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MP-MLA ने इस गांव की नहीं सुनी गुहार, श्रमदान और चंदा इकट्ठा कर ग्रामीणों ने बनाया पुल

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Published : Jul 11, 2020, 4:35 PM IST

Updated : Jul 11, 2020, 8:23 PM IST

ग्रामीण वर्षों से मुखिया,विधायक और सांसद से अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं. चुनाव का बहिष्कार भी किया. अधिकारी आए और कोरा आश्वासन देकर चले गए लेकिन पुल नहीं बन सका. ऐसे में ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर कठिन परिश्रम से पुल बनाया.

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नवादा: चुनाव आते-जाते रहते हैं. नेता हर चुनाव में का वादा पूरा करने की कसम खाते हैं. लेकिन जब जन प्रतिनिधि अपने कर्तव्य से मुकर जाते हैं तब लोगों को अपना काम खुद के बलबुते करना पड़ता है. हिसुआ प्रखंड के हादसा पंचायत के अमरी के ग्रामीणों ने कुछ ऐसा ही किया है. जनप्रतिनिधियों और अफसरों से गुहार लगाने के बाद भी पुल नहीं बनने के बाद मजबूरन ग्रामीओं ने चंदा इकट्ठा कर श्रम दान करते हुए इसका निर्माण किया है. जो इन दिनों सुर्खियों में है.

दलित बहुल्य इस बस्ती में हजार की संख्या में लोग रहते हैं. सभी ग्रामवासी पिछले 20 वर्षों से पुल बनाने की मांग कर रहे थे. पुल नहीं रहने से बरसात के दिनों में मुसीबतों से गुजरना पड़ता. इमरजेंसी या डिलेवरी के समय में लोगों को खटिया पर टांग कर ले जाते थे. ग्रामीण मोहन चौधरी कहते हैं कि प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान वोट का बहिष्कार भी किया. प्रशासन के लोग कोरा आश्वासन देकर चले गए लेकिन आज कोई इस गांव की तरफ देखने तक नहीं आया.

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श्रमदान करते ग्रामीण

चंदा इकट्ठा कर श्रमदान से बनाया पुल
इतने जद्दोजहद के बाद भी एक छोटी सा पुल नहीं बनने से नाराज ग्रामीणों ने अपने दम पर पुलिया बनाने का निर्णय लिया. ग्रामीणों ने अपने बलबूते पर पैसे इकट्ठे कर आपसी सहयोग और श्रमदान कर वर्षों बाद पुल का नर्माण कर लिया. ग्रामीणों ने अपने बलबूते हसरतें पूरी कर ली. ग्रामीण अमीरा चौधरी ने बताया कि पुल के लिए पिछले साल लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार बहिष्कार भी किया. एडीएम ने पुल बनाने का आश्वासन दिया लेकिन वो भी कोरा ही रह गया. वहीं, जन प्रतिनिधि हर चुनाव के समय वोटिंग के बाद पुल बनाने का वादा करते रहे लेकिन जीतने के बाद कोई देखने भी नहीं आया.

देखें रिपोर्ट

बरसात के महीनों में होती है दिक्कतें
ग्रामीणों का कहना है कि पुल के लिए एमपी और एमएलए से गुहार भी लगाया. बरसात में लोगों को आने-जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. लेकिन आज तक विधायक-सांसद ने पुल का निर्माण नहीं करवाया. मजबूरन लोगों ने चंदा इकट्ठा कर पुल बनाया. इस काम में युवाओं ने बढ़-चढ़ कर श्रमदान किया. वहीं, गांव के लोगों ने 200 से लेकर हजार रुपये का आर्थिक सहयोग पुल निर्माण में किया.

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पुल निर्माण में भाग लेते ग्रामीण

कनीय अभियंता लेंगे जायजा
वहीं, इस संदर्भ में ईटीवी भारत संवाददाता ने हिसुआ प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉ. मृत्युंजय कुमार से सवाल किया गया. बीडीओ ने बताया कि कनीय अभियंता को भेजकर इसके मामले की विस्तृत जानकारी लेंगे. रिपोर्ट आने के बाद वरीय अधिकारी को इससे अवगत कराया जाएगा. हालांकि, बीडीओ ने आश्वस्त किया कि ग्रामीणों को यथा संभव मदद की जाएगी.

नवादा: चुनाव आते-जाते रहते हैं. नेता हर चुनाव में का वादा पूरा करने की कसम खाते हैं. लेकिन जब जन प्रतिनिधि अपने कर्तव्य से मुकर जाते हैं तब लोगों को अपना काम खुद के बलबुते करना पड़ता है. हिसुआ प्रखंड के हादसा पंचायत के अमरी के ग्रामीणों ने कुछ ऐसा ही किया है. जनप्रतिनिधियों और अफसरों से गुहार लगाने के बाद भी पुल नहीं बनने के बाद मजबूरन ग्रामीओं ने चंदा इकट्ठा कर श्रम दान करते हुए इसका निर्माण किया है. जो इन दिनों सुर्खियों में है.

दलित बहुल्य इस बस्ती में हजार की संख्या में लोग रहते हैं. सभी ग्रामवासी पिछले 20 वर्षों से पुल बनाने की मांग कर रहे थे. पुल नहीं रहने से बरसात के दिनों में मुसीबतों से गुजरना पड़ता. इमरजेंसी या डिलेवरी के समय में लोगों को खटिया पर टांग कर ले जाते थे. ग्रामीण मोहन चौधरी कहते हैं कि प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान वोट का बहिष्कार भी किया. प्रशासन के लोग कोरा आश्वासन देकर चले गए लेकिन आज कोई इस गांव की तरफ देखने तक नहीं आया.

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श्रमदान करते ग्रामीण

चंदा इकट्ठा कर श्रमदान से बनाया पुल
इतने जद्दोजहद के बाद भी एक छोटी सा पुल नहीं बनने से नाराज ग्रामीणों ने अपने दम पर पुलिया बनाने का निर्णय लिया. ग्रामीणों ने अपने बलबूते पर पैसे इकट्ठे कर आपसी सहयोग और श्रमदान कर वर्षों बाद पुल का नर्माण कर लिया. ग्रामीणों ने अपने बलबूते हसरतें पूरी कर ली. ग्रामीण अमीरा चौधरी ने बताया कि पुल के लिए पिछले साल लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार बहिष्कार भी किया. एडीएम ने पुल बनाने का आश्वासन दिया लेकिन वो भी कोरा ही रह गया. वहीं, जन प्रतिनिधि हर चुनाव के समय वोटिंग के बाद पुल बनाने का वादा करते रहे लेकिन जीतने के बाद कोई देखने भी नहीं आया.

देखें रिपोर्ट

बरसात के महीनों में होती है दिक्कतें
ग्रामीणों का कहना है कि पुल के लिए एमपी और एमएलए से गुहार भी लगाया. बरसात में लोगों को आने-जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. लेकिन आज तक विधायक-सांसद ने पुल का निर्माण नहीं करवाया. मजबूरन लोगों ने चंदा इकट्ठा कर पुल बनाया. इस काम में युवाओं ने बढ़-चढ़ कर श्रमदान किया. वहीं, गांव के लोगों ने 200 से लेकर हजार रुपये का आर्थिक सहयोग पुल निर्माण में किया.

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पुल निर्माण में भाग लेते ग्रामीण

कनीय अभियंता लेंगे जायजा
वहीं, इस संदर्भ में ईटीवी भारत संवाददाता ने हिसुआ प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉ. मृत्युंजय कुमार से सवाल किया गया. बीडीओ ने बताया कि कनीय अभियंता को भेजकर इसके मामले की विस्तृत जानकारी लेंगे. रिपोर्ट आने के बाद वरीय अधिकारी को इससे अवगत कराया जाएगा. हालांकि, बीडीओ ने आश्वस्त किया कि ग्रामीणों को यथा संभव मदद की जाएगी.

Last Updated : Jul 11, 2020, 8:23 PM IST
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