2015 के बाद नहीं हुआ गठन
2015 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी. उस समय आरजेडी और कांग्रेस के साथ सहमति नहीं बनने के कारण 20 सूत्री और अन्य समितियों का गठन नहीं हुआ. बाद में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और एनडीए के साथ सरकार बना ली, लेकिन उसके बाद भी 20 सूत्री कमेटी का गठन नहीं कर पाए.
20 सूत्री कमेटी के गठन नहीं होने से सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं में निराशा है. उसका असर विधानसभा चुनाव में भी पड़ा है. हालांकि पार्टी अब इसको लेकर मंथन कर रही है. अब देखना है कि इस बार नीतीश कुमार 20 सूत्री कमेटी का गठन कब तक करते हैं.