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नवादा: जैन तीर्थस्थलों को रेलमार्ग से जोड़ने की पहल, श्रद्धालुओं को होगा लाभ

नवादा में जैन सर्किट से गोणावां, पावापुरी और राजगृह के जुड़ने का मार्ग सरल हो गया है. इसके लिए समाजसेवी दीपक जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है.

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Published : Sep 20, 2020, 5:08 PM IST

नवादा: जिले से बिहारशरीफ को रेलमार्ग से जोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाने से गोणावां, पावापुरी और राजगृह को जैन सर्किट से जोड़े जाने का मार्ग सरल हो गया है. बिहार प्रांतीय जैन युवा जागृति के अध्यक्ष समाजसेवी दीपक जैन ने बताया कि उनकी ओर से केंद्र सरकार से जैन सर्किट के तहत बिहार और झारखंड के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़े जाने की मांग की गई थी. वहीं, अब कई सालों बाद यह मांग पूरी हुई है.

रेलमार्ग से जोड़े जाएंगे तीर्थस्थल
मोदी सरकार की ओर से नवादा और बिहारशरीफ को आपस में रेलमार्ग से जोड़े जाने के लिये गए फैसले से जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी की निर्वाणस्थली गोणावां (नवादा), भगवान महावीर की निर्वाणस्थली अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र पावापुरी, उनकी जन्मस्थली कुंडलपुर और उनकी प्रथम देशनास्थली और बीसवें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ की जन्मस्थली राजगृह के साथ ही सुदर्शन स्वामी की निर्वाणस्थली गुलजारबाग (पटना), मन्दिर नगरी आरा (भोजपुर), बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की गर्भ और जन्मस्थली चंपापुर (भागलपुर) और उनकी तप, ज्ञान और निर्वाणस्थली मंदारगिरी (बांका) के आपस में जैन रेल सर्किट से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. जबकि तिलैया-कोडरमा रेलखंड के अस्तित्व में आने के बाद जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणस्थली श्री सम्मेदशिखर (पारसनाथ, झारखंड) भी आपस में इन सभी जैन तीर्थस्थलों के साथ रेलमार्ग से जोड़ा जाएगा.

रेल लाइन निर्माण योजना शुरु
वहीं, इसके अतिरिक्त प्रस्तावित नवादा-जमुई रेलमार्ग के अस्तित्व में आने के बाद भगवान महावीर की कैवल्य ज्ञानस्थली मलयागिरी और श्वेताम्बर मतानुसार उनकी जन्मस्थली लछुआड़ के भी इन सभी जैन तीर्थस्थलों के साथ आपस में रेलमार्ग से जुड़ना तय है. समाजसेवी ने बताया कि देश-विदेश के लाखों जैन धर्मावलंबी हर साल बिहार में अवस्थित इन जैन तीर्थस्थलों के दर्शनार्थ श्रद्धापूर्वक आते हैं. समुचित रेलमार्ग के अभाव में इन तीर्थयात्रियों को सफर के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि 998.39 करोड़ की लागत से नवादा से बिहारशरीफ के बीच 31 किमी लंबी रेल लाइन निर्माण योजना बिहार के जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़ने की प्रक्रिया में मील का पत्थर साबित होगी.

पीएम के प्रति आभार व्यक्त किया
दीपक जैन ने बताया कि रेल लाइन निर्माण की योजना को मूर्त रूप देने के लिए रेलवे ने न केवल सर्वे का काम पूर्ण करा लिया है, बल्कि पूर्वोत्तर रेलवे जोन, हाजीपुर के महाप्रबंधक ने अनुमानित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को भी अग्रतर कार्रवाई के लिए मंत्रालय को भेज दिया है. इस बहुप्रतीक्षित महत्वाकांक्षी योजना के पूर्ण होने पर बिहार के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों के दर्शनार्थ देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम और आनंददायक हो जाएगी. उन्होंने बिहार के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़ने के निमित्त जैन सर्किट की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की. साथ ही इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया.

नवादा: जिले से बिहारशरीफ को रेलमार्ग से जोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाने से गोणावां, पावापुरी और राजगृह को जैन सर्किट से जोड़े जाने का मार्ग सरल हो गया है. बिहार प्रांतीय जैन युवा जागृति के अध्यक्ष समाजसेवी दीपक जैन ने बताया कि उनकी ओर से केंद्र सरकार से जैन सर्किट के तहत बिहार और झारखंड के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़े जाने की मांग की गई थी. वहीं, अब कई सालों बाद यह मांग पूरी हुई है.

रेलमार्ग से जोड़े जाएंगे तीर्थस्थल
मोदी सरकार की ओर से नवादा और बिहारशरीफ को आपस में रेलमार्ग से जोड़े जाने के लिये गए फैसले से जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी की निर्वाणस्थली गोणावां (नवादा), भगवान महावीर की निर्वाणस्थली अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र पावापुरी, उनकी जन्मस्थली कुंडलपुर और उनकी प्रथम देशनास्थली और बीसवें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ की जन्मस्थली राजगृह के साथ ही सुदर्शन स्वामी की निर्वाणस्थली गुलजारबाग (पटना), मन्दिर नगरी आरा (भोजपुर), बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की गर्भ और जन्मस्थली चंपापुर (भागलपुर) और उनकी तप, ज्ञान और निर्वाणस्थली मंदारगिरी (बांका) के आपस में जैन रेल सर्किट से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. जबकि तिलैया-कोडरमा रेलखंड के अस्तित्व में आने के बाद जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणस्थली श्री सम्मेदशिखर (पारसनाथ, झारखंड) भी आपस में इन सभी जैन तीर्थस्थलों के साथ रेलमार्ग से जोड़ा जाएगा.

रेल लाइन निर्माण योजना शुरु
वहीं, इसके अतिरिक्त प्रस्तावित नवादा-जमुई रेलमार्ग के अस्तित्व में आने के बाद भगवान महावीर की कैवल्य ज्ञानस्थली मलयागिरी और श्वेताम्बर मतानुसार उनकी जन्मस्थली लछुआड़ के भी इन सभी जैन तीर्थस्थलों के साथ आपस में रेलमार्ग से जुड़ना तय है. समाजसेवी ने बताया कि देश-विदेश के लाखों जैन धर्मावलंबी हर साल बिहार में अवस्थित इन जैन तीर्थस्थलों के दर्शनार्थ श्रद्धापूर्वक आते हैं. समुचित रेलमार्ग के अभाव में इन तीर्थयात्रियों को सफर के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि 998.39 करोड़ की लागत से नवादा से बिहारशरीफ के बीच 31 किमी लंबी रेल लाइन निर्माण योजना बिहार के जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़ने की प्रक्रिया में मील का पत्थर साबित होगी.

पीएम के प्रति आभार व्यक्त किया
दीपक जैन ने बताया कि रेल लाइन निर्माण की योजना को मूर्त रूप देने के लिए रेलवे ने न केवल सर्वे का काम पूर्ण करा लिया है, बल्कि पूर्वोत्तर रेलवे जोन, हाजीपुर के महाप्रबंधक ने अनुमानित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को भी अग्रतर कार्रवाई के लिए मंत्रालय को भेज दिया है. इस बहुप्रतीक्षित महत्वाकांक्षी योजना के पूर्ण होने पर बिहार के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों के दर्शनार्थ देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम और आनंददायक हो जाएगी. उन्होंने बिहार के विभिन्न जैन तीर्थस्थलों को आपस में रेलमार्ग से जोड़ने के निमित्त जैन सर्किट की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की. साथ ही इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया.

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