पटना: प्रदेश में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामले काफी बढ़ने लगे हैं और ऐसे में पीएमसीएच (PMCH) के ब्लैक फंगस वार्ड में शनिवार को 10 नए मरीज एडमिट हुए हैं. इसके साथ ही अस्पताल में अब ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 28 हो गई है.
शनिवार को एक मरीज को सर्जरी की आवश्यकता होने और मरीज की स्थिति गंभीर होने पर पटना एम्स के लिए रेफर कर दिया गया.
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पीएमसीएच में उचित व्यवस्था का अभाव
बता दें कि पीएमसीएच में ब्लैक फंगस का इलाज तो शुरू हो गया है मगर सर्जरी की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ब्लैक फंगस के ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल में एडमिट करना पड़ रहा है. उनमें से अधिकांश को फंगस ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है.
ऐसे में अस्पताल में सर्जरी की व्यवस्था ना होने के कारण मरीज की तबीयत यहां और बिगड़ जा रही है. क्योंकि यहां मरीज के फंगल स्टेज को दवाइयों पर स्टेबल करने का प्रयास किया जा रहा है.
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बिना सूचना मरीज हो रहे लामा
पीएमसीएच के ब्लैक फंगस वार्ड से मरीजों के लामा होने की घटनाएं भी कम नहीं हो रही है. शुक्रवार देर रात ब्लैक फंगस वार्ड में इलाजरत मरीज तारा देवी बिना अस्पताल प्रबंधन को सूचना दिए लामा हो गई. मेडिकल में लामा का मतलब होता है लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस.
ऐसे मरीज अस्पताल में इलाज की व्यवस्था से असंतुष्ट हो जाते हैं. वे चुपके से डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को बताएं बिना अस्पताल से निकल जाते हैं. पीएमसीएच के ब्लैक फंगस वार्ड के पास सिक्योरिटी गार्ड की भी तैनाती है. सवाल यह उठ रहा है कि तमाम नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टरों और सिक्योरिटी गार्ड के बीच में से कैसे मरीज लामा हो जा रहे हैं.
बताते चलें कि पीएमसीएच में औषधि नियंत्रण विभाग से शनिवार के दिन ब्लैक फंगस की बीमारी में यूज होने वाला इंजेक्शन लाइपोजोमेल एंफोटेरेसिन बी का 75 वायल उपलब्ध कराया गया है. पीएमसीएच में प्रतिदिन 50 वायल उपयोग होता है.