पटना: राज्य में जल्द ही पंचायत चुनाव होने को हैं. किसी भी समय पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है. पंचायत चुनाव के पहले सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था सशक्त हो इसको लेकर लगातार कार्य करने में लगी है. ब्लॉक में मुखिया को बैठने की जगह के साथ गांव में स्ट्रीट लाइट लगे, इसके लिए काम करने में राज्य सरकार जुटी है.
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विधानमंडल से करीब 10 हजार करोड़ की राशि मंजूर
राज्य में पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए 2021-22 में लगभग 10 हजार करोड़ की राशि की सदन से मंजूरी मिल गई है. विधानसभा और विधान परिषद में बजट को लेकर पंचायतीराज मंत्री सम्राट चौधरी ने पंचायत कैसे सशक्त हो इसको लेकर विधिवत चर्चा की. माननीयों द्वारा उठाए गए सवाल को लेकर पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार सभी पंचायतों को सशक्त बनाने में लगी हुई है. पंचायत का एक अपना अधिकार हो उन अधिकारों को पंचायत प्रतिनिधि इस्तेमाल कर सकें इसके लिए सरकार पूरी व्यवस्था कर रही है. विधान परिषद में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बजट पर चर्चा करते हुए कहा कि 31 मई 2021 तक जितनी भी जिला परिषद की जमीन पर कब्जा है. सरकार उसकी पहचान कर घेराबंदी करायेगी. पंचायती राज्य मंत्री ने कहा पंचायत सरकारी भवनों में लोगों की समस्या का समाधान हो इसकी व्यवस्था की जा रही है. इसमें आरटीपीएस काउंटर की व्यवस्था हो गई. 15 अगस्त से पहले आरटीपीएस सेंटर खुल जाएगा.
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सात निश्चय के तहत पंचायतों में होगा काम
सम्राट चौधरी ने कहा कि सात निश्चय 2 के तहत हर वार्ड में स्ट्रीट लाइट लगाई जाएगी. साढे़ 13 लाख स्ट्रीट लाइट लगाए जाएंगे. स्ट्रीट लाइट आरएमएस सेंसर से लैस होगा. किस पंचायत में कितनी बिजली जली है, यह पता चल सकेगा. यह पूरी तरह सोलर बिजली होगी. सम्राट चौधरी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था बहाल रखने के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक बनाती है. बहुत से जगह पर कानून बनाने का अधिकार पंचायतों को दिया गया है कि कानून बनाकर चीजों को स्थापित किया जा सकता है. बिहार में इस चीज को हम लोग स्थापित भी कर रहे हैं. 2008 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पंचायती राज विभाग को एक स्वतंत्र प्रभार के रूप में पहचान दिलाई हैं. पहले यह विभाग ग्रामीण विकास विभाग के अनुरूप कार्य करता था.
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गांवों तक मूलभूत सुविधाओं का पहुंचाना लक्ष्य
सम्राट चौधरी ने कहा कि पंचायती राज विभाग का जो बजट है वह पथ निर्माण विभाग से कहीं अधिक का बजट इस बार मंजूर हुआ है. पथ निर्माण विभाग में सरकार 58 सौ करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं .तो पंचायती राज विभाग 9600 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं, और इसका मूलभूत सुविधाओं को गांव तक पहुंचाना है. इसलिए बिहार सरकार ने यह तय किया है कि 2021-22 में पंचायतों में जितने भी बच्चे गली-गली योजना है उनका काम इस वित्तीय वर्ष में पूरा करने का हम लोगों का लक्ष्य रखा गया है .इसके लिए सर्वे का भी काम चल रहा है. 2021-22 में बची नली-गली योजना को पूरा किया जाएगा. जहां भी नल जल योजना में नलों को तोड़ा गया है. उसे किसी भी कीमत ठीक कराया जाएगा. सड़क भी जहां खराब हो गई उसकी मरम्मत कराई जाएगी. यह तय कर दिया गया है कि जिस नल से पानी नहीं गिरा उस योजना को पूर्ण नहीं माना जाएगा.
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पंचायतों में टैक्स वसूलने पर हो रहा विचार
हम आपको बता दें कि बिहार सरकार बहुत जल्द पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी पंचायतों में टैक्स वसूलने को लेकर अधिकार दे सकती है. पंचायती राज विभाग के सूत्रों की माने तो पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए वहां जो टैक्स प्रणाली बनाई जाएगी. इसके तहत अब गांव में अपने जमीन के ऊपर मोबाइल टावर रखने वालों को हर महीने 1000 रुपये का टैक्स देना होगा. साथ ही साथ खेती के सामान को छोड़कर अगर कोई दूसरे तरह की दुकान चलाता है तो उसे 100 रुपये टैक्स के तौर पर देने होंगे. खेती के अलावा अगर ट्रैक्टर-ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है तो इसके लिए भी 100 रुपये का टैक्स हर महीने देना होगा. हालांकि, इस नियमावली का अभी अंतिम प्रारूप अभी तैयार नहीं हुआ है. लेकिन पंचायती राज विभाग इन सभी बिंदुओं पर विचार विमर्श कर रहा है.