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राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले MLC की 12 सीटों पर फंसा है BJP-JDU के बीच पेंच! - जेडीयू नेता श्रवण कुमार

बिहार विधान परिषद की 12 सीटें राज्यपाल कोटे से भरी जानी है. जबकि विधानसभा से दो और स्थानीय निकाय से 4 उम्मीदवार उच्च सदन पहुंचेंगे. राज्यपाल कोटे से भरी जाने वाली सीट पर जेडीयू बराबर-बराबर फॉर्मूला चाह रही है, जबकि बीजेपी अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है.

विधान परिषद
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Published : Dec 13, 2020, 5:07 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 4:56 PM IST

पटनाः बिहार विधान परिषद में सुशील मोदी के इस्तीफे के बाद अब कुल अट्ठारह सीट खाली हो गए हैं. 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरे जाने हैं, जो 7 महीना से भी अधिक समय से खाली पड़ी है. वहीं, विधानसभा चुनाव में पांच विधान परिषद सदस्य भी भी विधायक बने हैं. राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले सीटों पर जेडीयू और बीजेपी के बीच लंबे समय से सहमति नहीं बन पा रही है.

विधान परिषद में खाली 18 सीटें इस प्रकार हैंः

  • राज्यपाल कोटि से भरे जाने वाले सीट - 12
  • विधानसभा से भरे गाने वाले सीट - 2
  • स्थानीय निकाय से भरे जाने वाले सीट - 4

एमएलसी की सीटों को लेकर बीजेपी-जदयू में विवाद
6 सीट चुनाव आयोग चुनाव के माध्यम से भरे जाएंगे, जबकि 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरे जाने हैं. इसे लेकर सरकार को फैसला लेना है. मुख्यमंत्री 12 सीटों के लिए नामों की अनुशंसा राज्यपाल से करेंगे. इसी में बीजेपी और जदयू के बीच सहमति नहीं बन पा रही है.

नीतीश मंत्रिमंडल में अशोक चौधरी और मुकेश साहनी दो ऐसे मंत्री हैं, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने में किसी सदन का सदस्य होना पड़ेगा. अशोक चौधरी चुनाव से पहले भी छह महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए भी मंत्री बने रहे.

देखें वीडियो

राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों पर जेडीयू और बीजेपी कौन सा फार्मूला अपनाएगी, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. जदयू बराबर-बराबर सीटों का बंटवारा चाहती है, जबकि बीजेपी अधिक हिस्सेदारी चाहती है. विधानसभा चुनाव से पहले भी विधान परिषद के इन 12 सीटों को लेकर बीजेपी और जदयू के शीर्ष नेता बैठक कर चुके हैं और उस समय कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे थे. लेकिन लोजपा के कारण पेंच फस गया. वर्तमान विधानसभा में जदयू के पास महज 43 सीटें है, जबकि बीजेपी के खाते में 74 सीट हैं. दोनों के बीच 31 सीटों का अंतर है.

'नहीं है कोई पेंच'
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल के अनुसार सीट बंटवारे में कोई पेंच नहीं फंसा है. मुख्यमंत्री राज्यपाल को 12 नामों की सूची सौंपेगे. कैबिनेट की बैठक में इसके लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया जाएगा. बाकि 6 सीटों पर चुनाव आयोग को चुनाव कराना है.

वहीं, जदयू नेता और पूर्व मंत्री श्रवण कुमार भी किसी प्रकार के पेंच फंसने की बात से इंकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विलंब हो रहा है, इसलिए लोगों को ऐसा लग रहा है. जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा हो गया, तो इसका भी हो जाएगा.

विधान परिषद की खाली सीटों पर कइयों की नजर
विधान परिषद की खाली सीटों पर कई लोगों की नजर है. नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को भी अपने साथ जोड़ना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें भी एमएलसी बनाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही है. वहीं, आरजेडी के दिग्गज नेता अब्दुल बारी सिद्धकी पर भी नीतीश कुमार की नजर है. जेडीयू और बीजेपी के अंदर भी कई नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं. अशोक चौधरी और मुकेश सहनी का एमएलसी बनाना तय है. नीतीश कुमार के खासम-खास संजय सिंह भी एमएलसी बनने के लाइन में हैं.

लाइन में ये भी हैं
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन, शिक्षा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कन्हैया सिंह, चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एलबी सिंह, रणबीर नंदन, चुनाव हारने वाली रंजू गीता, पूर्व शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा और जय कुमार सिंह सहित नेता भी उच्च सदन जा सकते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए फैसला करना बड़ी चुनौती है. किसे खुश करें और किसे नाराज.

इसी तरह बीजेपी खेमे में भी संगठन से लेकर पार्टी में कई नेता है जो लंबे समय से उम्मीद लगाए हुए हैं. ऐसे में देखना है जेडीयू और बीजेपी किसे खुश कर पाती है. लेकिन उससे पहले जदयू और बीजेपी के बीच सीटों पर सहमति बनाना भी एक बड़ी चुनौती है, इसीलिए इसे लगातार टाला जा रहा है. अब खरमास के बाद ही इस पर कोई फैसला होगा.

पटनाः बिहार विधान परिषद में सुशील मोदी के इस्तीफे के बाद अब कुल अट्ठारह सीट खाली हो गए हैं. 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरे जाने हैं, जो 7 महीना से भी अधिक समय से खाली पड़ी है. वहीं, विधानसभा चुनाव में पांच विधान परिषद सदस्य भी भी विधायक बने हैं. राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले सीटों पर जेडीयू और बीजेपी के बीच लंबे समय से सहमति नहीं बन पा रही है.

विधान परिषद में खाली 18 सीटें इस प्रकार हैंः

  • राज्यपाल कोटि से भरे जाने वाले सीट - 12
  • विधानसभा से भरे गाने वाले सीट - 2
  • स्थानीय निकाय से भरे जाने वाले सीट - 4

एमएलसी की सीटों को लेकर बीजेपी-जदयू में विवाद
6 सीट चुनाव आयोग चुनाव के माध्यम से भरे जाएंगे, जबकि 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरे जाने हैं. इसे लेकर सरकार को फैसला लेना है. मुख्यमंत्री 12 सीटों के लिए नामों की अनुशंसा राज्यपाल से करेंगे. इसी में बीजेपी और जदयू के बीच सहमति नहीं बन पा रही है.

नीतीश मंत्रिमंडल में अशोक चौधरी और मुकेश साहनी दो ऐसे मंत्री हैं, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने में किसी सदन का सदस्य होना पड़ेगा. अशोक चौधरी चुनाव से पहले भी छह महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए भी मंत्री बने रहे.

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राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों पर जेडीयू और बीजेपी कौन सा फार्मूला अपनाएगी, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. जदयू बराबर-बराबर सीटों का बंटवारा चाहती है, जबकि बीजेपी अधिक हिस्सेदारी चाहती है. विधानसभा चुनाव से पहले भी विधान परिषद के इन 12 सीटों को लेकर बीजेपी और जदयू के शीर्ष नेता बैठक कर चुके हैं और उस समय कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे थे. लेकिन लोजपा के कारण पेंच फस गया. वर्तमान विधानसभा में जदयू के पास महज 43 सीटें है, जबकि बीजेपी के खाते में 74 सीट हैं. दोनों के बीच 31 सीटों का अंतर है.

'नहीं है कोई पेंच'
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल के अनुसार सीट बंटवारे में कोई पेंच नहीं फंसा है. मुख्यमंत्री राज्यपाल को 12 नामों की सूची सौंपेगे. कैबिनेट की बैठक में इसके लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया जाएगा. बाकि 6 सीटों पर चुनाव आयोग को चुनाव कराना है.

वहीं, जदयू नेता और पूर्व मंत्री श्रवण कुमार भी किसी प्रकार के पेंच फंसने की बात से इंकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विलंब हो रहा है, इसलिए लोगों को ऐसा लग रहा है. जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा हो गया, तो इसका भी हो जाएगा.

विधान परिषद की खाली सीटों पर कइयों की नजर
विधान परिषद की खाली सीटों पर कई लोगों की नजर है. नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को भी अपने साथ जोड़ना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें भी एमएलसी बनाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही है. वहीं, आरजेडी के दिग्गज नेता अब्दुल बारी सिद्धकी पर भी नीतीश कुमार की नजर है. जेडीयू और बीजेपी के अंदर भी कई नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं. अशोक चौधरी और मुकेश सहनी का एमएलसी बनाना तय है. नीतीश कुमार के खासम-खास संजय सिंह भी एमएलसी बनने के लाइन में हैं.

लाइन में ये भी हैं
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन, शिक्षा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कन्हैया सिंह, चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एलबी सिंह, रणबीर नंदन, चुनाव हारने वाली रंजू गीता, पूर्व शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा और जय कुमार सिंह सहित नेता भी उच्च सदन जा सकते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए फैसला करना बड़ी चुनौती है. किसे खुश करें और किसे नाराज.

इसी तरह बीजेपी खेमे में भी संगठन से लेकर पार्टी में कई नेता है जो लंबे समय से उम्मीद लगाए हुए हैं. ऐसे में देखना है जेडीयू और बीजेपी किसे खुश कर पाती है. लेकिन उससे पहले जदयू और बीजेपी के बीच सीटों पर सहमति बनाना भी एक बड़ी चुनौती है, इसीलिए इसे लगातार टाला जा रहा है. अब खरमास के बाद ही इस पर कोई फैसला होगा.

Last Updated : Dec 15, 2020, 4:56 PM IST
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