ETV Bharat / state

ये है बिहार का 'कश्मीर', ककोलत जलप्रपात में नहाने के लिए लगा सैलानियों का जमावड़ा - शीतलता

इस जगह  पर आए सैलानियों को शीतलता के साथ-साथ शांति और सुकून भी मिलता है. यह जगह छुट्टी बिताने के प्रमुख ठिकाने बनते जा रहे हैं.  प्राकृतिक सौंदर्य से आवरित यह जगह सैलानियों को यहां तक खींच तो लाती है पर उनके लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है.

ककोलत जलप्रपात
author img

By

Published : Jun 11, 2019, 12:23 PM IST

नवादाः नवादा जिले से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ककोलत जलप्रपात. यह एक ऐसा जलप्रपात है जो सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य में देश के किसी भी जलप्रपात से कम नहीं है. गर्मियों में काफी लोग दूर-दूर से यहां पहुचते हैं. इसे बिहार का नियाग्रा या फिर बिहार का कश्मीर भी कहा जाता है.

इस जगह पर आए सैलानियों को शीतलता के साथ-साथ शांति और सुकून भी मिलता है. यह जगह छुट्टी बिताने के प्रमुख ठिकाने बनते जा रहे हैं. प्राकृतिक सौंदर्य से आवरित यह जगह सैलानियों को यहां तक खींच तो लाती है पर उनके लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

जलप्रपात से जुड़े हैं कई पौराणिक व धार्मिक मान्यतायें
सदियों से झरझर बहती इस जलप्रपात का कई पौराणिक व धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि अज्ञानतावास के दौरान पांडव यहां पर निवास किए थे. महाभारत में वर्णित काम्यक वन वर्तमान में काकोलत के नाम से विख्यात है. पांडव ने निवास के क्रम में यहां भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने के लिए पधारे थे. ये दुर्गा सप्तशती के रचयिता मार्कडेय ऋषि का तपोस्थल है. किंग्वादन्तियों का कहना है कि, इस जल में नहाने से शार्प योनि और गिरगिट योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है.

बंद हो गया सतुआनी मेला
वर्षों से लगते आ रहे सतुआनी मेला जिसे बिसुआ मेला के नाम से जाना जाता था वो भी समुचित व्यवस्था नहीं दे पाने के कारण अब लगभग बंद ही हो चुका है. मेले के पौराणिकता के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर राजा नृग गिरगिट योनि में निवास करते थे. जिसे महाभारत काल मे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरण स्पर्श पर उन्हें मुक्ति दी थी. जिसके बाद से यहां के आसपास के लोग सतुआनी के मौके पर स्नान करने के लिे मेला लगता था. वो धीरे-धीरे बड़े मेले का रूप ले लिया लेकिन अब वो भी खत्म हो गया है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

अभी तक नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
दशकों से ककोलत को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग की जा रही है. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं दिया जा सका है. पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन पर पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने की घोषणा की आस जगी थी. लेकिन सीएम ने पर्यटन स्थल का दर्जा देने के बजाय 2 सौ करोड़ के लागत से सौंदर्यीकरण करवाने का आश्वासन दिया था. जिसके बाद से कुछ काम हुए हैं पर अभी भी पूर्णरूप से सौंदर्यीकरण के लिए बहुत काम होने बाकी है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

गर्मियों में दूर-दूर से आते हैं सैलानी
गर्मियों की छुट्टी इंजॉय करने के लिए दूर-दूर से सैलानी ककोलत आते हैं. जिसमें झारखंड और बिहार से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. यह जलप्रपात सरकार की उदासीनता के कारण विदेशी पर्यटकों को रिझाने में नाकाम रही है. वहीं अगर इस दगह का प्रचार-प्रसार सही से हो तो यहां देश-विदेश के पर्यटकों का जमावड़ा लग सकता है.

महिला सैलानियों के लिए नहीं है समुचित व्य्वस्था
बिना प्रचार-प्रसार के भी यहां गर्मी के दिनों हजारों की संख्या में सैलानी स्नान करने पहुंचते हैं. लेकिन उनके लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. हालांकि, यहां त्रिपाल से घेरकर अस्थायी चेंजिन रूप बनाये गए हैं. जो सैलानियों के संख्या के लिहाज से कम है और यहां साफ-सफाई की घोर कमी है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

क्या कहते हैं सैलानी
बक्सर से आयीं सैलानी अनु का कहना है कि ये लोग यहां आकर खूब इन्जॉय किए. यहां का जल काफी अच्छा है शीतल है पर साफ-सफाई की कमी है. महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए प्रॉपर व्यवस्था नहीं है. शौचालय का व्यवस्था नहीं है. ऐसेमेंकई और महिलाओं को भी चेंजिग रूम की व्यवस्था न होने मलाल है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

क्या कहते हैं केयर टेकर
केयर टेकर कुंदन पासवान का कहना है कि ये लोग अपने स्तर से सारी सुविधाएं देने की कोशिश की है. यह बात सही है कि शौचालय का यहां व्यवस्था नहीं है. लेकिन लोग कर भी क्या सकते हैं. सरकार को इसके लिए कोई कदम उठाना होगा.

यहां के लोगों कि सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द इसके सौंदर्यीकरण के कार्य को पूरा करें. साथ ही इसे बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सुमार करे और अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करे ताकि यहां के आस-पास के लोगों को रोजगार का भी अवसर मिल सके.

नवादाः नवादा जिले से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ककोलत जलप्रपात. यह एक ऐसा जलप्रपात है जो सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य में देश के किसी भी जलप्रपात से कम नहीं है. गर्मियों में काफी लोग दूर-दूर से यहां पहुचते हैं. इसे बिहार का नियाग्रा या फिर बिहार का कश्मीर भी कहा जाता है.

इस जगह पर आए सैलानियों को शीतलता के साथ-साथ शांति और सुकून भी मिलता है. यह जगह छुट्टी बिताने के प्रमुख ठिकाने बनते जा रहे हैं. प्राकृतिक सौंदर्य से आवरित यह जगह सैलानियों को यहां तक खींच तो लाती है पर उनके लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

जलप्रपात से जुड़े हैं कई पौराणिक व धार्मिक मान्यतायें
सदियों से झरझर बहती इस जलप्रपात का कई पौराणिक व धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि अज्ञानतावास के दौरान पांडव यहां पर निवास किए थे. महाभारत में वर्णित काम्यक वन वर्तमान में काकोलत के नाम से विख्यात है. पांडव ने निवास के क्रम में यहां भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने के लिए पधारे थे. ये दुर्गा सप्तशती के रचयिता मार्कडेय ऋषि का तपोस्थल है. किंग्वादन्तियों का कहना है कि, इस जल में नहाने से शार्प योनि और गिरगिट योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है.

बंद हो गया सतुआनी मेला
वर्षों से लगते आ रहे सतुआनी मेला जिसे बिसुआ मेला के नाम से जाना जाता था वो भी समुचित व्यवस्था नहीं दे पाने के कारण अब लगभग बंद ही हो चुका है. मेले के पौराणिकता के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर राजा नृग गिरगिट योनि में निवास करते थे. जिसे महाभारत काल मे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरण स्पर्श पर उन्हें मुक्ति दी थी. जिसके बाद से यहां के आसपास के लोग सतुआनी के मौके पर स्नान करने के लिे मेला लगता था. वो धीरे-धीरे बड़े मेले का रूप ले लिया लेकिन अब वो भी खत्म हो गया है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

अभी तक नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
दशकों से ककोलत को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग की जा रही है. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं दिया जा सका है. पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन पर पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने की घोषणा की आस जगी थी. लेकिन सीएम ने पर्यटन स्थल का दर्जा देने के बजाय 2 सौ करोड़ के लागत से सौंदर्यीकरण करवाने का आश्वासन दिया था. जिसके बाद से कुछ काम हुए हैं पर अभी भी पूर्णरूप से सौंदर्यीकरण के लिए बहुत काम होने बाकी है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

गर्मियों में दूर-दूर से आते हैं सैलानी
गर्मियों की छुट्टी इंजॉय करने के लिए दूर-दूर से सैलानी ककोलत आते हैं. जिसमें झारखंड और बिहार से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. यह जलप्रपात सरकार की उदासीनता के कारण विदेशी पर्यटकों को रिझाने में नाकाम रही है. वहीं अगर इस दगह का प्रचार-प्रसार सही से हो तो यहां देश-विदेश के पर्यटकों का जमावड़ा लग सकता है.

महिला सैलानियों के लिए नहीं है समुचित व्य्वस्था
बिना प्रचार-प्रसार के भी यहां गर्मी के दिनों हजारों की संख्या में सैलानी स्नान करने पहुंचते हैं. लेकिन उनके लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. हालांकि, यहां त्रिपाल से घेरकर अस्थायी चेंजिन रूप बनाये गए हैं. जो सैलानियों के संख्या के लिहाज से कम है और यहां साफ-सफाई की घोर कमी है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

क्या कहते हैं सैलानी
बक्सर से आयीं सैलानी अनु का कहना है कि ये लोग यहां आकर खूब इन्जॉय किए. यहां का जल काफी अच्छा है शीतल है पर साफ-सफाई की कमी है. महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए प्रॉपर व्यवस्था नहीं है. शौचालय का व्यवस्था नहीं है. ऐसेमेंकई और महिलाओं को भी चेंजिग रूम की व्यवस्था न होने मलाल है.

nawada
ककोलत जलप्रपात

क्या कहते हैं केयर टेकर
केयर टेकर कुंदन पासवान का कहना है कि ये लोग अपने स्तर से सारी सुविधाएं देने की कोशिश की है. यह बात सही है कि शौचालय का यहां व्यवस्था नहीं है. लेकिन लोग कर भी क्या सकते हैं. सरकार को इसके लिए कोई कदम उठाना होगा.

यहां के लोगों कि सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द इसके सौंदर्यीकरण के कार्य को पूरा करें. साथ ही इसे बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सुमार करे और अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करे ताकि यहां के आस-पास के लोगों को रोजगार का भी अवसर मिल सके.

Intro:नवादा। तपती गर्मियों में शीतलता पाना चाहते हैं आ जाइए बिहार का कश्मीर कहे जानेवाले काकोलत। जहाँ आपको शीतलता के साथ-साथ शांति और सुकून भी मिलेगा। जी हां, जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर गोविंदपुर प्रखंड स्थित यह जलप्रपात गर्मियों में सैलानियों के छुट्टी बिताने के प्रमुख ठिकाने बनते जा रहे हैं। ऊंची पहाड़ी हरे-भरे पेड़ पौधे। पहाड़ियों के बीच से गिरती शीतल पानी की और उसकी जमीं पर बहती कलकल करती धाराएं अनुपम क्षटा बिखेरती रहती है यही कारण है कि इसे बिहार का कश्मीर कहा जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य से आवरित यह जगह को सैलानियों को यहां तक खींच तो लाती है पर उनके लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है।




Body:जलप्रपात से जुड़ें है कई पौराणिक व धार्मिक मान्यतायें

सदियों से झरझर बहती इस जलप्रपात का कई पौराणिक व धार्मिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि अज्ञानतावश के दौरान पांडव यहां पर निवास किए थे। महाभारत में वर्णित काम्यक वन को वर्तमान में काकोलत के नाम से विख्यात है। पांडव ने निवास के क्रम में यहाँ भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने के लिए पधारे थे। दुर्गा सप्तशती के रचयिता मार्कंडेय ऋषि का तपोस्थल है। किंग्वादन्तियों का कहना है कि, इस जल में नहाने से शार्प योनि और गिरगिट योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है।

बंद हो गया सतुआनी मेला

वर्षों से लगते आ रहे सतुआनी मेला जिसे बिसुआ मेला के नाम से जाना जाता था वो भी समुचित व्यवस्था नहीं दे पाने के कारण अब लगभग बंद ही हो चुका है। मेले के पौराणिकता बारे में कहा जाता है कि, यही पर राजा नृग गिरगिट योनि में निवास करते थे जिसे महाभारत काल मे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरण स्पर्श से उन्हें मुक्ति दी थी जिसके बाद से यहाँ से आसपास के लोग सतुआनी के मौके पर स्नान करने लगे जो धीरे-धीरे बड़े मेला का रूप ले लिया लेकिन अब वो भी खत्म हो गया है।

अभी तक नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

दशकों से काकोलत को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांगें की जा रही है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं दिया जा सका है पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन पर पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने की घोषणा की आस जगी थी लेकिन सीएम ने पर्यटन स्थल का दर्जा देने के वजाय 2 सौ करोड़ के लागत से सौंदर्यीकरण करवाने का आश्वासन दिया था जिसके बाद से कुछ काम हुए हैं पर अभी भी पूर्णरूप से सौंदर्यीकरण के लिए बहुत काम होने बांकी है।

गर्मियों में दूर-दूर से आते हैं सैलानी

गर्मियों में छुट्टी इंजॉय करने के लिए दूर-दूर से सैलानी काकोलत पहुंचते हैं जिसमें झारखंड और बिहार के बड़ी संख्या लोग पहुंचते हैं सरकार की उदासीनता के कारण और पर्यटकों के लिए उपयुक्त
नहीं होने के कारण विदेशी पर्यटकों को रिझाने में नाकाम रही है। अगर प्रचार-प्रसार सही से हो तो यहां देश-विदेश के पर्यटकों का लग सकता है जमावड़ा।

महिला सैलानियों के लिए नहीं है समुचित व्य्वस्था

बिना प्रचार-प्रसार के भी यहां गर्मी के दिनों में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में सैलानी स्नान करने पहुंचते हैं लेकिन उनके लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।हालांकि वहां त्रिपाल से घेरकर अस्थायी चेंजिन रूप बनाये गए हैं जोकि सैलानियों के संख्या के लिहाज से कम हैI साफ-सफाई की घोर कमी है।

क्या कहते हैं सैलानी

बक्सर से आयीं सैलानी अनु का कहना है कि हमलोग यहां आकर खूब इन्जॉय किए। यहां का जल काफी अच्छा है शीतल है पर साफ-सफाई की कमी है। महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। शौचालय का व्यवस्था नहीं है। ऐसे ही कई और महिलाओं को भी चेंजिग रूम की व्यवस्था न होने मलाल है।

क्या कहते हैं केयर टेकर

केयर टेकर कुंदन पासवान का कहना है हमलोग अपने स्तर से सारी सुविधाएं देने की कोशिश की है। यह बात सही है कि शौचालय का यहां व्यवस्था नहीं है। हमलोग क्या कर सकते हैं। सरकार को इसके लिए सोचनी चाहिए।








Conclusion:सवाल यह उठता है कि जिस प्रकार सैलानियों की दिनोदिन भीड़ काकोलत में बढ़ती जा रही है उससे प्रशासन के लिए भी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करना चैलेंज हो सकता है क्योंकि बढ़ती भीड़ से महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और पॉकेटमारी की घटना में इज़ाफ़ा हो सकती है। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इसके सौंदर्यीकरण के कार्य पूर्ण कर इसे बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सुमार करे और अधिक से अधिक प्रसार-प्रसार करे ताकि यहां के आसपास के लोगों को रोजगार अवसर मिल सके।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.