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नवादा में 6 लोगों की मौत का आत्महत्या मामला: व्यवसायिक संघ ने बाजार बंद कर किया प्रदर्शन

नवादा में एक ही परिवार के छह लोगों की आत्महत्या (Mass Suicide in Nawada) से व्यवसायियों में खासा नाराजगी है. जिले में व्यापारियों ने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की. उनका कहना है कि जिले में अपराधियों का बोलबाला है. व्यवसायियों को व्यापार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. फल विक्रेता ने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या की है. इनके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

व्यवसायिक संघ का प्रदर्शन
व्यवसायिक संघ का प्रदर्शन
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Published : Nov 12, 2022, 9:28 PM IST

नवादा: बिहार के नवादा में सामूहिक आत्महत्या (Crime In Nawada) मामले में वैश्य समाज के लोगों के द्वारा आज नवादा बंद बुलाया गया. फल विक्रेता के पूरे परिवार के साथ आत्महत्या का मामला अब गरमता जा रहा है. यहां के व्यवसायियों में खासा आक्रोश है. जिसको लेकर नवादा में व्यवसायिक संघ के बैनर तले लोगों ने एकजुटता का परिचय देते हुए (Vyavasaayik Association Protest In Nawada) नवादा में दुकानों को बंद कराया. व्यवसायिक संघ प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर सुंदर साहू ने कहा कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि आत्महत्या करने के लिए विवश किया गया है. इतना ही नहीं जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार मृतक की बच्चियों के साथ भी गलत व्यवहार किया गया था. जिसको लेकर पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों ने आत्महत्या कर ली. सरकार से मांग करता हूं कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Nawada Family Suicide Case: जहर खाने से 6 लोगों की मौत, दो सूदखोर गिरफ्तार

नवादा में व्यवसायिक संघ ने किया प्रदर्शन

'व्यवसायी संघ बाजार बंद कर प्रदर्शन किया है. एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत से यहां के व्यापारियों में आक्रोश है. हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. इस घटना से जिला ही नहीं राज्य ही नहीं, पूरे देश में नाराजगी है. हम इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हैं.' - इंजीनियर सुंदर साहू, प्रदेश अध्यक्ष, व्यवसायिक संघ

एक ही परिवार के 6 लोगों ने की थी आत्महत्या : गौरतलब है कि बिहार के नवादा में सूदखोर के बनाए जाल में फंसकर एक ही परिवार के 6 लोगों ने जहर पीकर जान दे दी थी. आदर्शनगर मोहल्ले में रहने वाले परिवार ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार 'समाज के दीमक' सूदखोरों को बताया था. इस परिवार के मुखिया ने 6 सूदखोरों से कर्ज लिया हुआ था. सूदखोर द्वारा दी जा रही जलालत का बोझ इनके ऊपर पड़े कर्ज के बोझ से कहीं ज्यादा था. इसीलिए परिवार ने मौत को गले लगाने के लिए जहर पी लिया. महाजन का आतंक इतना था कि उनकी दो-दो दुकानें थीं लेकिन इन महाजनों के खौफ के चलते महीनों से बंद पड़ीं थीं. दुकान नहीं खुलने से आर्थिक तंगी ने भी घेर लिया था. ऊपर से ब्याज और जलालत का बोझ बढ़ता ही जा रहा था. जहां तक भाग सकते थे तब तक भागे फिर हारकर मजबूरी में मौत को सभी ने गले लगा लिया था.

नवादा: बिहार के नवादा में सामूहिक आत्महत्या (Crime In Nawada) मामले में वैश्य समाज के लोगों के द्वारा आज नवादा बंद बुलाया गया. फल विक्रेता के पूरे परिवार के साथ आत्महत्या का मामला अब गरमता जा रहा है. यहां के व्यवसायियों में खासा आक्रोश है. जिसको लेकर नवादा में व्यवसायिक संघ के बैनर तले लोगों ने एकजुटता का परिचय देते हुए (Vyavasaayik Association Protest In Nawada) नवादा में दुकानों को बंद कराया. व्यवसायिक संघ प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर सुंदर साहू ने कहा कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि आत्महत्या करने के लिए विवश किया गया है. इतना ही नहीं जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार मृतक की बच्चियों के साथ भी गलत व्यवहार किया गया था. जिसको लेकर पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों ने आत्महत्या कर ली. सरकार से मांग करता हूं कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

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नवादा में व्यवसायिक संघ ने किया प्रदर्शन

'व्यवसायी संघ बाजार बंद कर प्रदर्शन किया है. एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत से यहां के व्यापारियों में आक्रोश है. हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. इस घटना से जिला ही नहीं राज्य ही नहीं, पूरे देश में नाराजगी है. हम इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हैं.' - इंजीनियर सुंदर साहू, प्रदेश अध्यक्ष, व्यवसायिक संघ

एक ही परिवार के 6 लोगों ने की थी आत्महत्या : गौरतलब है कि बिहार के नवादा में सूदखोर के बनाए जाल में फंसकर एक ही परिवार के 6 लोगों ने जहर पीकर जान दे दी थी. आदर्शनगर मोहल्ले में रहने वाले परिवार ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार 'समाज के दीमक' सूदखोरों को बताया था. इस परिवार के मुखिया ने 6 सूदखोरों से कर्ज लिया हुआ था. सूदखोर द्वारा दी जा रही जलालत का बोझ इनके ऊपर पड़े कर्ज के बोझ से कहीं ज्यादा था. इसीलिए परिवार ने मौत को गले लगाने के लिए जहर पी लिया. महाजन का आतंक इतना था कि उनकी दो-दो दुकानें थीं लेकिन इन महाजनों के खौफ के चलते महीनों से बंद पड़ीं थीं. दुकान नहीं खुलने से आर्थिक तंगी ने भी घेर लिया था. ऊपर से ब्याज और जलालत का बोझ बढ़ता ही जा रहा था. जहां तक भाग सकते थे तब तक भागे फिर हारकर मजबूरी में मौत को सभी ने गले लगा लिया था.

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