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नीतीश का 16 साल वाला बिहार: योजनाओं में अटकी विकास की गाथा, क्रेडिट लेने की होड़ में फोड़ रहे माथा

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के 16 साल की उपलब्धियों (16 Years Of Nitish’s Governance) को बताने में उनके सिपहसालार जुटे हुए हैं. लेकिन चर्चा सीएम के महत्वकांक्षी सात निश्चय कार्यक्रम और शराबबंदी को लेकर जोरों पर हो रही है. पढ़िए ईटीवी भारत (ETV Bharat) की एक्सलूसिव रिपोर्ट..

16 years of nitish kumar governance
16 years of nitish kumar governance
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Published : Nov 22, 2021, 2:05 PM IST

पटना: बिहार में जनता दल यू (JDU) नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के 16 साल पर नीतीश की उपलब्धियों (16 Years Tenure Of CM Nitish) को लेकर कार्यक्रम कर रही है, जिसमें यह बताया जाएगा कि 16 सालों में नीतीश कुमार ने बिहार को बदल दिया. अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि वास्तव में बिहार कितना (How Much Bihar Changed) बदला है.

यह भी पढ़ें- 15 साल का जश्न: बिहार के लिए CM नीतीश ने क्या-क्या किया, ये बताएंगे JDU के मंत्री और सांसद

वरिष्ठ अर्थशास्त्री नवल किशोर चौधरी (Senior Economist Naval Kishor Choudhary) ने इस बात को जरूर माना है कि बिहार में अगर सरकार के बजट की बात की जाए तो आर्थिक स्तर पर लिखे जाने वाले अंकों में बजट का आकार बहुत बड़ा हो गया है. दो लाख हजार करोड़ से ऊपर का बजट बिहार सरकार (Bihar Government) देती है और उस पर काम भी करती है. लेकिन विकास की जो बानगी जमीन पर दिखनी चाहिए, उसमें बिहार बदला कितना है अब इस पर तो सरकार को अपना रिपोर्ट कार्ड जारी कर देना चाहिए, क्योंकि नीतीश कुमार ने यह कहा था कि हर साल वो अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे.

यह भी पढ़ें- Nitish Kumar: 15 साल बेमिसाल.. लेकिन JDU भूल गयी 'यार'?

नीतीश सरकार के 16 साल के कामकाज की समीक्षा पर सवाल उठ रहा है. सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर सीएम समीक्षा करेंगे किस बात की, बजट बढ़ा हुआ है हर साल बजट में साबित हो जाता है लेकिन उसके बाद जो कुछ बिहार में बदलना था उसमें कानून तो बदला बस जमीन पर कुछ नहीं बदला. अगर बिहार के आर्थिक बदलाव की बात की जाए तो निश्चित तौर पर बिहार में बनने वाले बजट का आकार बहुत बड़ा हो गया. सामाजिक स्तर पर होने वाले बदलाव की बात की जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में ही हुनर तालिमी मरकज, साइकिल योजना, पोशाक योजना, नैपकिन जैसी योजनाएं नीतीश सरकार (Nitish Kumar Good Governance) ने दिया.

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सामाजिक कुरीतियों से दूर ले जाने वाले सामाजिक बंधन की बात करें तो दहेज बंदी की बात हो या फिर शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) की, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का मामला हो या फिर उन्हें रोजगार देने के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का मामला नीतीश कुमार ने इन सभी क्षेत्रों में काम तो जरूर किया है लेकिन समाज में बदलाव इस आधार पर भी नहीं कहा जा सकता. इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे बड़ा मुद्दा शराबबंदी है. सूबे में शराबबंदी तो कर दी गई लेकिन नकली (जहरीली) शराब से हो रही लोगों की मौतों की संख्या सबके सामने है.

यह भी पढ़ें- हां तो जनाब उत्तर दीजिए... जवाबदेही कौन लेगा... आप या फिर कोई और

व्यवस्था में बदलाव के लिए नीतीश कुमार ने एक निश्चय भी किया था और उसमें सात निश्चय (Saat Nishchay) भाग एक और सात निश्चय भाग 2 को बारी-बारी से लागू भी किया गया. इस इस व्यवस्था के बदलाव का भी श्रेय नीतीश कुमार की पार्टी ही लेना चाहती है और यह बताना चाहती है कि नीतीश के सामने विकास ही प्राथमिकता रही है. नीतीश ने विकास के लिए काम किया है लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जिस विकास की बात हो रही है, उस पर सवाल भी तो विपक्ष मजबूती से उठा रहा है.

यह भी पढ़ें- Patna Police: शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिस का हल्ला बोल, मचा हड़कंप

हर घर नल के जल को लेकर के कई बड़े घोटाले की भी बात आ चुकी है. पानी के लिए लगाइ गईं टंकियां किस तरह से टूट गईं, यह भी कई खबरों में देखा जा चुका है. अब सवाल यह उठ रहा है कि निष्पक्षता और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने के लिए नीतीश कुमार ने दावा किया था. लेकिन 16 साल में बिहार आज कहां खड़ा है, पार्टी के लोगों को यह भी उत्तर के रूप में सबके सामने लाना चाहिए.

16 सालों में 86 आरोप भी नीतीश कुमार पर कम नहीं है. विकास की बुनियाद की बात कहने के लिए जनता दल यू सामने जरूर आ रही है लेकिन कई ऐसे आरोप हैं, जिसका उत्तर पार्टी के लोगों को मुखर होकर देना पड़ेगा. 2005 में नीतीश कुमार गद्दी पर बैठे तो भाजपा उनके साथ थी. 2010 में नीतीश कुमार दूसरी बार चुनाव लड़े तो विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया और बीजेपी ही उनके साथ थी.

यह भी पढ़ें- शराबबंदी पर CM नीतीश के तेवर सख्त, बोले- कुछ लोग गड़बड़ी कर रहे हैं.. उनको कर देंगे ठीक

लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के भाजपा (BJP) की मजबूत राजनीति में आने के बाद जिस तरीके से नीतीश कुमार ने बिहार में करवट लिया उसने 2015 में देश के सबसे बड़े राजनीतिक गठबंधन की दूरी को खत्म कर दिया. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की गोद में नीतीश कुमार जाकर बैठ गए और जिस लालू यादव (Lalu Yadav) की मुखालफत की राजनीति को बिहार में सबसे ज्यादा स्थापित करने का काम नीतीश ने किया था उन्हें ही अपने सत्ता का संरक्षण दे दिया. हालांकि यह गठबंधन बहुत दूर तक नहीं चल पाया.

आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार को फिर राजनीतिक समझौता करते हुए बीजेपी के साथ आना पड़ा. 16 साल के कामकाज में अगर जनता दल यू इस बात को रखती है कि नीतीश कुमार बदले क्यों? यह बदलाव वाली राजनीति नीतीश के साथ क्यों रही? तो शायद एक मजबूत आधार भी खड़ा हो पाए. लेकिन लगता नहीं है कि जदयू पार्टी ऐसा करेगी.

नीतीश कुमार के 16 साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करने के लिए जनता दल यू काफी जोश में है. हालांकि नीतीश के कामकाज के पेश होने वाले रिपोर्ट में यह कहीं नहीं रखा गया है कि साथी पार्टियों के सहयोग ने बिहार में क्या-क्या किया है. बिहार में जो कुछ हुआ है और नीतीश ने किया है और नीतीश के करने से ही जो कुछ हुआ है, वह बिहार में हुआ है. अब तैयारी इसी बात की चल रही है.

लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि जनता दल यू इसे कितनी मजबूती के साथ तैयार कर पाता है. क्योंकि 2005 में जो लोग साथ थे और जितनी सीट जीतकर जनता दल यू आई थी, 2010 में जो हनक बनी 2015 में समझौते से जो सियासत खड़ी हुई और 2020 में नीतीश वाली जदयू जहां जाकर खड़ी हो गई सीटों की संख्या यह बताती है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने ही किया है.

ऐसे में जनता दल यू को आगे क्या करना है और नीतीश कुमार की आगे की रणनीति क्या होगी, यह 16 साल का जब कामकाज का ब्यौरा पेश किया जाएगा तो माना जा रहा है कि यह सब कुछ उसमें रहेगा. और यह नीतीश कुमार के बदलते और बदलने वाली बिहार की हर तस्वीर को बयां करेगा. अब विपक्ष इसे कितना नंबर देगा और बिहार की जनता इसे कितना सराहेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

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पटना: बिहार में जनता दल यू (JDU) नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के 16 साल पर नीतीश की उपलब्धियों (16 Years Tenure Of CM Nitish) को लेकर कार्यक्रम कर रही है, जिसमें यह बताया जाएगा कि 16 सालों में नीतीश कुमार ने बिहार को बदल दिया. अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि वास्तव में बिहार कितना (How Much Bihar Changed) बदला है.

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वरिष्ठ अर्थशास्त्री नवल किशोर चौधरी (Senior Economist Naval Kishor Choudhary) ने इस बात को जरूर माना है कि बिहार में अगर सरकार के बजट की बात की जाए तो आर्थिक स्तर पर लिखे जाने वाले अंकों में बजट का आकार बहुत बड़ा हो गया है. दो लाख हजार करोड़ से ऊपर का बजट बिहार सरकार (Bihar Government) देती है और उस पर काम भी करती है. लेकिन विकास की जो बानगी जमीन पर दिखनी चाहिए, उसमें बिहार बदला कितना है अब इस पर तो सरकार को अपना रिपोर्ट कार्ड जारी कर देना चाहिए, क्योंकि नीतीश कुमार ने यह कहा था कि हर साल वो अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे.

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नीतीश सरकार के 16 साल के कामकाज की समीक्षा पर सवाल उठ रहा है. सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर सीएम समीक्षा करेंगे किस बात की, बजट बढ़ा हुआ है हर साल बजट में साबित हो जाता है लेकिन उसके बाद जो कुछ बिहार में बदलना था उसमें कानून तो बदला बस जमीन पर कुछ नहीं बदला. अगर बिहार के आर्थिक बदलाव की बात की जाए तो निश्चित तौर पर बिहार में बनने वाले बजट का आकार बहुत बड़ा हो गया. सामाजिक स्तर पर होने वाले बदलाव की बात की जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में ही हुनर तालिमी मरकज, साइकिल योजना, पोशाक योजना, नैपकिन जैसी योजनाएं नीतीश सरकार (Nitish Kumar Good Governance) ने दिया.

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सामाजिक कुरीतियों से दूर ले जाने वाले सामाजिक बंधन की बात करें तो दहेज बंदी की बात हो या फिर शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) की, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का मामला हो या फिर उन्हें रोजगार देने के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का मामला नीतीश कुमार ने इन सभी क्षेत्रों में काम तो जरूर किया है लेकिन समाज में बदलाव इस आधार पर भी नहीं कहा जा सकता. इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे बड़ा मुद्दा शराबबंदी है. सूबे में शराबबंदी तो कर दी गई लेकिन नकली (जहरीली) शराब से हो रही लोगों की मौतों की संख्या सबके सामने है.

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व्यवस्था में बदलाव के लिए नीतीश कुमार ने एक निश्चय भी किया था और उसमें सात निश्चय (Saat Nishchay) भाग एक और सात निश्चय भाग 2 को बारी-बारी से लागू भी किया गया. इस इस व्यवस्था के बदलाव का भी श्रेय नीतीश कुमार की पार्टी ही लेना चाहती है और यह बताना चाहती है कि नीतीश के सामने विकास ही प्राथमिकता रही है. नीतीश ने विकास के लिए काम किया है लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जिस विकास की बात हो रही है, उस पर सवाल भी तो विपक्ष मजबूती से उठा रहा है.

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हर घर नल के जल को लेकर के कई बड़े घोटाले की भी बात आ चुकी है. पानी के लिए लगाइ गईं टंकियां किस तरह से टूट गईं, यह भी कई खबरों में देखा जा चुका है. अब सवाल यह उठ रहा है कि निष्पक्षता और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने के लिए नीतीश कुमार ने दावा किया था. लेकिन 16 साल में बिहार आज कहां खड़ा है, पार्टी के लोगों को यह भी उत्तर के रूप में सबके सामने लाना चाहिए.

16 सालों में 86 आरोप भी नीतीश कुमार पर कम नहीं है. विकास की बुनियाद की बात कहने के लिए जनता दल यू सामने जरूर आ रही है लेकिन कई ऐसे आरोप हैं, जिसका उत्तर पार्टी के लोगों को मुखर होकर देना पड़ेगा. 2005 में नीतीश कुमार गद्दी पर बैठे तो भाजपा उनके साथ थी. 2010 में नीतीश कुमार दूसरी बार चुनाव लड़े तो विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया और बीजेपी ही उनके साथ थी.

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लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के भाजपा (BJP) की मजबूत राजनीति में आने के बाद जिस तरीके से नीतीश कुमार ने बिहार में करवट लिया उसने 2015 में देश के सबसे बड़े राजनीतिक गठबंधन की दूरी को खत्म कर दिया. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की गोद में नीतीश कुमार जाकर बैठ गए और जिस लालू यादव (Lalu Yadav) की मुखालफत की राजनीति को बिहार में सबसे ज्यादा स्थापित करने का काम नीतीश ने किया था उन्हें ही अपने सत्ता का संरक्षण दे दिया. हालांकि यह गठबंधन बहुत दूर तक नहीं चल पाया.

आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार को फिर राजनीतिक समझौता करते हुए बीजेपी के साथ आना पड़ा. 16 साल के कामकाज में अगर जनता दल यू इस बात को रखती है कि नीतीश कुमार बदले क्यों? यह बदलाव वाली राजनीति नीतीश के साथ क्यों रही? तो शायद एक मजबूत आधार भी खड़ा हो पाए. लेकिन लगता नहीं है कि जदयू पार्टी ऐसा करेगी.

नीतीश कुमार के 16 साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करने के लिए जनता दल यू काफी जोश में है. हालांकि नीतीश के कामकाज के पेश होने वाले रिपोर्ट में यह कहीं नहीं रखा गया है कि साथी पार्टियों के सहयोग ने बिहार में क्या-क्या किया है. बिहार में जो कुछ हुआ है और नीतीश ने किया है और नीतीश के करने से ही जो कुछ हुआ है, वह बिहार में हुआ है. अब तैयारी इसी बात की चल रही है.

लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि जनता दल यू इसे कितनी मजबूती के साथ तैयार कर पाता है. क्योंकि 2005 में जो लोग साथ थे और जितनी सीट जीतकर जनता दल यू आई थी, 2010 में जो हनक बनी 2015 में समझौते से जो सियासत खड़ी हुई और 2020 में नीतीश वाली जदयू जहां जाकर खड़ी हो गई सीटों की संख्या यह बताती है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने ही किया है.

ऐसे में जनता दल यू को आगे क्या करना है और नीतीश कुमार की आगे की रणनीति क्या होगी, यह 16 साल का जब कामकाज का ब्यौरा पेश किया जाएगा तो माना जा रहा है कि यह सब कुछ उसमें रहेगा. और यह नीतीश कुमार के बदलते और बदलने वाली बिहार की हर तस्वीर को बयां करेगा. अब विपक्ष इसे कितना नंबर देगा और बिहार की जनता इसे कितना सराहेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

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