पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की गलती की सजा पंचायत शिक्षक को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, सोमवार को पटना हाईकोर्ट के जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने परशुराम राय की याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने मैट्रिक सर्टिफिकेट में पिता का नाम और जन्मतिथि गलत अंकित करने के मामले पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को 12 नंवबर को कोर्ट में तलब किया है.
बिहार बोर्ड के सचिव तलब: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2007 में याचिकाकर्ता ने पंचायत शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. आवश्यक सभी प्रमाण पत्र संलग्न किए थे. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता का नाम रामावतार राय है, लेकिन बीएसईबी द्वारा जारी मैट्रिक प्रमाण पत्र में याचिकाकर्ता के पिता का नाम रंगबहादुर दर्ज हो गया.
आवेदन के बाद भी जन्मतिथि में नहीं हुआ सुधार: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट को बताया कि इसके अलावा जन्म तिथि 1 जनवरी, 1974 है, जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी प्रमाण पत्र में जन्म तिथि 7 मई 1975 दर्ज है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने संशोधित प्रमाण पत्र संलग्न किया है. जिसमें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने उसके अभ्यावेदन के आधार पर पिता का नाम और जन्म तिथि सुधारी थी.
शिक्षक पर फर्जी तरीके से नौकरी लेने का आरोप: यहीं नहीं मैट्रिक प्रमाण पत्र के सत्यापन के दौरान सतर्कता विभाग ने पाया कि मैट्रिक प्रमाण पत्र में याचिकाकर्ता के पिता का नाम और उसकी जन्म तिथि ग़लत दर्ज है. जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई. इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर पंचायत शिक्षक के रूप में अपनी नियुक्ति प्राप्त की.
आज फिर होगी सुनवाई: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में बैठे अधिकारी भी उसकी मदद नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर.2024 को होगी.
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